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58 साल में हरियाणा से सिर्फ ये 6 महिलाएं पहुंचीं संसद, इस नेता के नाम दर्ज है अनोखा रिकॉर्ड

Haryana Assembly Elections 2024: हरियाणा की धरती से अब तक सिर्फ 6 महिलाएं ही संसद की दहलीज तक पहुंच सकी हैं। 2014 में 32 महिलाओं ने चुनाव लड़ा था। लेकिन किसी को भी जीत नसीब नहीं हुई। सबसे ज्यादा बार सांसद बनने का रिकॉर्ड एक महिला नेता के नाम पर है। 2004 में दो महिलाएं सांसद का चुनाव जीती थीं।

Edited By : Parmod chaudhary | Updated: Aug 25, 2024 14:37
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Haryana Assembly Elections 2024

Haryana Assembly Elections: हरियाणा के गठन को 58 साल हो चुके हैं। अब तक 14 बार आम चुनाव हो चुके हैं। लेकिन सिर्फ 6 ही महिलाएं आज तक संसद की चौखट तक पहुंच सकी हैं। महिलाओं की बराबरी की बात तो खूब होती है, लेकिन टिकट देते समय उनकी अनदेखी की जाती है। 2019 के आम चुनाव में 11 महिलाओं को प्रत्याशी बनाया गया था। सिरसा से बीजेपी के टिकट पर जीत सिर्फ सुनीता दुग्गल को मिली। 2014 में 32 महिलाओं को प्रत्याशी बनाया गया था। किसी को जीत नहीं मिली। 2009 में अंबाला से कुमारी सैलजा और भिवानी से श्रुति चौधरी ने जीत हासिल की थी। अगर बात करें तो महिलाओं के सामने चौधरी बंसीलाल, कुलदीप शर्मा, राव इंद्रजीत और अजय चौटाला जैसे नेता भी हार चुके हैं।

चंद्रावती ने बंसीलाल जैसे नेता को हराया

चरखी दादरी की रहने वाली चंद्रावती 1977 में पहली महिला सांसद बनी थीं। जिन्होंने पूर्व सीएम बंसीलाल को भिवानी से हराया था। डीयू से वकालत कर चुकीं चंद्रावती 6 बार MLA बनी थीं, 1 बार MP। 1990 में वे 11 महीने पुडुचेरी की उप राज्यपाल रहीं। 92 साल की आयु में उनका 2020 में कोविड की वजह से निधन हो गया था।

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कुमारी सैलजा की पहचान दलित नेता के तौर पर होती है। उनके पिता दलबीर सिंह सिरसा से 4 बार सांसद रहे। सैलजा 1991 और 1996 में सिरसा से MP बनीं। 2004 और 2009 में अंबाला से चुनाव जीतीं। 2024 में वे फिर सिरसा से चुनी गई हैं। पीयू से पासआउट सैलजा 1990 में राजनीति में आई थीं। वे 3 बार केंद्र में मंत्री रह चुकी हैं। 34 साल के सियासी सफर में केंद्र की राजनीति में अधिक सक्रिय रही हैं।

कैलाशो सैनी को 2 बार हासिल हुई जीत

वहीं, कैलाशो सैनी 2 बार कुरुक्षेत्र से MP रही हैं। 1998 और 1999 में इनेलो के टिकट पर यहां से जीतीं। वे मूल रूप से कुरुक्षेत्र के गांव प्रतापगढ़ की रहने वाली हैं। बाद में वे कांग्रेस में शामिल हो गई थीं। लाडवा से दो बार विधायक बनने के लिए इलेक्शन लड़ा, लेकिन जीत नहीं मिली।

वहीं, सुनीता दुग्गल 2019 में सिरसा से 3 लाख से अधिक वोटों से जीतीं। उन्होंने कांग्रेस नेता अशोक तंवर को हराया। वे पहले IRS अफसर थीं। जिन्होंने चुनाव लड़ने के लिए VRS लिया था। वे रतिया से विधानसभा चुनाव हार चुकी हैं। उनके पति राजेश दुग्गल IPS अफसर हैं। उनके भाई सुमित कुमार HCS अधिकारी हैं।

बंसीलाल की विरासत को आगे बढ़ा रहीं श्रुति

वहीं, श्रुति चौधरी हरियाणा के पूर्व सीएम बंसीलाल की पोती हैं। जो 2009 में भिवानी-महेंद्रगढ़ से सांसद बनीं। उनकी मां किरण चौधरी कांग्रेस की वरिष्ठ नेता रही हैं। जो अब BJP में शामिल हो चुकी हैं। पति सुरेंद्र सिंह की मौत के बाद वे राजनीति में आईं। इसके बाद 2014, 2019 में श्रुति ने फिर चुनाव लड़ा, लेकिन जीत नसीब नहीं हुई।

सुधा यादव 1999 में गुरुग्राम से भाजपा के टिकट पर जीती थीं। उन्होंने दिग्गज नेता राव इंद्रजीत को हराया था। सुधा यादव के पति सुखबीर यादव BSF के डिप्टी कमांडेंट थे। जो कारगिल में शहीद हुए। सुधा यादव को राजनीति में लाने वाले पीएम मोदी ही हैं। उनके कहने पर ही सुधा ने पहला चुनाव 1999 में लड़ा। 2022 में सुधा को भाजपा संसदीय बोर्ड में शामिल किया गया था। बोर्ड में वे एकमात्र महिला हैं।

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Written By

Parmod chaudhary

First published on: Aug 25, 2024 02:37 PM

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