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राजस्थान

राजस्थान कांग्रेस में जमी बर्फ पिघलती दिखी, गहलोत-पायलट की मुलाकात से सियासी हलकों में गर्मी

राजस्थान में कांग्रेस के 2 बड़े नेताओं के बीच चला आ रहा शीत युद्ध अब खत्म होता दिख रहा है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस नेता सचिन पायलट के बीच फिर से दोस्ती होती दिख रही है।

Author Written By: kj.srivatsan Author Edited By : Pooja Mishra Updated: Jun 7, 2025 16:15
Ashok Gehlot and Sachin Pilot
अशोक गहलोत और सचिन पायलट (X)

Ashok Gehlot and Sachin Pilot: राजस्थान कांग्रेस के 2 बड़े नेताओं के बीच लंबे समय से चला आ रहा शीत युद्ध अब खत्म होता नजर आ रहा है। 5 साल बाद पहली बार ऐसा देखने को मिला जब पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस नेता सचिन पायलट के बीच की सियासी तल्खियां कुछ नरम पड़ीं। सचिन पायलट खुद अशोक गहलोत से मिलने उनके सिविल लाइंस स्थित सरकारी आवास पहुंचे, जहां गहलोत ने न केवल गर्मजोशी से उनका स्वागत किया बल्कि मुस्कुराते हुए हाथ भी मिलाया। करीब आधे घंटे तक दोनों के बीच बातचीत भी हुई।

बताया जा रहा है कि यह मुलाकात अचानक तय हुई थी। सचिन पायलट ने आज गहलोत से मिलने का समय मांगा और गहलोत ने उन्हें दोपहर में मिलने के लिए बुला लिया। यह भी कम दिलचस्प नहीं कि पायलट के आवास से गहलोत के घर की दूरी महज़ आधा किलोमीटर है, लेकिन यह ‘सियासी फासला’ सालों से नापा जा रहा था।

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अशोक गहलोत से मुलाकात के बाद

दोनों के बीच यह बातचीत पूर्व केंद्रीय मंत्री और सचिन पायलट के पिता स्व. राजेश पायलट की 25वीं पुण्यतिथि के कार्यक्रम की तैयारियों को लेकर थी। अशोक गहलोत ने इस मुलाकात के बाद सोशल मीडिया पर लिखा कि मैं और राजेश पायलट 1980 में एक साथ लोकसभा पहुंचे थे और करीब 18 साल तक साथ सांसद रहे। उनके जाने से पार्टी को गहरा आघात लगा था, और आज भी वह पीड़ा बनी हुई है।

सिर्फ मुलाकात नहीं, बल्कि संदेश भी…

इस मुलाकात को सिर्फ एक औपचारिक भेंट नहीं, बल्कि एक बड़े राजनीतिक संकेत के रूप में देखा जा रहा है। 2020 में जब सचिन पायलट अपने समर्थक विधायकों के साथ मानेसर चले गए थे, तब से दोनों नेताओं के बीच दूरी बढ़ती गई थी। उस समय गहलोत को सरकार बचाने के लिए अपने खेमे के विधायकों को 45 दिनों तक होटल में ठहराना पड़ा था। इसके बाद से ही दोनों नेताओं के बीच बयानबाज़ी का सिलसिला कभी नहीं थमा।

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राहुल गांधी और पार्टी हाईकमान ने कई बार दोनों को एक मंच पर लाने की कोशिश की, लेकिन हर प्रयास नाकाम ही साबित हुआ। जिसका नुकसान राजस्थान में कांग्रेस को चुनाव के दौरान भी उठाना पड़ा। ऐसे में यह पहली बार है जब पायलट खुद अपने बंगले से बाहर निकलकर, सीधे गहलोत के घर तक पहुंचे। साथ ही वह भी बिना किसी राजनीतिक मंच या मध्यस्थ के।

क्या है मुलाकात का राजनीतिक महत्व?

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यह मुलाकात राजेश पायलट की पुण्यतिथि के बहाने शुरू हुई ज़रूर, लेकिन इसके दूरगामी संकेत हो सकते हैं। प्रदेश कांग्रेस में लंबे समय से चल रही खींचतान के खत्म होने की उम्मीद अब तेज़ हो गई है। पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं को लगता है कि अगर यह सुलह बनी रहती है तो 2028 की राह कांग्रेस के लिए आसान हो सकती है।

पुरानी रंजिश का मामला

गहलोत-पायलट विवाद सिर्फ वैचारिक मतभेद नहीं था, बल्कि यह नेतृत्व की लड़ाई में तब्दील हो गया था। पायलट खुद को मुख्यमंत्री पद का दावेदार मानते थे, लेकिन 2018 में कांग्रेस की जीत के बाद उन्हें उपमुख्यमंत्री पद से संतोष करना पड़ा। इसके बाद 2020 में उनका विद्रोह सामने आया। गहलोत ने उन्हें ‘निकम्मा’ तक कह दिया था और पायलट ने आरोप लगाया कि उनकी आवाज पार्टी में दबाई जा रही है।

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अब क्या होगा आगे?

आज की मुलाकात ने राजस्थान की राजनीति में हलचल तो पैदा कर दी है, लेकिन यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह सुलह स्थायी है या सिर्फ एक प्रतीकात्मक क्षण। आने वाले दिनों में दोनों नेता अगर सार्वजनिक मंचों पर साथ दिखते हैं या संयुक्त बयान सामने आते हैं, तो यह साफ हो जाएगा कि कांग्रेस ने एक बड़ी टूट से खुद को बचा लिया है।

First published on: Jun 07, 2025 03:57 PM

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