ठाकुर भूपेन्द्र सिंह, अहमदाबाद: गुजरात में अब तक के सबसे बड़े सट्टाकांड का खुलासा हुआ है जिसके तार भारत के अलावा विदेशों से भी जुड़े हैं। इस मामले में अब तक 4 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। जिनसे सैकड़ों डेबिट कार्ड चेक बुक, दर्जनों स्वाइप मशीन और सिम कार्ड जप्त किए गए हैं। हजारों करोड़ों के इस सट्टाकांड के लिए गुजरात पुलिस ने न सिर्फ विशेष जांच दल बनाया है बल्कि और भी कई एजेंसियों को जांच में शामिल किया जा रहा है।
प्रिवेंशन ऑफ क्राइम यूनिट की बड़ी कार्रवाई
क्रिकेट और सट्टेबाजी कोई नई बात नहीं है, लेकिन पिछले कई सालों से लगातार देश की सुरक्षा एजेंसियां इस पर लगाम लगाने के लिए हाथ पैर मारती आई हैं। बड़े-बड़े रैकेट का पर्दाफाश कर बुकियों को सलाखों के पीछे धकेलने का काम भी किया जा चुका है, लेकिन सट्टेबाज भी नए-नए रास्ते ढूंढ़ निकालते हैं। इस बार पुलिस के हाथ अहमदाबाद की एक फर्म लगी, जहां से अब तक के सबसे बड़े सट्टेबाजी के नेटवर्क का खुलासा हुआ है। दरअसल, तीन दिन पहले प्रिवेंशन ऑफ क्राइम यूनिट ने खुफिया जानकारी के आधार पर अहमदाबाद के मधुपुरा स्थित सुमैल बिजनेस पार्क में फर्म पर छापा मारा। इस कार्रवाई में जितेंद्र हीरागर, सतीश परिहार, अंकित गहलोत और नीरव पटेल को गिरफ्तार किया गया। इस छापेमारी में पुलिस को मौके से 538 डेबिट कार्ड, 536 चेक बुक, 193 सिम कार्ड, 14 स्वाइप मशीन, तीन लैपटॉप और मोबाइल फोन मिले। पूछताछ में पता चला कि हर्षित जैन नाम का एक व्यक्ति महावीर एंटरप्राइजेज नाम की फर्म की आड़ में क्रिकेट सट्टेबाजी और डब्बा ट्रेडिंग का बड़ा अवैध कारोबार कर रहा है।
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क्रिकेट सट्टा और हजारों करोड़ की डब्बा ट्रेडिंग
छापेमारी की शुरुआती कार्रवाई के जरिए गुजरात में क्रिकेट सट्टे के नेटवर्क और दो हजार करोड़ रुपए का डब्बा ट्रेडिंग घोटाला उजागर हुआ है, लेकिन जब जांच अधिकारी ने गिरफ्तार किए गए जितेंद्र का मोबाइल खंगाला तो क्रिकेट सट्टा साइट पर ऑनलाइन सट्टेबाजी की डिटेल मिली। जिसके बाद उससे पूछताछ में एक के बाद एक कई चौंकाने वाले खुलासे हुए। उसने बताया कि शाहीबाग घेवर कॉम्प्लेक्स के पास पल्लवी सोसाइटी में रहने वाले हर्षिल बाबूभाई जैन इस ऑफिस का मालिक है और उनका क्रिकेट सट्टा और डब्बा ट्रेडिंग का नेटवर्क है। जांच में ये भी पता चला की 500 से भी ज्यादा डमी बैंक खाते फर्जी दस्तावेजों के आधार पर जितेंद्र और डी केबिन साबरमती में रहने वाले जिगर भावसार नाम के शख्स ने खुलवाए गए थे।
राजस्थान तक फैला जाल
बाद में उन्होंने उन दस्तावेजों का इस्तेमाल मोबाइल सिम कार्ड लेने के लिए किया। दूसरी ओर, वह बैंक से चेक बुक और डेबिट कार्ड को पहले ही बैंक से प्राप्त कर लेता था। बाद में जितेंद्र राजस्थान में रहने वाले कोड नेम डेविड और मैसी, अहमदाबाद के निकुंज अग्रवाल और कुणाल, मुंबई के गरुड़ नाम के युवकों को यह सिम कार्ड भेजता था, जो ऑनलाइन बैंकिंग से अलग-अलग साइटों में लॉग इन कर सट्टेबाजी साइटों के मालिकों के साथ सट्टेबाजों और सट्टेबाजों के बीच वित्तीय लेनदेन करते थे। जिसमें हर्षिल को एक लाख के वित्तीय लेनदेन में साढ़े तीन फीसदी कमीशन मिल रहा था। शुरूआती जांच के दौरान यह भी खुलासा हुआ कि क्रिकेट सट्टा में अलग अलग डमी बैंक खातों में अब तक दो हजार करोड़ रुपये का लेन-देन किया जा चुका है। साथ ही वेलोसिटी सर्वर का उपयोग कर करोड़ों रुपए के वित्तीय लेन-देन किए गए जिसकी गिनती 10 से 15 हजार करोड़ तक जा सकती है।
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दुबई के आठ सट्टेबाजों के नाम शामिल
जब पुलिस को लगा कि ये बड़ा सट्टेबाजी का मामला हो सकता है तो इस कांड को गंभीरता से जांचना शुरू किया और। इस जांच में दुबई में बैठे आठ सबसे बड़े सट्टेबाजों के नाम सामने आए हैं। साथ ही पीसीबी को मामले की जांच में आठ क्रिकेट सट्टेबाजी वेबसाइटों की जानकारी मिली जिनपर लॉगइन कर सटोरिए न केवल भारत बल्कि विदेशों में भी सट्टा बुक करते थे। सट्टा बेटिंग वेबसाइट को दुबई के सट्टेबाज और इस कांड के मुख्य सूत्रधार सौरभ चंद्राकर उर्फ़ महादेव अमित मजेठिया, मानुस शाह, अन्ना रेड्डी, कमल, कार्तिक, जितेंद्र ठक्कर और विवेक जैन चलाते थे। सट्टेबाजों ने आईपीएल मैचों के लिए कई नई लाइनें शुरू कीं।
डीसीपी भारती पंड्या के नेतृत्व में बनाई गई टीम
मामले की गंभीरता और गहराई देखते हुए कमिशनर ने तुरंत एक विशेष जांच दल की नियुक्ति की। जिसमें एसीबी में काम का अच्छा अनुभव रखने वाली डीसीपी भारती पंड्या के नेतृत्व में टीम बनाई गई। पीसीबी ईडी, इनकम टैक्स और एफएसल और चार्टेड अकाउंट को भी इस जांच का हिस्सा बनाया गया है। गुजरात में अब तक के पकड़े गए अब तक के सबसे बड़े सट्टेबाजी-डब्बा ट्रेडिंग मामले में दो दस से पंद्रह हजार करोड़ रुपए का लेन-देन को देखते हुए इस मामले में प्रवर्तन निदेशालय, आयकर विभाग और दूरसंचार नियामक प्राधिकरण को भी शामिल किया जा सकता है। इस मामले में फिलहाल हर्षिल सहित 20 लोगों के खिलाफ आईपीसी, सूचना प्रौद्योगिकी संशोधन अधिनियम और सुरक्षा अनुबंध विनियमन अधिनियम के तहत अपराध दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
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