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इरफान सोलंकी को मिली जमानत, फिलहाल जेल में ही रहेंगे; विधायकी को लेकर HC ने दिए ये आदेश

Former SP MLA Irfan Solanki: महिला के घर में घुसकर आगजनी और कब्जा करने के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पूर्व सपा विधायक इरफान सोलंकी को बेल दे दी है। लेकिन फिलहाल वे जेल में ही रहेंगे। इसके अलावा न्यायालय ने विधायकी के मामले में भी फैसला सुनाया है। विस्तार से इसके बारे में जानते हैं।

Edited By : Parmod chaudhary | Updated: Nov 14, 2024 15:05
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Irfan Solanki

Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश की इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सपा के पूर्व विधायक इरफान सोलंकी को बेल दे दी है। लेकिन फिलहाल वे जेल में ही रहेंगे। सोलंकी को महिला के घर में घुसकर आगजनी करने, जमीन कब्जाने के मामले में निचली अदालत से मिली 7 साल की सजा के खिलाफ जमानत मिली है। उनके खिलाफ कानपुर के विभिन्न थानों में 18 मुकदमे दर्ज थे। इनमें से 11 मामलों में इरफान सोलंकी को या तो कोर्ट ने बरी कर दिया है या पुलिस जांच में फाइनल रिपोर्ट लगाकर क्लीन चिट दे दी गई है। सोलंकी पर अभी 7 केस लंबित हैं। दो मामले ऐसे हैं, जिनमें उन्हें अभी तक जमानत नहीं मिल पाई है।

कानपुर पुलिस दर्ज कर चुकी केस

पहला मामला गैंगस्टर एक्ट के तहत कानपुर पुलिस द्वारा दर्ज किया गया था। दूसरा मामला फर्जी आधार कार्ड का है। इन दोनों मामलों में जमानत न मिलने के कारण इरफान सोलंकी को जेल में रहना पड़ेगा। इरफान सोलंकी की विधायकी जाने के बाद सीसामऊ सीट पर उपचुनाव हो रहा है। सपा ने यहां से इरफान सोलंकी की पत्नी नसीम सोलंकी को उम्मीदवार बनाया है।

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न्यायालय ने उनकी सजा पर रोक नहीं लगाई है। जिसके चलते फिलहाल उनकी विधायकी बहाल नहीं होगी। अब कानपुर की सीसामऊ सीट पर उपचुनाव होना तय है। 20 नवंबर को यहां वोटिंग होनी है। जस्टिस राजीव गुप्ता और सुरेंद्र सिंह की खंडपीठ ने फैसला सुनाया है। इस मामले में हाई कोर्ट ने 8 नवंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इसी साल 7 जून को सपा के विधायक सोलंकी समेत कई लोगों को कानपुर की स्पेशल एमएलए कोर्ट ने सजा सुनाई थी।

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ट्रायल कोर्ट के फैसले को दी थी चुनौती

सोलंकी के भाई रिजवान सोलंकी को भी सात साल की सजा हो चुकी है। आरोप है कि दोनों भाइयों ने कुछ लोगों के साथ मिलकर एक महिला के घर में घुसकर आगजनी की थी। 7 साल की सजा होने के बाद सोलंकी की विधायकी रद्द हो गई थी। इसके बाद सोलंकी ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। अपील में कोर्ट का अंतिम फैसला आने तक निचली अदालत के फैसले पर रोक लगाने की मांग की गई थी। साथ में बेल भी मांगी थी। मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पिछले महीने इलाहाबाद हाई कोर्ट को 10 दिन में सुनवाई पूरी कर फैसला सुनाने के निर्देश दिए थे। वहीं, यूपी सरकार ने पूर्व विधायक की सजा बढ़ाने की मांग की थी।

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Edited By

Parmod chaudhary

First published on: Nov 14, 2024 03:05 PM

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