Uttar Pradesh Noida News (जुनेद अख्तर) : CBI की टीम नोएडा स्पोर्ट्स सिटी प्रोजेक्ट घोटाले में शामिल बिल्डरों से पूछताछ कर रही है। बताया जा रहा है कि शनिवार को भी बिल्डरों से पूछताछ की गई है। सूत्रों से पता चला है कि बिल्डरों ने पूछताछ में नोएडा अथॉरिटी के कई अधिकारियों के नाम लिए हैं। जिसके बाद से नोएडा अथॉरिटी में हड़कंप मचा हुआ है। इस मामले में नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों को भी आरोपी बनाया गया है। CBI (Central Bureau of Investigation) नोएडा स्पोर्ट्स सिटी घोटाले में तीन एफआईआर दर्ज करने के बाद बिल्डरों से पूछताछ कर रही है। सूत्रों के अनुसार CBI की टीम शु्क्रवार से दो बिल्डरों से पूछताछ कर रही है। शनिवार को भी सीबीआई की अलग-अलग टीमों ने विभिन्न लोगों से पूछताछ की। इसके बाद टीम ने शाम को अथॉरिटी दफ्तर में स्पोर्ट्स सिटी से जुड़े दस्तावेज भी खंगाले हैं।
घर खरीदारों के रुपये हड़पने का आरोप
CBI ने बिल्डरों से उनकी परियोजनाओं के लिए जमीन आवंटन, बेचे गए भूखंड, शेल कंपनियों समेत कई बिंदुओं पर जानकारी ली।सूत्रों से पता चला है कि इस दौरान CBI अथॉरिटी में जमे पुराने अधिकारियों से भी पूछताछ की है। बताया जा रहा है कि सीबीआई जल्द ही एक और परियोजना में केस दर्ज कर सकती है। बता दे कि CBI की तरफ से पहली एफआईआर लॉजिक्स इंफ्रा डेवेलपर्स प्राइवेट लिमिटेड और दूसरी लोटस ग्रीन कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड के नाम पर की गई। दोनों पर वर्ष 2011 से 2017 तक बिल्डरों, कंसोर्टियम और नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों के साथ मिलकर कथित तौर पर घर खरीदारों के रुपये हड़पने का आरोप है। गौरतलब है कि करीब तीन सप्ताह पहले हाईकोर्ट ने अलग-अलग याचिकाओं में CBI, ED और नोएडा अथॉरिटी को कार्रवाई के आदेश दिए थे। इसके बाद जांच में तेजी आ गई है।
इन बिल्डरों और अधिकारियों पर केस दर्ज
CBI ने अपनी एफआईआर में छह आरोपी बनाए हैं। लॉजिक्स इंफ्रा डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड को पहला आरोपी बनाया है। इसके अलावा कंपनी के डायरेक्टर शक्ति नाथ, मीना नाथ और विक्रम नाथ शामिल है। वहीं, नोएडा अथॉरिटी के अज्ञात अधिकारी और अन्य अज्ञात व्यक्ति के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। इसी तरह दूसरी एफआईआर लोटस ग्रीन कंस्ट्रक्शन पर की गई है। ये परियोजना सेक्टर-150 एससी-1 और इससे जुड़ी 12 सबलीज कंपनियों से जुड़ी है, जिसमें सभी 12 के नाम शामिल हैं। सीबीआई ने लोटस ग्रीन कंस्ट्रक्शन के निदेशक निर्मल सिंह, विद्युर भारद्वाज, सुरप्रीत सिंह सूरी और नोएडा प्राधिकरण के अज्ञात अधिकारी और एक अन्य के खिलाफ केस दर्ज किया है। एफआईआर में हाईकोर्ट के आदेश का हवाला दिया गया है। इसमें लोटस ग्रीन के अलावा उनकी सब लीज में करीब 24 कंपनियों को भी शामिल किया गया है।
नोटिस भेजकर की थी खानापूर्ति
ये परियोजना सेक्टर-150 एससी-1/ए और एस-2 से जुड़ी है। इसके अलावा जनायडु स्टेट के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है। सीएजी ने वर्ष 2021 में ऑडिट रिपोर्ट शासन को सौंप दी थी। चार साल बाद भी शासन स्तर से जिम्मेदार अधिकारियों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई। नोएडा अथॉरिटी और न ही राज्य सरकार ने संबंधित अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने या बिल्डरों से बकाया वसूलने जैसी कोई कार्रवाई की। सिर्फ बकाया जमा करने के लिए खानापूर्ति के लिए नोटिस भेजे गए। इस मामले में उच्च न्यायालय ने नोएडा अथॉरिटी के अधिकारियों को फटकार लगाई थी। बताया जा रहा है कि नोएडा स्पोर्ट सिटी परियोजना का उद्देश्य नोएडा सेक्टर 78, 79 और 150 में आवासीय और वाणिज्यिक क्षेत्रों के साथ विश्व स्तरीय खेल सुविधाएं विकसित करना था।
CAG की जांच में 9000 करोड़ के घोटाले का खुलासा
CAG (Comptroller and Auditor General of India) ने नोएडा विकास अथॉरिटी के वर्ष 2005 से लेकर 2017 तक के कामकाज की जांच की थी। इसमें स्पोर्ट्स सिटी में करीब नौ हजार करोड़ रुपये का घोटाला सामने आया था। ऑडिट में पाया गया कि बिल्डरों को सस्ती दरों पर जमीन दी गई। बिल्डरों द्वारा नोएडा अथॉरिटी को साइड लाइन करते हुए स्वामित्व का अनाधिकृत हस्तांतरण किया गया। लीज प्रीमियम, जुर्माना और ट्रांसफर चार्ज तक नहीं दिए गए।
बिल्डरों की तरफ से नहीं आया बयान
CBI के अधिकारियों ने बताया कि यह अनियमितताएं बाद में 9000 करोड़ रुपये के घोटाले के रूप में सामने आईं। इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर कार्रवाई करते हुए CBI ने रियल एस्टेट फर्म ‘लॉजिक्स इंफ्रा डेवलपर्स प्राइवेट लिमिटेड’, ‘जनाडू एस्टेट्स प्राइवेट लिमिटेड’ व ‘लोटस ग्रीन कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड’, उनके निदेशकों और नोएडा अथॉरिटी के कुछ अज्ञात अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर छापेमारी की। बिल्डर कंपनियों की ओर से अभी तक कोई बयान नहीं आया है।