Maharashtra Assembly Election 2024: मुंबई की बांद्रा ईस्ट पर इस बार कांटे का मुकाबला होने वाला है। इस सीट पर एनसीपी अजीत पवार के जीशान सिद्दीकी और शिवसेना के 31 वर्षीय उम्मीदवार वरुण सरदेसाई के बीच मुकाबला है। वरुण सरदेसाई आदित्य ठाकरे की मामी (Maternal Aunt) के लड़के हैं।
कौन हैं वरुण सरदेसाई
31 वर्षीय वरुण सरदेसाई को आदित्य ठाकरे का करीबी माना जाता है। 2010 में शिवसेना की छात्र शाखा युवा सेना के गठन से ही वरुण सरदेसाई शिवसेना से जुड़े रहे हैं। उद्धव ठाकरे ने अब सरदेसाई को बांद्रा ईस्ट सीट से चुनावी मैदान में उतारा है।
सरदेसाई के नाम ऐलान होने के बाद जीशान सिद्दीकी ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा कि सुना है कि पुराने दोस्तों ने बांद्रा ईस्ट से अपने उम्मीदवार का ऐलान कर दिया है। सबको साथ लेकर चलने की भावना तो कभी रही नहीं, केवल उन्हीं के साथ रिश्ता रखना चाहिए जो आपको सम्मान देते हों।
वरुण सरदेसाई पेशे से सिविल इंजीनियर हैं और युवा सेना का हिस्सा होने के बाद लगातार राजनीतिक सीढ़ियां चढ़ते जा रहे हैं। हालिया संपन्न मुंबई यूनिवर्सिटी सीनेट इलेक्शन में शिवसेना यूबीटी की जीत का श्रेय भी वरुण सरदेसाई को दिया जाता है।
कैसे जीता शिवसेना लीडरशिप का भरोसा
अप्रैल 2022 में बीजेपी विधायक रवि राणा और उनकी पत्नी सांसद नवनीत राणा ने शिवसेना हेडक्वार्टर मातोश्री के बाहर हनुमान चालीसा पढ़ने
की धमकी दी थी, जिसके बाद वरुण सरदेसाई के नेतृत्व में युवा शिवसेना ने बीजेपी नेता के घर के बाहर जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया था। इसी प्रदर्शन के बाद नवनीत राणा ने अपनी धमकी वापस ले ली थी, इसके बाद सरदेसाई ने केंद्रीय मंत्री नारायण राणे के मुंबई स्थित आवास पर प्रदर्शन किया। इन प्रदर्शनों ने वरुण सरदेसाई को शिवसेना लीडरशिप का विश्वास जीतने में मदद की।
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2024 के लोकसभा चुनावों में वरुण सरदेसाई ने शिवसेना उम्मीदवारों के लिए चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी संभाली। साथ ही डाटा कलेक्शन और दूसरे अन्य कार्यों की जिम्मेदारी भी उठाई। बात चाहे 2017 के बीएमसी चुनावों की हों या 2018 के मुंबई यूनिवर्सिटी सीनेट चुनावों की या फिर लोकसभा चुनाव की… वरुण सरदेसाई लगातार शिवसेना के प्रचार की जिम्मेदारी संभालते रहे हैं। सरदेसाई का नाता भले ही सीधे तौर पर मातोश्री से जुड़ा हों, लेकिन सरदेसाई ने खुद को ग्रासरूट नेता के तौर पर स्थापित किया है।
वरुण सरदेसाई के सामने जीशान सिद्दीकी की चुनौती
बांद्रा ईस्ट सीट से पिछली बार जीशान सिद्दीकी कांग्रेस के टिकट पर जीते थे, लेकिन इस बार जीशान को एनसीपी अजीत पवार ने टिकट दिया है। हालांकि जीशान को अपने पिता बाबा सिद्दीकी की हत्या से उपजी सिम्पैथी का लाभ मिल सकता है। लेकिन, एकनाथ शिंदे की सत्ता का हिस्सा रहे अजीत पवार के खिलाफ भी सत्ता विरोधी लहर हैं और शरद पवार को छोड़ बीजेपी के साथ जाने के चलते एनसीपी समर्थकों में टूट देखने को मिल सकती है।
इसके साथ ही जीशान सिद्दीकी के परंपरागत वोट बैंक में भी टूट का अनुमान है। ऐसे में मराठी अस्मिता की राजनीति करने वाली शिवसेना को फायदा मिल सकता है। साथ ही शिवसेना उम्मीदवार के पक्ष में कांग्रेस का वोटबैंक जुड़ने से जीशान के लिए पिछला प्रदर्शन दोहरा पाना आसान नहीं होगा।