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मेरठ के चुनावी रण में यूं ही ‘राम’ को नहीं उतारी BJP, ये है बड़ी वजह

Arun Govil Meerut Seat: बीजेपी ने मेरठ लोकसभा सीट से तीन बार के सांसद का टिकट काटकर रामायण धारावाहिक के 'राम' यानी अरुण गोविल को चुनावी मैदान में उतारा है। बीजेपी ने अरुण को ही टिकट क्यों दिया है, इसके पीछे की बड़ी वजह सामने आई है।

Edited By : Achyut Kumar | Updated: Apr 25, 2024 19:50
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Arun Govil BJP Meerut Lok Sabha Seat Candidate 2024 Election
Arun Govil को BJP ने Meerut Lok Sabha Seat से क्यों बनाया प्रत्याशी?

Arun Govil Meerut Lok Sabha Seat Voting updates: लोकसभा चुनावों के दूसरे चरण की वोटिंंग का समय आ गया है। यूपी की जिन 8 सीटों पर कल शुक्रवार को मतदान है, उनमें से मेरठ सीट भी एक है। बीजेपी ने इस बार लगातार तीन बार के सांसद राजेंद्र अग्रवाल का टिकट काटकर टीवी सीरियल रामायण के ‘राम’ यानी अरुण गोविल को प्रत्याशी बनाया गया है। बीजेपी ने इसके जरिए बड़ा सियासी दांव खेला है। आइए, जानते हैं गोविल को प्रत्याशी बनाने के पीछे की असली वजह क्या है…

1- अरुण गोविल का मेरठ से गहरा नाता

अरुण गोविल का मेरठ से गहरा नाता है। उनका जन्म इसी शहर में 12 जनवरी 1952 को एक अग्रवाल परिवार में हुआ। उनके पिता का नाम चंद्रप्रकाश गोविल और माता का शारदा देवी था। पिता नगर निगम के जल-कल विभाग में इंजीनियर थे, जबकि माता गृहिणी थी। अरुण ने मेरठ कॉलेज और चौधरी चरण सिंह यूनिवर्सिटी से अपनी पढ़ाई पूरी की।

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2- राम के नाम से मिली लोकप्रियता

अरुण गोविल अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद फिल्मी दुनिया में एक अलग पहचान बनाने के लिए मुंबई चले गए। यहां वे अपने बड़े भाई विजय गोविल के साथ रहे, जो बिजनेसमैन हैं। उन्होंने काफी संघर्ष किया, जिसके बाद उन्हें रामानंद सागर की टीवी सीरियल रामायण में भगवान राम का किरदार निभाने का मौका मिला। यह उनके करियर का टर्निंग प्वाइंट रहा। इस किरदार ने घर-घर तक पहुंचा दिया। लोग उन्हें सच में भगवान राम का रूप समझने लगे। कई बार तो लोगों को उनके पैर छूते हुए भी देखा गया।

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3- जातिगत समीकरण

अरुण गोविल के जरिए बीजेपी ने जातिगत समीकरणों को भी साधने की कोशिश की है। मेरठ के मौजूद सांसद राजेंद्र अग्रवाल की तरह अरुण भी अग्रवाल बिरादरी से आते हैं। इस तरह से 2009 से एक बार फिर ‘अग्रवाल’ को ही बीजेपी ने चुनावी मैदान में उतारा है। यहां से सपा ने भानु प्रताप सिंह तो बसपा ने देववृत्त त्यागी को चनावी मैदान में उतारा है। राजेंद्र अग्रवाल 2009 से लगातार सांसद हैं। उन्होंने बसपा के मोहम्मद अखलाख को हराकर इस यह सीट बीजेपी की झोली में डाल दी थी।

4- सांप्रदायिक ध्रुवीकरण

मेरठ से सपा ने भानु प्रताप सिंह को टिकट दिया है, जिनके बारे में कहा जाता है कि वे सनातन विरोधी है। सोशल मीडिया एक्स पर भानु प्रताप सिंह के खिलाफ ट्रेंड भी चला था। ऐसे में बीजेपी ने सनातन विरोधी माने जाने वाले सपा प्रत्याशी के खिलाफ भगवान राम के रूप में लोकप्रिय अरुण गोविल को उतारकर अपने पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश की है। अरुण को टिकट देने के पीछे की यही बड़ी वजह है। बीजेपी यहां चुनाव को सनातन विरोधी बनाम सनातन धर्म अनुयायी के रूप में बनाना चाहती है।

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5- राम मंदिर के मुद्दे को भुनाना

बीजेपी अरुण गोविल के जरिए राम मंदिर के मुद्दे को भुनाना चाहती है। अरुण को मेरठ से प्रत्याशी बनाने से इसका असर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के अन्य जिलों में भी देखने को मिलेगा, जिसमें संभल, अमरोहा और रामपुर जैसी सीटें शामिल हैं।

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Edited By

Achyut Kumar

First published on: Apr 25, 2024 07:40 PM

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