Dhar Miracle Case: मध्य प्रदेश के धार जिले से एक ऐसा मामला सामने आया जिसे सुनकर हर कोई हैरान रह गया, जबकि जिन लोगों ने यह नजारा देखा तो उन्हें उनकी आंखों पर भी विश्वास नहीं हो रहा था। क्योंकि एक मरा हुआ शख्स जिंदा होकर वापस अपने घर लौट आया था। यह कहानी इतनी फिल्मी है कि हर कोई सुनते ही रह जाता है। क्योंकि जिस मां-बाप ने अपना बेटा खो दिया, एक पत्नी विधवा हो गई, परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा था, लेकिन दो साल बाद उनके घर में खुशियां वापस लौट आई।
यह है पूरा मामला
यह पूरा मामला तब का है जब कोरोना अपने चरम पर था। धार जिले की बदनावर तहसील में आने वाले कड़ोदकला गांव का युवक कमलेश पाटीदार कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमित हो गया था। कड़ोदकला का रहने वाला कमलेश पिता गेंदा लाल पाटीदार कोरोना की दूसरी लहर में संक्रमित हो गया था परिजनों ने उसे इलाज के लिए इंदौर में भर्ती करवाया गया था। लेकिन बाद में उसके शरीर में खून के थक्के जमने लगे ऐसे में परिवार के लोग उसको बड़ौदा के निजी अस्पताल में ले गए, जहां पर उसे भर्ती कराया गया लेकिन इलाज के दौरान डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया गया।
युवक कोरोना से पूरी तरह से ठीक नहीं हुआ था, ऐसे में क्योंकि कोरोना पॉजिटिव बॉडी होने से मृतक के शव को पूरी तरह पैक कर परिजनों सौंप दिया गया, परिजनों ने भी डॉक्टर की बात को माना और अंतिम संस्कार कर दिया, इस दौरान किसी ने युवक का चेहरा नहीं देखा था। सब अपने गांव वापस लौट आए। घर पर भी अंतिम संस्कार की सभी रीतियां पूरी की गई, कमलेश की पत्नी रेखा बाई अपने आप को विधवा मान चुकी थी। लेकिन दो साल बाद पूरा मामला बदल गया।
परिजनों को आंखों पर नहीं हुआ विश्वास
15 अप्रैल को शनिवार के दिन अचानक कुछ ऐसा हुआ, जिसे देखकर कमलेश के परिजनों को अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ। क्योंकि धार जिले के सरदारपुर के बड़वेली गांव में कमलेश नामक युवक अपने मामा के घर के बाहर का दरवाजा थपथपाया। मामा ने जैसे ही अपने भांजे को दरवाजे पर देखा तो उनको अपनी आंखों पर विश्वास नहीं हुआ, लेकिन कुछ ही देर में उनको यह विश्वास हो गया कि यह उनका ही भांजा है।
पत्नी की खुशी का नहीं रहा ठिकाना
जिसके बाद वह उसे तुरंत उसके गांव लेकर पहुंचे, जैसे ही एक मां-बाप के लिए मरा हुआ बेटा जिंदा घर लौटा तो खुशी के आंसू निकले, वहीं 2 साल से विधवा का जीवन जी रही उसकी पत्नी ने भी फिर से अपनी मांग में सिंदूर हाथों में चूड़ा पहन लिया। क्योंकि पति को जिंदा देखकर उनके चेहरे पर खुशी लौट आई थी। यहां पर कमलेश ने अपनी पत्नी की मांग फिर से एक बार सिंदूर से भरा और उसे फिर से सुहागन बना दिया। हालांकि अभी कमलेश कुछ भी बोलने की स्थिति में नहीं है। वह डरा हुआ लग रहा है, ऐसे में वह कैसे जिंदा बचा, उसके साथ क्या हुआ। यह सब मामले का अब तक खुलासा नहीं हुआ है।
इस तरह मामा के घर पहुंचा कमलेश
कमलेश सुबह 5 बजे मध्य प्रदेश परिवहन की बस से अहमदाबाद से सरदारपुर फोरलेन से उतरकर कमलेश पैदल 6 किलोमीटर पैदल चलकर अपने मामा के घर बडवेली पहुंचा था। कुछ देर के लिए सभी घबरा गए थे, लेकिन कमलेश ने बताया कि मैं अहमदाबाद से भाग कर आया हूं, मैं जिंदा हूं मुझ पर विश्वास करो तो परिवार वाले भी आश्चर्य करने लगे, जिसके बाद उसे उसके घर लाया गया।
बंधक बनाने की बात आ रही सामने
बताया जा रहा है कि कमलेश को एक कार सवार में बिठाकर अहमदाबाद से कही और आगे ले जाया जा रहा था, कमलेश को हरदिन नशे का इंजेक्शन भी दिया जाता था। जिस कार में कमलेश सवार था उस कार को गुजरात के अहमदाबाद के आगे ढाबे पर रोका गया, इस दौरान कमलेश बेहोशी का नाटक कर सोता रहा, कार वालों के जगाने पर भी वह नहीं जागा, ऐसे में कार में सवार लोगों को लगा कि वह बेहोश हैं, ऐसे में वह उसे कार में ही छोड़कर ढाबे पर खाना खाने चले गए।
यहां मौका देखकर कमलेश कार में से उतर कर वहां खड़ी मध्य प्रदेश राज्य परिवहन की बस में चढ़कर सीट के नीचे छुप गया, जहां थोड़ी देर में बस भी ढाबे से निकल पड़ी बस वालों को कहानी सुनाने पर वह भी बिना किराए लिए यहां ले आए। सरदारपुर पुलिस ने भी मामले की जांच की बात कही है।