दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय (IGI) हवाई अड्डे की पुलिस टीम ने एक बड़े फर्जी वीजा घोटाले का पर्दाफाश किया है, जिसमें एक व्यक्ति को ऑस्ट्रेलिया भेजने के बहाने 2200 अमेरिकी डॉलर ठग लिए गए थे। पुलिस ने इस मामले में एक धोखेबाज को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने गिरफ्तार किए गए धोखेबाज की पहचान कुलदीप सिंह (31 साल) पुत्र दयाल सिंह, निवासी ग्राम-मलूक चक, गुरदासपुर, पंजाब के रूप में हुई है। कुलदीप को चेन्नई से गिरफ्तार किया गया। उसने पीड़ित खेमचंद बोरवाल को ऑस्ट्रेलिया का वीजा और उड़ान की व्यवस्था करने का झांसा दिया और IGI हवाई अड्डे पर नकदी लेकर फरार हो गया था।
कैसे शुरू हुआ धोखा?
यह मामला तब सामने आया जब मुंबई के चेंबूर निवासी खेमचंद बोरवाल ने 9 जून को IGI हवाई अड्डा पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई। बोरवाल ने बताया कि वह फेसबुक पर “गुरजीत कौर” नामक व्यक्ति द्वारा पोस्ट किए गए। एक विज्ञापन के संपर्क में आए थे, जिसमें विदेशी वीजा दिलाने में मदद करने का दावा किया गया था। पेशेवर कठिनाइयों का सामना कर रहे बोरवाल ने ऑस्ट्रेलिया का वीजा लेने के लिए मदद मांगी। आरोपी ने बोरवाल को आश्वासन दिया कि वीजा शुल्क सहित कोई अग्रिम भुगतान नहीं होगा। इसके अलावा दावा किया कि उनकी टीम उन्हें ऑस्ट्रेलिया भेजने की पूरा प्रोसेस संभालेगी।
इन आश्वासनों से आश्वस्त होकर बोरवाल ने अपने पासपोर्ट की एक तस्वीर साझा की। इसके बाद में उन्हें एक ऑस्ट्रेलियाई वीजा मिला और 6 जून, को 2200 अमेरिकी डॉलर नकद लेकर दिल्ली आने का निर्देश दिया गया। IGI हवाई अड्डे के टर्मिनल 3, गेट नंबर 5 पर पहुंचने पर बोरवाल ने आरोपी से मुलाकात की। आरोपी ने नकदी ले ली और बोर्डिंग पास और रसीद लाने का वादा किया। हालांकि, लगभग एक घंटे इंतजार करने के बाद बोरवाल को एहसास हुआ कि उनके साथ धोखाधड़ी हुई है। हवाई अड्डा अधिकारियों ने पुष्टि की कि उन्हें दिया गया वीजा और उड़ान टिकट दोनों ही नकली थे।
जांच के लिए टीम का गठन
इस मामले को सुलझाने के लिए SHO/IGI हवाई अड्डा के नेतृत्व में एक समर्पित टीम का गठन किया फिर टीम ने हवाई अड्डे के अलग-अलग क्षेत्रों के सीसीटीवी फुटेज का बारीकी से विश्लेषण किया, लेकिन शुरुआत में आरोपी के बारे में कोई ठोस सुराग नहीं मिला। पीड़ित द्वारा दी गई जानकारी के आधार पर संभावित ठिकानों पर छापे भी मारे गए, लेकिन आरोपी पकड़ में नहीं आया। लगातार प्रयासों और मानवीय खुफिया जानकारी के जरिए टीम ने चेन्नई में कुलदीप सिंह का पता लगाया और उसे गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ के दौरान, कुलदीप सिंह ने अपराध में शामिल होने का बात स्वीकार कर ली।
आरोपी ने कबूली धोखाधड़ी की बात
उसने खुलासा किया कि उसने 12वीं तक पढ़ाई की है और मुंबई में 3-4 साल बिताए थे। जहां उसे विदेशों में रोजगार और यात्रा के अवसर दिलाने के बहाने धोखाधड़ी योजनाओं के बारे में पता चला। मुंबई से पंजाब लौटने के बाद कुलदीप सिंह ने एक नकली ट्रैवल एजेंट के रूप में स्वतंत्र रूप से काम करना शुरू कर दिया। उसने “फ्लाई टू अब्रॉड” नामक एक फेसबुक पेज बनाया। जहां उसने अलग-अलग देशों के लिए आकर्षक कम दरों पर वीजा की पेशकश करते हुए विज्ञापन पोस्ट किए।
उसने यह बात मानी कि उसने खेमचंद बोरवाल को आश्वासन दिया था कि वीजा और उड़ान टिकट सहित सभी व्यवस्थाएं संभाली जाएंगी। 8 लाख रुपये का भुगतान गंतव्य पर पहुंचने के बाद ही किया जा सकता है। धोखाधड़ी योजना के तहत, कुलदीप और उसके सहयोगियों ने नकली यात्रा दस्तावेज तैयार किए। हवाई अड्डे पर कुलदीप ने बोरवाल से मुलाकात कर नकली दस्तावेज सौंपे। फिर विदेशी मुद्रा के लिए घोषणा पर्ची की व्यवस्था करने के बहाने 2200 अमेरिकी डॉलर नकद ले लिए यह दावा करते हुए कि इसकी अनुपस्थिति से आव्रजन के दौरान समस्याएं हो सकती हैं। इसके बाद वह हवाई अड्डे से फरार हो गया। कुलदीप सिंह ने आगे खुलासा किया कि उसने धोखाधड़ी से मिले पैसे को बैंकॉक और मलेशिया की यात्राओं पर मौज-मस्ती और मनोरंजन पर खर्च किया, जिसके बाद वह भारत लौट आया।
मामले की जांच जारी
इस मामले में अन्य एजेंटों की शामिल होने का पता लगाने आरोपी के बैंक खातों की जांच करने और अन्य समान शिकायतों या मामलों में उसकी संभावित संलिप्तता का पता लगाने के लिए जांच जारी है।
ये भी पढ़ें- Delhi-NCR में बारिश का अलर्ट, चलेंगी तेज हवाएं, IMD ने बताया अगले 7 दिन कैसा रहेगा मौसम?