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मित्रों अब विदा…मांगने से बेहतर मर जाऊं… शिवराज सिंह के बयान आलाकमान से नाराजगी या भावुकता!

Shiv raj Singh Chouhan emotional in Budhani: सीएम शिवराज सिंह चौहान इन दिनों नैपथ्य में हैं। हालांकि वे सरकारी कार्यक्रमों से दूर अब जनता के बीच पहुंच रहे हैं। शायद लोकसभा चुनाव की तैयारी कर रहे हैं या किसी को कुछ संदेश देने की कोशिश कर रहे हैं।

Edited By : Rakesh Choudhary | Updated: Jan 3, 2024 14:11
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Shiv raj Singh Chouhan Lok sabha Election 2024
Shiv raj Singh Chouhan Lok sabha Election 2024

Shiv raj Singh Chouhan: एमपी में मोहन यादव मंत्रियों की शपथ के बाद विभागों का बंटवारा कर चुके हैं। अब सरकार चार्ज मोड में काम कर रही है। सीएम मोहन यादव समेत कई मंत्री पूरे प्रदेश के दौरे कर रहे हैं और संकल्प पत्र की घोषणाओं के क्रियान्वयन में जुटे हैं। सीएम मोहन यादव के सामने लोकसभा चुनाव 2024 बड़ा टारगेट है। ऐसे में संकल्प पत्र में की गई घोषणाओं को पूरा कर पार्टी मतदाताओं को किसी उलझन में नहीं डालना चाहती।

इस बीच एक चेहरा है जो इन दिनों समाचार पत्र और टीवी की सुर्खियों से गायब हैं जो कभी 17 सालों तक पार्टी का प्रदेश में मुख्य चेहरा रहे। इतना ही नहीं जनता उन्हें मामा के नाम से भी जानती है। शिवराज सिंह चौहान को लोग जन नेता की संज्ञा देते हैं। क्योंकि वो सीएम के पद पर रहे या नहीं रहे लेकिन पब्लिक में जरूर रहते हैं। पूर्व सीएम मंगलवार को अपने विधानसभा क्षेत्र बुधनी में थे यहां उन्होंने भाजपा कार्यकर्तााओं को संबोधित करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री का पद तो आता जाता रहता हैं लेकिन मामा का पद कोई नहीं छीन सकता।

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कई बार राजतिलक होते-होते वनवास हो जाता है

पूर्व सीएम यहीं नहीं रुके उन्होंने आगे कहा कि कहीं न कहीं कोई तो बड़ा उद्देश्य होगा वरना कई बार राजतिलक होते-होते वनवास हो जाता है। हालांकि इस दौरान पूर्व सीएम ने महिलाओं से भी मुलाकात की। जब शिवराज उनसे बात करने पहुंचे तो वे उनसे लिपटकर रो पड़ीं। पूर्व सीएम ने महिलाओं को भावुक होता देख अपने आंसू नहीं रोक पाए। उन्होंने कहा कि चिंता मत करना, मेरी जिंदगी आपके लिए है, मेरी बहनों के लिए हैं। धरती पर इसलिए आया हूं कि ताकि तुम्हारी जिंदगी में कोई तकलीफ ना रहे। मेरा पूरा जीवन बेटियों के लिए है।

पूर्व सीएम ने कहा कि मैं तुम्हें छोड़कर कहीं नहीं जाऊंगा। इस सभा में ये सभी छोटे-छोटे बच्चे अपने मामा के लिए आए हैं। भांजे-भांजियों के कल्याण में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे। यह कांग्रेस की नहीं बल्कि भाजपा की सरकार है। जो भी वादे हमनें चुनाव से पहले किए हैं वे सभी पूरे होंगे।

