Jaipur News: जयपुर के एक नामी प्राइवेट अस्पताल प्रबंधन का एक अमानवीय चेहरा सामने आया है. जहां इंसान की जान चली जाए, तब भी उनके लिए बकाया रकम अधिक अहम है. उपचार के दौरान युवक की मौत हो जाने के बाद भी प्रबंधन द्वारा परिजनों से कहा गया कि ‘पूरा पेमेंट दो, फिर डेड बॉडी ले जाओ’. मामले की जानकारी पर जैसे ही मंत्री किरोड़ी लाल मीणा अस्पताल में पहुंचे तो सब कुछ बदल गया. जिसके बाद अस्पताल प्रबंधन द्वारा फीस वापस की गई माफी मांगी गई. ये मामला जयपुर के संतोकबा दुर्लभजी मेमोरियल अस्पताल का है.
हादसे में घायल की हुई थी उपचार के दौरान मौत
महुआ कमलेटी के रहने वाले विक्रम मीणा को सड़क हादसे में घायल होने के बाद जयपुर के इस अस्पताल में भर्ती कराया गया था. सरकार की ‘मां योजना’ के तहत इलाज मुफ्त होना था. बड़ी फीस चुका कर जान बचाने की उम्मीद में उसके परिजनों ने यहां भर्ती कराया था. परिजनों ने वह सब कुछ किया जो डॉक्टर ने कहा, लेकिन विक्रम की जान नहीं बच पाई. जिसके बाद अस्पताल प्रबंधन ने मृतक के परिजनों को 8 लाख 38 हजार रुपये का बिल थमा दिया. परिजनों ने 6 लाख 39 हजार रुपये जमा भी कर दिए. मगर उसके बाद भी परिजनों से कहा गया कि ‘बाकी दो लाख दो, तभी बॉडी मिलेगी’.
मंत्री के पहुंचने पर मांगी माफी
मृतक के परिजन कैबिनेट मंत्री किरोड़ी लाल मीणा के निर्वाचन क्षेत्र से थे. ऐसे में यह शिकायत मंत्री जी तक भी पहुंची. जिस पर मंत्री किरोड़ी लाल मीणा ने उनका फोन नहीं उठाने पर खुद ही जयपुर के इस अस्पताल में पहुंच गए. जिसके बाद अस्पताल प्रबंधन का रवैया बदल गया. जिसके बाद प्रबंधन की तरफ से फीस वापस की गई और परिजनों से माफी मांगते हुए डेड बॉडी सुपुर्द कर दी गई. वहीं इस मामले में मंत्री किरोड़ी लाल मीणा का कहना है कि वह सुबह से फोन कर रहे थे. फोन नहीं उठाए जाने पर वह यहां आए हैं. सरकार पैसा दे रही है, लेकिन अस्पताल मरीजों को योजना से जोड़ नहीं रहे. ये जनता के साथ अन्याय है और सरकार को बदनाम करने की साजिश भी. वहीं यह मामला अब सोशल मीडिया पर भी गरमाया हुआ है.
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