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उत्तर प्रदेश / उत्तराखंड

‘धरती का डॉक्टर’ से मिट्टी रहेगी स्वस्थ, पतंजलि ने नाबार्ड के सहयोग से आयोजित की राष्ट्रीय कार्यशाला, सतत खेती को मिला नया आयाम

Uttarakhand News: पतंजलि जैविक अनुसंधान संस्थान ने नाबार्ड व भरुवा एग्री साइंस के सहयोग से 'स्वस्थ धारा' योजना के तहत दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला आयोजित की. 'धरती का डॉक्टर' मशीन के माध्यम से मृदा परीक्षण और औषधीय पौधों की सतत खेती पर जोर दिया गया है.

Author Written By: Namrata Mohanty Author Published By : Namrata Mohanty Updated: Oct 28, 2025 12:08

Uttarakhand News: भारत सरकार के तत्वावधान में, पतंजलि जैविक अनुसंधान संस्थान, आरसीएससी-एनआर-1, राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) के सहयोग से तथा भरुवा एग्री साइंस के संयुक्त प्रयास से, पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन एवं पतंजलि विश्वविद्यालय के सहयोग से विश्वविद्यालय सभागार में 27-28 अक्टूबर को ‘स्वस्थ धारा’ योजना के अंतर्गत ‘मृदा परीक्षण एवं प्रबंधन के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण औषधीय पौधों की सतत खेती’ विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया.

कार्यशाला का आयोजन स्वचालित मृदा परीक्षण मशीन ‘धरती का डॉक्टर’ (डीकेडी) के संदर्भ में, वैश्विक स्तर पर सतत कृषि एवं दीर्घकालिक खाद्य सुरक्षा को बढ़ावा देने एवं सुदृढ़ करने के उद्देश्य से किया गया था.

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मुख्य अतिथियों का किया स्वागत

पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलपति परम श्रद्धेय आचार्य बालकृष्ण जी महाराज ने मुख्य अतिथियों का पुष्पगुच्छ, शॉल एवं स्मृति चिन्ह भेंट कर स्वागत किया. उद्घाटन समारोह का शुभारंभ दीप प्रज्वलन, धन्वंतरि वंदना और डॉ. अर्चना तिवारी एवं उनकी टीम द्वारा समूह गान के साथ हुआ. स्वागत भाषण मृदा विज्ञान निदेशक, भरुवा कृषि विज्ञान, डॉ. के.एन. शर्मा ने दिया. इसी क्रम में, आचार्य श्री एवं मुख्य अतिथियों द्वारा ‘स्वस्थ धारा’ पुस्तक और ‘औषधीय पादप: फाइटोमेडिसिन एवं संबंधित उद्योगों का अंतर्राष्ट्रीय जर्नल’ नामक पुस्तक का लोकार्पण किया गया.

ग्रामीण विकास में निवेश बढ़ाने का प्रोत्साहन किया

नाबार्ड के अध्यक्ष, श्री शाजी के.वी. ने मुख्य अतिथि के रूप में अपने संबोधन में कहा कि नाबार्ड का प्राथमिक उद्देश्य देश में सतत कृषि और ग्रामीण विकास को बढ़ावा देने के लिए कृषि, लघु उद्योग, कुटीर एवं हस्तशिल्प, ग्रामोद्योग और अन्य ग्रामीण शिल्पों के लिए ऋण उपलब्ध कराना है. ग्रामीण विकास में निवेश बढ़ाना और समावेशी एवं सतत कृषि को प्रोत्साहित करना समय की मांग है. नाबार्ड देश भर में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों और सहकारी बैंकों का संचालन करके कृषि पद्धतियों में सुधार लाने के लिए प्रतिबद्ध है. इसके अतिरिक्त, अपने कार्यक्रमों के माध्यम से, नाबार्ड ने ‘विशिष्ट लक्ष्य-उन्मुख प्रभागों’ के माध्यम से ग्रामीण भारत में वित्तीय समावेशन को सुदृढ़ करने पर बल दिया है.

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पतंजलि की भविष्य की योजनाएं क्या है?

