Delhi Medical Council: दिल्ली मेडिकल काउंसिल (DMC) पर उपराज्यपाल (LG) ने बड़ा फैसला लिया है। डीएमसी को भंग कर दिया गया है। एलजी ने इसे भंग करने के फैसले मुहर लगाई है। दिल्ली सरकार ने इसके संबंध में प्रस्ताव भेजा था। अब इसकी सभी जिम्मेदारियां डायरेक्टर ऑफ हेल्थ सर्विसेज (DHS) के पास होंगी। इसी के साथ एलजी ने स्वास्थ्य विभाग को इसके पुनर्गठन की प्रक्रिया शुरू करने को कहा। आइए जानते हैं क्या है इसके पीछे का पूरा विवाद?
डीएमसी पर लगे थे ये आरोप
दरअसल, DMC पिछले कुछ समय से विवादों में चल रही थी। डीएमसी में रजिस्ट्रेशन में गड़बड़ी, वित्तीय अनियमितताओं और कार्यप्रणाली में गंभीर कुप्रबंधन के आरोप लग रहे थे। डीएमसी पर ये भी आरोप थे कि सरकार की मंजूरी के बिना रजिस्ट्रार डॉ. गिरीश त्यागी के रिटायरमेंट की उम्र को बढ़ाकर 65 वर्ष कर दिया गया। ये पहले 60 साल थी। पिछले साल 1 दिसंबर से एक वर्ष के लिए उनका कार्यकाल बढ़ा दिया था।
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इस मामले पर एलजी ने 6 फरवरी को कारण बताओ नोटिस जारी किया था, लेकिन डीएमसी ने सिर्फ इतना ही कहा कि डॉ. त्यागी ने इस्तीफा दे दिया है। इसके चलते डीएमसी पर शक्तियों का अतिक्रमण और दुरुपयोग करने के आरोप लगे। दिल्ली सरकार ने काउंसिल को भंग करने की सिफारिश की थी।
28 साल में पहली बार हुआ ये फैसला
बता दें कि दिल्ली मेडिकल काउंसिल की स्थापना 1997 में की गई थी। इसकी स्थापना के 28 साल बाद ये पहली बार है, जब डीएमसी को भंग किया गया है। दरअसल, दिल्ली मेडिकल काउंसिल एक्ट, 1997 की धारा 29 में विशेष प्रावधान है। इसके तहत सरकार को यह अधिकार है कि यदि काउंसिल अपने कर्तव्यों का सही निर्वहन न कर रही हो, तो उसे भंग किया जा सकता है।
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क्या है डीएमसी?
डीएमसी को दिल्ली में मेडिकल क्षेत्र के प्रबंधन के लिए शक्तियां दी गई हैं। डीएमसी में लाइव रजिस्टर मेंटेन होता है। इसमें डॉक्टर्स को रजिस्ट्रेशन कराने की सुविधा मिलती है। डीएमसी में रजिस्ट्रार के किसी भी निर्णय के खिलाफ अपील का भी अधिकार है। इसके साथ ही डॉक्टर्स के प्रोफेशनल कंडक्ट के लिए आचार संहिता निर्धारित करता है।