MP News: ज्ञानवापी मामले को लेकर अब मध्यप्रदेश में भी माहौल गरमाया हुआ है। भोपाल के जामा मस्जिद को लेकर हिंदू संगठन ने मंदिर होने का दावा किया है। इतना ही नहीं, एमपी में धार का भोजशाला, रायसेन का सोमेश्वर मंदिर और विदिशा के बीजामंडल को लेकर लगातार ज्ञानवापी की तरह ही मंदिरों को लेकर मांगें उठाई जा रही हैं।
हिंदू संगठन लगातार दावा कर रहे हैं कि मंदिर को तोड़कर उसपर मस्जिदें बनाई गईं। ये विवाद सालों से चला आ रहा है, लेकिन एक ओर जहां दशकों के विवाद के बाद अयोध्या पर अब फैसला आ चुका है और अयोध्या में भव्य राम मंदिर का निर्माण हो रहा है तो वहीं ज्ञानवापी में सर्वे शुरु हो चुका है। ऐसे में अब एमपी में विवादित स्थलों को लेकर नए सिरे से मांग उठने लगी है।
एमपी में कितने ‘ज्ञानवापी’?
धार जिले के भोजशाला में भी विवाद चल रहा है। हिंदू समुदाय का दावा है कि भोजशाला में सरस्वती की प्रतिमा थी। उन्होंने ये भी दावा किया कि यह शिक्षा का केंद्र था। भोजशाला को 10वीं सदी में राजा भोज ने बनवाया था। दावा किया जा रहा है कि 13वीं सदी और खिलजी वंश के शासन में इसे मस्जिद में तब्दील कर दिया गया। इसे लेकर कोर्ट में मामला चल रहा है। खास बात यह है कि यहां बसंत पंचमी पर मां सरस्वती की विशेष पूजा होती है। पूजा और नमाज के दौरान कड़ी सुरक्षा रहती है।
वहीं रायसेन जिले में स्थित किले में सोमेश्वर शिव मंदिर का दावा किया जाता है। मंदिर में दशकों से ताला लगा हुआ है। इसे लेकर पूर्व सीएम उमा भारती ताला खोलने की मांग कर चुकी हैं। कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा ने भी इसी तरह की मांग की। मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाने का दावा किया जा रहा है। एएसआई ने किसी विवाद से बचने के लिए ताला लगा रखा है। मंदिर में शिवलिंग की पूजा की मांग भी की जा रही है। महाशिवरात्री पर सिर्फ पुजारी को पूजा करने की इजाजत है।
विदिशा के बीजा मंडल स्थित प्राचीन मंदिर को लेकर भी इसी तरह का दावा किया जा रहा है। प्राचीन बीजामंडल मंदिर किले में स्थित है। हिन्दू भक्तों ने इस मंदिर को खोलने की मांग की है। हिंदू संगठनों का आरोप है कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई। खुदाई में मंदिर के अवशेष मिलने का भी दावा किया जा रहा है। तहखाने में मंदिर के गेट पर ताला लगा है। हिंदू संगठनों ने मंदिर खोलने की मांग की है। जबकि ASI ने किले में तालाबंदी कराई है।
एमपी के इन मस्जिदों के मंदिर होने के पीछे क्या हैं तर्क?
भोपाल जामा मस्जिद को लेकर दावा किया गया था। कहा गया कि 1908 के भोपाल गजिटर में मंदिर के मस्जिद बनाने का जिक्र है। वहीं नवाब के सील मोहर के साथ भोपाल गजिटर जारी हुआ था। नवाब कुदसिया बेगम ने मंदिर हटाकर मस्जिद बनाने का जिक्र किया था। दावा किया गया कि 1857 में 5 लाख रुपये की लागत से मंदिर की जगह मस्जिद बनाई गई। भोपाल में सभा मंडप के नाम से शिव मंदिर था।
बीजा मंडल में क्या है?
1- सूर्य की 12 रश्मियों को समर्पित 12 मंदिर
2- 8वीं से 11वीं शताब्दि में बनी सैकड़ों मूर्तियां
3- ऊंचे मंडप पर बना विजया मंदिर
4- नक्काशीदार स्तंभ
5- प्राचीन पक्का कुआं
6- 11वीं सदी की 10 हाथ वाली देवी प्रतिमा
7- उमा और महेश की खंडित प्रतिमा
8- बीजा मंडल म्यूजियम
9- सीढ़ीदार बाबड़ी पर कृष्णलीला
10- स्तंभ पर चर्चिका देवी का शिलालेख
11- अधूरी बनी मीनारें
12- बाबड़ी के पास कब्रें
13- बगीचे में सैकड़ों खंडित कलाकृतियां
14- सिंह की आकृति के कीर्तिमुख
रायसेन के सोमेश्वर शिव मंदिर को लेकर दावा
10वीं से 11वीं शताब्दी के बीच मंदिर बना।
परमारकालीन राजा उदयादित्य ने इसे बनवाया
राजघराने की महिलाएं पूजा-अर्चना करती थीं।
सोमेश्वर मंदिर में 2 शिवलिंग स्थापित हैं।
सन् 1543 मंदिर के रूप में प्रतिष्ठित रहा।
सन् 1543 में शेरशाह का कब्जा।
सन् 1543 – शिवलिंग हटाकर मस्जिद घोषित किया गया।
गणेश जी की मूर्ति समेत चिह्न स्थापित रहे।
साल 1974 – शिवलिंग की प्राण-प्रतिष्ठा के लिए आंदोलन।
तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाशचंद्र सेठी ने प्राण-प्रतिष्ठा कराई।
धार भोजशाला मंदिर
– वाग्देवी की प्रतिमा का स्थान
– यज्ञशाला
– गुंबद में बना अष्टकमल
– खंबों पर हिंदू प्रतीक चिन्ह
– 13वीं शताब्दि के शिलालेख
– स्तंभों पर कीर्ति चिन्ह
– कालसर्प यंत्र
– कवि मदन की नाट्य रचनाएं
– खंडित मूर्तियां
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