अब उनके इस बयान के मायने समझिए

एमपी में कैलाशचंद्र जोशी, सुंदरलाल पटवा, उमा भारती, बाबूलाल गौर के बाद शिवराज सिंह चौहान भाजपा के पांचवे सीएम थे। इनमें से सबसे अधिक कार्यकाल भी शिवराज सिंह चौहान का रहा। वे करीब 17 साल तक प्रदेश के सीएम रहें। इस बीच भाजपा में नई पीढ़ी के नेताओं को तैयार करने की एक कोशिश भाजपा आलाकमान कर रहा। इसी कड़ी में उनकी जगह मोहन यादव को प्रदेश की सत्ता सौंप दी गई। हालांकि शिवराज सिंह ने आलाकमान के दबाव में आकर यह कुर्सी छोड़ी है। इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता।

हालांकि चुनाव से पहले ही उनको आलाकमान से समझा दिया था कि इस बार आपको सीएम नहीं बनाया जाएगा। लेकिन बीच-बीच में पीएम मोदी अपनी रैलियों में सीएम शिवराज की तारीफ करते रहें। ऐसे में उनके मन में एक उम्मीद की किरण जगी रही क्योंकि पीएम मोदी अपने फैसलों से अक्सर चौंकाते रहे हैं। उनको लगा कि उनकी चुनाव जीतने के बाद ताजपोशी हो सकती है।

शिवराज को मिलकर रो रही 'लाड़ली बहनें' कह रही थीं, कहीं मत जाना भैया...।

चुनाव में की 200 से अधिक रैलियां

हालांकि शिवराज सिंह चौहान के लगातार सत्ता में रहने से उनके खिलाफ एंटी इंकमबेंसी भी थी मगर जनता के बीच वे जबरदस्त लोकप्रिय थे। कुल मिलाकर भाजपा और सीएम मोहन यादव शिवराज सिंह चौहान की फसल काट रहे हैं। क्योंकि चुनाव परिणाम के बाद एसबीआई के सर्वे में यह साफ हो चुका है कि लाड़ली बहना योजना गेमचेंजर साबित हुई। इसी योजना के दम पर पार्टी को छत्तीसगढ़ में भी सफलता मिलीं।

अब आगे क्या?

कुल मिलाकर शिवराज सिंह भाजपा आलाकमान को यह संदेश देना चाहते हैं कि भले ही उन्हें सीएम की कुर्सी से उतारकर मोहन यादव को सत्ता सौंप दीं। लेकिन उनका मन एमपी के बाहर नहीं लगता है। हालांकि सूत्रों की मानें तो उनको गृह मंत्री का पद ऑफर किया गया था लेकिन उन्होंने लेने से मना कर दिया। लेते भी कैसे क्यों कि मोहन यादव उनकी ही सरकार में उच्च शिक्षा मंत्री थे। भारतीय राजनीति में ऐसा यदा-कदा ही देखने को मिलता है कि पार्टी को कोई बड़ा नेता किसी जूनियर नेता के मार्गदर्शन में काम करें।

अब यहां पढ़ें उनके भावुक कर देने वाले बयान

7 दिसंबर- मामा और भैया से बड़ा कोई पद नहीं। इसके आगे तो इंद्र का सिंहासन भी बेकार हैं। इस दिन वे आभार जनसभा को संबोधित करने गुना गए थे।

13 दिसंबर- अपने लिए कुछ मांगने से बेहतर है मर जाऊं। इस दिन सीएम ने अपने पद से इस्तीफा दिया था। इसके बाद वे एक प्रेस वार्ता को संबोधित कर रहे थे।

14 दिसंबर- महात्मा कबीर का एक दोहा है जैसी की तैसी धर दिनी चदरिया। इसका अर्थ है कि हे प्रभु मैंने जिदंगी की चदरिया वैसी ही आपको लौटा दी है जैसी आपने मुझे दी थीं। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने भोपाल में शपथ ग्रहण समारोह से पहले इसी दोहे को दोहराया था।

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Edited By

Rakesh Choudhary

First published on: Jan 03, 2024 02:08 PM

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