Madhya Pradesh Assembly Election 2023 : मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में अबकी बार महंगाई, बेरोजगारी, स्वास्थ्य, शिक्षा, सड़क, बिजली, पानी समेत अन्य विकास के मद्दे गायब नजर आ रहा हैं। इन मुद्दों की जगह मुफ्त राशन, मुफ्त बिजली, जातिगत जनगणना, पुरानी पेंशन योजना, जैसे लुभावने वादों ने ले ली है। जिसके चलते असल चुनावी मुद्दे धुंधले पड़ गए हैं। सत्ताधारी दल बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही राज्य की जनता को मुफ्त की रेवडियां बांटने का वादा कर रही हैं। बीजेपी तो लाड़ली बहना योजना जैसी गैर जरूरी योजनाओं के नाम पर महिलाओं को 1250 रुपये महीने बांट रही हैं, जिससे सरकारी खजाना खाली हो रहा है और सरकार पर कर्ज बढ़ रही है।
लाडली बहना से नारी सम्मान तक
मध्य प्रदेश में बीजेपी सरकार लाडली बहना योजना के अंतर्गत एक करोड़ 31 लाख महिलाओं को 1,250 रुपये प्रतिमाह दे रही है, वहीं कांग्रेस नारी सम्मान योजना में 1,500 रुपये प्रतिमाह महिलाओं को देने का वादा कर रही है। इसके साथ ही मध्य प्रदेश में कर्मचारियों को पुरानी पेंशन योजना का लाभ, किसानों का दो लाख रुपये का कर्ज माफ और सौ यूनिट बिजली बिल माफ- दो सौ यूनिट हाफ जैसे लुभावने वादे किए जा रहे हैं।
यह भी पढ़ें : नारायण त्रिपाठी कांग्रेस में शामिल होंगे या अपनी पार्टी से लड़ेंगे चुनाव? दल बदलने का इनका है पुराना रिकार्ड
मध्य प्रदेश में आम जनता के लिए विकास मुद्दा तो है, लेकिन मध्य प्रदेश के लोग जितना विकास है उसेस संतुष्ट हैं और उसी पर खुश होते रहते हैं। ऐसे में विकास का मुद्दा गौण हो जाता है। महंगाई जरूर लोगों को नजर आती है, लोग इसको कम करना चाहते हैं, लेकिन केंद्र राज्य सरकार की योजनाओं में फ्री में मिलने वाले राशन, इलाज, लाड़ली योजना की राशि, कम पैसे में सिलेंडर से लोगों को लगता है कि सरकार उनके लिए काम कर रही है। ऐसे में महंगाई वाला मुद्दा भी फीका पड़ने लगता है। मतलब योजनाओं का लाभ पा पहे लोगों को इससे भी बड़ी परेशानी नहीं है। मध्यमवर्गीय लोगों को इससे थोड़ी परेशानी होती है।
मध्य प्रदेश सरकार पर 54 हजार करोड़ का कर्ज
मध्य प्रदेश में चुनावी साल में हो रही फ्री वाली घोषणाएं सरकार के खजाने को खाली कर देंगी। वित्त वर्ष 2023 के बजट के मुताबिक सरकार की आमदनी 2.25 लाख करोड़ रुपए है और खर्च 54 हजार करोड़ से ज्यादा का है। चुनावी साल में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान 23 हजार करोड़ की नई घोषणाएं कर चुके हैं। अकेले लाड़ली बहना योजना पर ही सालाना 19 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। इसका असर आने वाले समय में प्रदेश में महंगाई ज्यादा बढ़ जाएगी।
राजनीतिक दल क्यों बांट रहे हैं मुफ्त की रेवडी
चुनावों में मुफ्त की रेवडी (फ्रीबीज स्कीम) राजनीतिक दलों का सत्ता हासिल करने का बड़ा हथियार होता है। सभी दल सत्ता में काबिज होने और वोटरों को लुभाने के लिए मुफ्त में चीजें देने का वादा करते हैं। इन घोषणाओं से राजनीतिक दलों को स्वार्थ तो सध जाता है, लेकिन आगे महंगाई से जनता को परेशानी होती है।
यह भी पढ़ें : MP के मंडला में प्रियंका गांधी ने सीएम शिवराज पर साधा निशाना, बोलीं- हम चाहते हैं आप लोग मजबूत बनें