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बिहार

बिहार में चुनाव से पहले लालू ने बैठी-बिठाई बीजेपी को दिया मुद्दा, निशाने पर अति पिछड़ा और दलित वोटर्स

Bihar Vidhan Sabha Chunav 2025: बिहार में चुनाव से पहले बीजेपी को एक मुद्दा मिल गया है। लालू यादव के जन्मदिन पर बाबा साहेब की तस्वीर को लेकर बीजेपी लगातार आक्रामक है। उसकी रणनीति इस मामले को लेकर पूरे प्रदेश में प्रदर्शन करने की है। इसके लिए आलाकमान ने केंद्रीय मंत्रियों की फौज भी मैदान में उतार दी है।

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Rakesh Choudhary Updated: Jun 17, 2025 10:50
Bihar Election 2025
बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और सम्राट चौधरी (Pic Credit-ANI)

Bihar election 2025: बिहार में चुनावी चौसर बिछ चुकी है। राजनीतिक दल अपने-अपने तरीके से जनता को लुभाने में जुटे हैं। एक तरफ सरकार हरसंभव कोशिश कर रही है कि कैसे भी करके उसकी सरकार में वापसी हो। वहीं दूसरी ओर विपक्ष बेरोजगारी, कानून व्यवस्था और महिला सुरक्षा जैसे मुद्दे उछालकर सरकार के कामों की पोल खोल रहे हैं। इस बीच जातियों के दांव भी खेले जा रहे हैं क्योंकि बिहार में चुनाव की शुरुआत तो आर्थिक पैकेज और बेरोजगारी जैसे मुद्दों से होती है लेकिन खत्म होते-होते वह जाति के रंग में रंग जाता है। ऐसे में आइये जानते हैं बीजेपी किस रणनीति से लालू यादव की हवा निकालने में जुटी है। पूरा मामला उनके जन्म दिन पर वायरल हुए वीडियो से जुड़ा है। इसको लेकर बीजेपी ने लालू यादव से माफी की मांग की है नहीं तो पूरे प्रदेश में इसको लेकर आंदोलन करने की बात भी बीजेपी ने कही है।

चक्रव्यूह तोड़ने में जुटी बीजेपी

बिहार में लालू यादव की राजनीति की शुरुआत 1990 में हुई। जब वे बिहार के मुख्यमंत्री बनते हैं। लालू यादव लगातार 1997 तक बिहार के सीएम रहे। इसके बाद उनकी पत्नी राबड़ी देवी 2000 से लेकर 2005 तक राज्य की सीएम रहीं। लालू यादव ने बिहार में दो जातियों को आधार बनाकर राजनीति की शुरुआत की। पहला मुस्लिम और दूसरा पिछड़े यादव। अब बीजेपी उनके इसी चक्रव्यूह को तोड़ने में जुटी है। लालू यादव के जन्मदिन के मौके पर एक कार्यकर्ता भीमराव आंबेडकर का पोट्रेट लेकर आया। जिसको लेकर बीजेपी ने आरोप लगाया है कि लालू यादव ने भीमराव आंबेडकर की फोटो के साथ बदसलूकी की है। अब बीजेपी ने इस मुद्दे को गांव-गंाव तक ले जाने की रणनीति तैयार कर ली है।

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बीजेपी ने उतारी मंत्रियों की फौज

ऐसे में मामले को बढ़ता देख केंद्रीय आलाकमान ने केंद्रीय मंत्रियों की फौज बिहार में उतार दी है। इसमें केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव, शिवराज सिंह चौहान और अर्जुन राम मेघवाल शामिल हैं। तीनों मंत्रियों ने इस प्रकरण को लेकर लालू यादव से माफी की मांग की है। उधर बिहार सरकार में बीजेपी कोटे से मंत्री जनक राम आज राज्यपाल आरिफ खान से मिलेंगे। ऐसे में आइये जानते हैं बिहार में दलित और अति पिछड़ा आबादी कितनी निर्णायक है।

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दलितों-अति पिछड़ों को साधने की कवायद

बिहार के जातीय जनगणना के आंकड़ों की मानें तो अति पिछड़ा आबादी 36.01 प्रतिशत है। इनमें अधिकांश वे जातियां हैं जो पिछड़ी हुई है। जिसमें बढ़ई 1.45 प्रतिशत, कुशवाहा 4.21 प्रतिशत, मुसहर 3.08 प्रतिशत, कुर्मी 2.87 प्रतिशत इसके अलावा कई छोटी जातियां भी शामिल हैं। इन सभी जातियों का कुछ वोट बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए और कुछ वोट आरजेडी गठबंधन को जाता है। बीजेपी की कोशिश है कि छोटी जातियों को पूरी तरह एनडीए के पाले में लाया जाए। ऐसे में पार्टी पूरे प्रदेश में प्रदर्शन करने की तैयारी में हैं। इसके अलावा 20 दलित आबादी भी है जोकि पूरी तरह से एनडीए के पक्ष में नहीं है। हालांकि 7 प्रतिशत पासवान अभी भी एलजेपी के पक्ष में है। जबकि शेष 14 प्रतिशत जातियों के वोट आरजेडी को भी जाते हैं। ऐसे में बीजेपी उन्हें अपने पाले में करने में जुटी है।

अब देखना यह है कि बीजेपी की यह कोशिश कितनी रंग लाती है। हालांकि विधानसभा चुनाव से पहले अगर यह मुद्दा गरमाता है तो बिहार में आरजेडी को नुकसान होना तय है।

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First published on: Jun 17, 2025 10:49 AM

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