Kerala: केरल के कोच्चि में रहने वाली 17 साल की एक बेटी ने समाज के लिए मिशाल पेश की है। उसने अपने बीमार पिता की जान बचाने के लिए अपने लिवर का कुछ हिस्सा दान कर दिया। उसके इस काम के लिए हाईकोर्ट को भी नियम बदलना पड़ा है। यह केस देश का इकलौता है, जहां एक नाबालिग को अंगदान की अनुमति कोर्ट से मिली है।
डॉक्टरों का कहना है कि पिता-पुत्री, दोनों स्वस्थ्य हैं। देवनंदा की बहादुरी को देखते हुए डॉक्टरों ने सर्जरी का बिल भी माफ कर दिया है।
केरल: त्रिशूर में एक 17 वर्षीय लड़की ने अपने बीमार पिता को बचाने के लिए अपने लिवर का एक हिस्सा दान किया।
---विज्ञापन---दान करने वाली लड़की देवानंद ने बताया, "मैं अपने पिता की जान बचाने के लिए यह किया है। इस बीमारी के दौरान हमने बहुत कुछ सहा है। किसी और परिवार को इस तरह की पीड़ा न झेलनी पड़े।" pic.twitter.com/Bx31SP3ulp
— ANI_HindiNews (@AHindinews) February 20, 2023
नहीं मिल रहा था डोनर
त्रिशूर की रहने वाली देवनंदा 12वीं में पढ़ती है। उसके पिता लीवर की गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे। डॉक्टरों ने लिवर ट्रांसप्लांट कराने की सलाह दी थी। देवनंदा ने पिता के लिए डोनर तलाशना शुरू किया। लेकिन उनका ब्लड ब्रुप बी निगेटिव था, इसलिए कोई डोनर नहीं मिल रहा था।
2022 में हाईकोर्ट से मांगी अनुमति
इसी बीच देवनंदा को पता चला कि उसका ब्लड ग्रुप ओ पॉजिटिव है, जो यूनिवर्सल होता है। डॉक्टरों ने सलाह दी कि वह अपने पिता को लीवर डोनेट कर सकती है। उसने परिवार को मनाया और आगे की प्रक्रिया शुरू की। उसने 2022 में केरल हाईकोर्ट से अंगदान करने की छूट मांगी थी। कारण देश में नाबालिगों को अंगदाता बनने की अनुमति नहीं है। कोर्ट ने उसकी अर्जी को स्वीकार कर लिया।
जस्टिस ने की देवनंदा की तारीफ
जस्टिस वीजी अरुण ने 20 दिसंबर 2020 को अपने आदेश में कहा कि देवनंदा की अथक लड़ाई आखिरकार रंग लाई। 9 फरवरी को देवनंदा ने अपने पिता को लिवर का एक हिस्सा डोनेट किया।
एक हफ्ते अस्पताल में रहने के बाद वह डिस्चार्ज होकर घर आ गई है। अभी पिता अस्पताल में भर्ती हैं। वह उनका घर आने का इंतजार कर रही है।
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