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उत्तर प्रदेश / उत्तराखंड

नोएडा में हुई TCS कर्मचारी अंकित चौहान की हत्या में दो दोषियों को मिली सजा, 10 साल बाद मिला न्याय

नोएडा में हुए चर्चित अंकित चौहार हत्याकांड में 10 साल बाद आखिरकार उनके परिजनों को न्याय मिल गया है. सोमवार को नई दिल्ली स्थित सीबीआई की विशेष अदालत ने इस मामले में दो आरोपियों शशांक जादौन और मनोज कुमार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. इसके साथ ही अदालत ने शशांक पर 70 हजार और मनोज कुमार पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है.

Author Written By: News24 हिंदी Author Published By : Versha Singh Updated: Oct 15, 2025 07:41

नोएडा में हुए चर्चित अंकित चौहार हत्याकांड में 10 साल बाद आखिरकार उनके परिजनों को न्याय मिल गया है. सोमवार को नई दिल्ली स्थित सीबीआई की विशेष अदालत ने इस मामले में दो आरोपियों शशांक जादौन और मनोज कुमार को आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. इसके साथ ही अदालत ने शशांक पर 70 हजार और मनोज कुमार पर 50 हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है.

कब हुई थी TCS कर्मचारी अंकित की हत्या?

जानकारी के अनुसार, ये मामला 13 अप्रैल 2015 का है. जब टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) में कार्यरत सॉफ्टवेयर इंजीनियर अंकित चौहान की नोएडा सेक्टर 50 में फॉर्च्यूनर में गोली मार कर हत्या कर दी गई थी. अंकित चौहान उस समय अपनी नई फॉर्च्यूनर कार, जिसका अस्थायी नंबर UDB 0044239 था, से अपने घर लौट रहे थे. उनके साथ उनका दोस्त गगन दुधोरिया भी था, जो हमले में बच गया और अभियोजन पक्ष का एकमात्र चश्मदीद गवाह है.

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शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया था कि अंकित चौहान, गगन दुधोरिया के साथ सेक्टर 135, नोएडा, उत्तर प्रदेश से घर लौट रहे थे, तभी उनकी फॉर्च्यूनर कार को ओवरटेक करके घटनास्थल पर रोक लिया गया था.

शुरुआती जांच में हत्या करने वालों की पहचान नहीं हो पाई थी. जिसके बाद पीड़ित परिवार ने अपील की और इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले की जांच की जिम्मेदारी सीबीआई को सौंप दी.

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उस कार से दो लड़के उतरे. उन्होंने अंकित चौहान पर गोलियां चलाईं, जिससे वह गंभीर रूप से घायल हो गए. गोलियां चलाने के बाद लड़के भाग गए. अंकित चौहान को नोएडा, उत्तर प्रदेश के अस्पताल ले जाया गया, जहाँ उन्हें मृत घोषित कर दिया गया.

आरोप है कि बरौला बाईपास के पास नई फॉर्च्यूनर कार लूटने के प्रयास के दौरान अंकित की गोली मारकर हत्या कर दी गई थी.

2017 में दाखिल हुई थी चार्जशीट

सीबीआई ने इस केस में 29 अगस्त 2017 को दोनों आरोपियों के खिलाफ हत्या, लूट की कोशिश, साजिश और सबूत मिटाने के आरोपों में चार्जशीट दाखिल की थी. बाद में सुप्रीम कोर्ट ने 2 अगस्त 2019 को इस केस का ट्रायल गाजियाबाद से दिल्ली ट्रांसफर कर दिया था.

विशेष सीबीआई न्यायाधीश ज्योति क्लेर ने शशांक जादौन और मनोज कुमार को हत्या की आपराधिक साजिश, हत्या का प्रयास और डकैती, हत्या, हत्या का प्रयास, डकैती का प्रयास और सबूत नष्ट करने के अपराधों में दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई. इसके अलावा, अदालत ने शशांक जादौन को शस्त्र अधिनियम के तहत भी सजा सुनाई.

शशांक जादौन प्रतिष्ठित दिल्ली कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से इंजीनियर है. प्रॉपर्टी के कारोबार में भारी नुकसान के बाद उसने अपराध की राह पकड़ ली.

यह भी पढ़ें- नोएडा में प्राॅपर्टी विवाद में सगे भाईयों के बीच चली गोली, केस दर्ज कर जांच में जुटी पुलिस

10 साल बाद मिला न्याय

इस मामले की सुनवाई कई सालों तक चली. जिसके बाद 20 सितंबर 2025 को दोनों आरोपियों शशांक जादौन और मनोज कुमार को दोषी करार दिया गया और 13 अक्टूब 2025 को दोनों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई.

अदालत ने दोषियों को सजा सुनाते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग पर मृतक की दिनदहाड़े हुई हत्या पर गंभीर चिंता जताई.

विशेष न्यायाधीश ने 13 अक्टूबर को दिए गए सजा आदेश में कहा, ‘अदालत इस तथ्य को नजरअंदाज नहीं कर सकती कि अपराध राष्ट्रीय राजमार्ग पर दिनदहाड़े किया गया था, जो निडरता और देश के क़ानून के प्रति घोर उपेक्षा को दर्शाता है.’

कैसे रची गई थी साजिश?

जानकारी के अनुसार, सह-आरोपी पंकज कुमार, शशांक जादौन का दोस्त था. उनके पिता रेलवे में साथ काम करते थे. उसने शशांक जादौन को सुझाव दिया कि वे एक नई फॉर्च्यूनर कार लूटकर उसे सतपाल भाटी नाम के व्यक्ति को बेच दें, जो चोरी की गाड़ियों का धंधा करता था, ताकि आसानी से पैसा कमा सके.

शशांक जादौन को पंकज कुमार का प्रस्ताव पसंद आया और उसने सुझाव दिया कि फॉर्च्यूनर कार की लूट के लिए वे उसकी लाइसेंसी .32 बोर रिवॉल्वर का इस्तेमाल कर सकते हैं और लूट राष्ट्रीय राजमार्ग पर की जाएगी. अदालत ने कहा कि उन्होंने आरोपी मनोज कुमार को भी अपनी योजना में शामिल किया.

First published on: Oct 15, 2025 07:41 AM

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