पतंजलि की भविष्य की योजनाओं का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि कंपनी किसानों की आय बढ़ाने, जैविक खेती को बढ़ावा देने और प्राकृतिक कृषि पद्धतियों को अपनाने पर ध्यान केंद्रित कर रही है. उन्होंने कहा कि 2027 तक विकसित भारत के लक्ष्य को साकार करने की दिशा में यह वर्ष अत्यंत महत्वपूर्ण है. इस वित्तीय वर्ष के अंत तक भारत के विकसित राष्ट्र बनने की प्रबल संभावना है. उन्होंने मोनोकल्चर खेती की ओर भी ध्यान आकर्षित किया, जिसका मुख्य उद्देश्य उत्पादन और लाभ में वृद्धि करना है, लेकिन इससे मिट्टी की उर्वरता में कमी आती है और जैव विविधता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है.

इस संदर्भ में, प्रधानमंत्री किसान सम्मान और धन-धान्य मिशन जैसी प्रधानमंत्री की योजनाएं किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान कर उन्हें आत्मनिर्भर बनने में सक्षम बना रही हैं. साथ ही, पतंजलि की ‘धरती का डॉक्टर’ मशीन मृदा स्वास्थ्य सुधार के लिए कारगर साबित हो रही है और नाबार्ड के साथ पतंजलि का सहयोग निरंतर मजबूत हो रहा है.

आचार्य श्री ने कहा कि मानव स्वास्थ्य की रक्षा के लिए फसलों की सुरक्षा आवश्यक है. समय आ गया है जब हम अपने पूर्वजों से विरासत में मिली मिट्टी को उसके मूल स्वरूप में लौटाएं और ‘मिट्टी की कमियों’ को दूर करें. पतंजलि की जीके मशीन मिट्टी संबंधी चुनौतियों पर काबू पाने और धरती को रोगमुक्त बनाने में मददगार साबित हो रही है.

इस मशीन से मिट्टी के आवश्यक पोषक तत्वों; नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम, पीएच, कार्बनिक कार्बन और विद्युत चालकता की जांच केवल आधे घंटे में की जा सकती है, जिससे मिट्टी में पोषक तत्वों की कमी या अधिकता का सटीक पता चलता है. प्राकृतिक संसाधन संरक्षण और सेवा-आधारित कृषि पद्धतियों पर चर्चा करते हुए बताया गया कि मिट्टी तभी उपयोगी है जब उसे बेहतर बनाने वाली प्रबंधन तकनीकों को अपनाया जाए, जिससे वर्तमान और भविष्य में उत्पादकता और लाभप्रदता बढ़े.

इससे स्वस्थ मिट्टी कम लागत पर अधिक उत्पादन देने में सक्षम होती है. मृदा सुधार का मूल आधार उसमें रहने वाले सूक्ष्मजीवों के लिए अनुकूल वातावरण बनाए रखना है, जो विविध पौधों की खेती, मिट्टी को आच्छादित करने और क्षति को कम करने से संभव है. जैव विविधता एक सफल कृषि प्रणाली की आधारशिला है, जो मृदा स्वास्थ्य, लागत नियंत्रण और लाभप्रदता में सुधार करती है. उन्होंने वर्तमान समय में संभावित औषधीय पौधों के लिए कृषि-प्रौद्योगिकी के विकास की तत्काल आवश्यकता पर भी बल दिया.

पतंजलि भूर्व कृषि विज्ञान में कृषि प्रणाली का विकास

पतंजलि भूर्व कृषि विज्ञान के निदेशक डॉ. के.एन. शर्मा ने अपने व्याख्यान में बताया कि पतंजलि भूर्व कृषि विज्ञान ने एक जैविक कृषि प्रणाली विकसित की है जो मृदा उर्वरता, पारिस्थितिक संतुलन और प्रदूषण मुक्त उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के बजाय जैविक उर्वरकों, हरी खाद और फसल चक्र का उपयोग करती है. किसानों के लिए उच्च गुणवत्ता वाली फसल उत्पादन की चुनौतियों का समाधान करने के लिए, उन्होंने जीके-जीके स्वचालित मृदा परीक्षण मशीन विकसित की है.

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First published on: Oct 28, 2025 12:08 PM

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