Delhi Air Pollution due to Stubble Burning: दिल्ली की हवा इतनी जहरीली है कि देखकर ही दम घुटने लगेगा। इस जहरीली हवा में सांस लेना तो जानलेवा साबित हो सकता है। स्मॉग के साथ घने कोहरे की चादर ने हालात काफी खराब कर दिए हैं। सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड (CPCB) के मुताबिक, सोमवार सुबह दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 481 रिकॉर्ड हुआ। 25 से ज्यादा इलाकों में AQI करीब 500 बना हुआ है।
CPCB के अनुसार, दिल्ली में 37% वायु प्रदूषण पराली जलाने के कारण हुआ है। 12% वायु प्रदूषण का कारण वाहनों से पैदा होने वाला धुंआ और कार्बन उत्सर्जन है। एक रिपोर्ट के अनुसार, पंजाब में रविवार को भी पराली जलाने की 404 घटनाएं दर्ज की गईं। इससे एक दिन पहले 136 जगहों पर पराली जलाई गई थी, जबकि पंजाब सरकार ने पराली जलाने पर पाबंदी लगाई हुई है। निगरानी की जा रही है, इसके बावजूद किसान पराली जला रहे हैं।
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वायु प्रदूषण बढ़ाने में पंजाब का योगदान ज्यादा
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मौसम विशेषज्ञों ने बताया कि 13 नवंबर से राजधानी की ओर उत्तर-पश्चिमी हवाएं बह रही हैं। यह हवाएं पंजाब और हरियाणा में खेतों में पराली जलाने से निकलने वाले धुएं को दिल्ली पहुंचा रही हैं। इसके परिणामस्वरूप पराली जलाना दिल्ली के PM 2.5 में योगदान देने वाला सबसे बड़ा राज्य बन गया है।
पंजाब में धान की कटाई का मौसम खत्म होने वाला है, लेकिन खेतों में पड़ी पराली में आग लगाने की घटनाओं में कोई कमी नहीं आई है। इसलिए दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर इस बार सर्दी के सीजन की शुरुआत में ही गंभीर श्रेणी में पहुंच गया है। ग्रैप के 4 फेज नवंबर के पहले 18 दिन में ही लागू हो चुके हैं। अब दिल्ली की सरकार ऑड-ईवन सिस्टम लागू करने पर विचार कर रही है, क्योंकि दिल्ली में वाहनों से निकलने वाले धुएं से भी वायु प्रदूषण फैलता है।
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पंजाब के मालवा में जलाई जा रही ज्यादा पराली
स्काईमेट मौसम विज्ञान के उपाध्यक्ष महेश पलावत ने बताया कि 13 नवंबर से पहले हवा की दिशा परिवर्तनशील थी। इसमें उतार-चढ़ाव आता रहता था। पिछले 5 दिन से हवा लगातार उत्तर-पश्चिमी दिशा में बह रही है, जिससे न केवल गंगा के मैदानी इलाकों में कोहरे की परत फैली है, बल्कि पंजाब और हरियाणा से भी धुआं दिल्ली की ओर आ रहा है। उत्तर-पश्चिमी हवाएं जारी रहने की उम्मीद है, जिसका मतलब यह है कि खेतों में आग लगना आगे भी वायु प्रदूषण का कारक बना रहेगा।
रविवार को पंजाब में खेतों में आग लगाने जो 404 घटनाएं रिकॉर्ड हुईं, उनमें से 332 घटनाएं मालवा जोन में दर्ज की गईं, जो राज्य के दक्षिण में स्थित है और इसमें अभी भी धान की कटाई जारी है। मालवा में जिला आयुक्तों और पुलिस ने पहले ही पराली जलाने की समस्या से निपटने के लिए अतिरिक्त सतर्कता बरतने का निर्देश दिया हुआ है। राज्य में धान की कटाई लगभग पूरी हो चुकी है, इसलिए अगले कुछ दिन में पराली जलाने की घटनाओं में भारी गिरावट दर्ज होने की संभावना है।
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