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Religion

रोग के अनुसार ऐसे करें माता शीतला का पूजन, मिलेगी बीमारियों से मुक्ति!

माता शीतला को रोग मुक्ति की देवी माना जाता है। शीतला माता का पूजन करने से गंभीर से गंभीर बीमारियों से मुक्ति मिलती है। चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी व अष्टमी तिथि को माता शीतला का पूजन किया जाता है। मान्यता है कि इससे रोगों का नाश होता है।

Author Edited By : Mohit Tiwari Updated: Mar 20, 2025 19:38
Sheetala Maa
शीतला अष्टमी

चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी और अष्टमी तिथि को माता शीतला की पूजा की जाती है। शीतला अष्टमी होली के 8 दिन बाद आती है। साल 2025 में 21 मार्च की सुबह 2 बजकर 45 मिनट से सप्तमी तिथि का प्रारंभ होगा और यह 22 मार्च दिन शुक्रवार को सुबह 4 बजकर 23 मिनट तक रहेगी। इसके बाद अष्टमी तिथि लग जाएगी। उदया तिथि को मानते हुए शीतला सप्तमी का पर्व शुक्रवार को मनाया जाएगा। वहीं, जो लोग अष्टमी का व्रत करते हैं, वे 22 मार्च को व्रत रखेंगे।

स्कंद पुराण के काशीखंड में माता शीतला को व्याधि हरिणी देवी कहा गया है। माता को चेचक, त्वचा के रोगों और संक्रामक बीमारियों की निवारक देवी माना जाता है, इस कारण इनको इसी स्वरूप में पूजा जाना चाहिए। आइए बीमारियों के अनुसार जानते हैं कि माता शीतला का पूजन कैसे करें?

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बुखार से होगा बचाव

शीतला अष्टमी के दिन जल्दी जागकर बिना चूल्हा जलाए ठंडे भोजन का भोग देवी मां को लगाएं। माता के लिए एक दिन पहले ही दही, दूध, बाजरे की रोटी और मीठा भोग बनाकर रख लें। इसको माता को सप्तमी या अष्टमी के दिन अर्पित करें। कहीं पर माता का पूजन चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की सप्तमी को तो कहीं पर अष्टमी को करते हैं।

माता शीतला को नीम के पत्ते, हल्दी, कुमकुम और अक्षत अर्पित करें। नीम की पत्तियों के जल का छिड़काव पूरे घर में करें। इसके साथ ही माता के मंत्र ‘ॐ ह्रीं शीतलायै नमः’ की एक माला का जाप करें।

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स्किन डिजीज व चेचक, फुंसी

अगर स्किन डिजीज, चेचक और फोडे़-फुंसियों से परेशान हैं तो माता शीतला की मूर्ति का गंगाजल और गाय के दूध से अभिषेक करें। माता को बेसन और हल्दी का उबटन अर्पित करें बाद में इसे खुद भी लगाएं। बच्चों को विशेष रूप से माता के सामने बैठाकर नीम के पानी से स्नान कराएं। नीम के पत्तों का हवन करें। इसके साथ ही ‘ॐ शीतले त्वं जगन्माता शीतलं प्रादेहि मे।’ मंत्र का जाप करें।

मानसिक समस्याएं होंगी दूर

मानसिक समस्याओं से परेशान हैं तो माता शीतला को सफेद फूल, दही और मिश्री का भोग अर्पित करें। चांदी का एक छोटा सा सिक्का माता को चढ़ाएं और इसके बाद इसको गले में पहन लें। माता शीतला की चालीसा का पाठ करें। ‘ॐ सर्वरोग निवारिण्यै शीतलायै नमः।’ इस मंत्र का जाप करें।

पेट संबंधी समस्याओं के लिए करें ये काम

पेट या पाचन संबंधी समस्याओं से परेशान हैं तो माता शीतला को चने का सत्तू, मूंग की दाल और ठंडा पानी अर्पित करें। इसके बाद पीपल के पेड़ पर भी जल अर्पित करें। कोशिश करें कि माता का पूजन पीपल के पेड़ के नीचे करें। इसके साथ ही सात प्रकार के अनाजों का दान करें। इसके साथ ही ‘ॐ शीतला देवी नमः, सर्व व्याधि विनाशिन्यै स्वाहा।’ मंत्र का जाप करें।

घर में सुख और समृद्धि के लिए करें ये उपाय

घर में सुख और समृद्धि चाहते हैं तो माता शीतला को गुड़, चावल और ठंडी चीजें अर्पित करें। घर में नीम की टहनियां रखें और इसकी पत्तियों के जल से स्नान करें। बच्चों के माथे पर हल्दी और नीम का तिलक लगाएं। इसके अलावा ‘ॐ ह्रीं क्लीं शीतलायै नमः’ इस मंत्र का जाप करें। मंत्र आप 108 बार या एक से तीन माला तक कर सकते हैं।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

ये भी पढ़ें- कौन हैं माता शीतला, क्यों की जाती है इनकी पूजा?

First published on: Mar 20, 2025 07:38 PM

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