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Vishweshwr Vrat 2025: आज है विश्वेश्वर व्रत, ऐसे करें महादेव की पूजा; दूर होंगी विवाह और नौकरी की प्रॉब्लम

Vishweshwr Vrat 2025: पवित्र सावन मास के बाद विश्वेश्वर व्रत 2025 एक ऐसा अवसर है जब भक्त अपने जीवन से नकारात्मकता को दूर करके शिव कृपा का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं. यह व्रत आज सोमवार और प्रदोष व्रत के संगम पर आने के कारण पुण्य सौगुना हो गया है. आइए जानते है, यह व्रत कैसे करें और क्या-क्या लाभ होते हैं?

Author By: Shyamnandan Updated: Nov 3, 2025 11:15

Vishweshwr Vrat 2025: कार्तिक मास का शुक्ल पक्ष न केवल भगवान के उपासकों बल्कि शिव भक्तों के लिए भी अत्यंत शुभ माना गया है. इसी माह में आने वाला विश्वेश्वर व्रत भगवान शिव को समर्पित एक अत्यंत फलदायी व्रत है. यह व्रत इस वर्ष सोमवार, 3 नवंबर 2025 को मनाया जा रहा है, जो इसे और भी विशेष बनाता है, क्योंकि सोमवार शिव साधना का प्रिय दिन है.

प्रदोष व्रत बना रहा है इसे और भी खास

मान्यता है कि विश्वेश्वर व्रत जब प्रदोष व्रत के दिन पड़ता है, तब इसका फल कई गुना बढ़ जाता है. यह व्रत न केवल भौतिक सुख-संपन्नता प्रदान करता है, बल्कि व्यक्ति के जीवन में शांति, सफलता और आध्यात्मिक उन्नति भी लाता है. आपको बता दें कि विश्वेश्वर व्रत कार्तिक शुक्ल चतुर्दशी को रखा जाता है. यह तिथि भीष्म पंचक के दौरान आती है, जो कार्तिक माह के अंतिम पांच दिन होते हैं.

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विश्वेश्वर व्रत का धार्मिक महत्व

हिन्दू धर्म में शिव साधना का अत्यधिक महत्व है. इसमें जीवन के हर क्षेत्र के लिए गहरा संदेश छिपा है. विश्वेश्वर व्रत के पालन से माना जाता है कि भगवान शिव स्वयं अपने भक्त की हर बाधा दूर करते हैं. यह व्रत व्यक्ति के भीतर की नकारात्मकता को मिटाकर सकारात्मक ऊर्जा और आत्मविश्वास से भर देता है. भक्तों का विश्वास है कि इस दिन सच्चे मन से की गई प्रार्थना विवाह, नौकरी, व्यापार या परिवार से जुड़ी हर समस्या को दूर कर देती है.

विश्वेश्वर व्रत पूजन विधि

स्नान और संकल्प: व्रत के दिन स्नान-ध्यान के बाद स्वच्छ वस्त्र पहनकर शिवलिंग के सामने ‘मैं भगवान विश्वेश्वर की कृपा पाने हेतु यह व्रत कर रहा/रही हूँ’ कहकर संकल्प लिया जाता है.

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शिवलिंग का अभिषेक: इसके बाद शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, दही, शहद, घी और शक्कर से पंचामृत अभिषेक करते हैं. फिर बिल्व पत्र, धतूरा, आक, चावल, चंदन और पुष्प अर्पित करना चाहिए.

मंत्र जाप और कथा: इस दिन ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का कम-से-कम 108 बार जाप करना चाहिए और विश्वेश्वर व्रत कथा का पाठ या श्रवण करने से तुरंत लाभ होता है. यह कथा भगवान शिव के विश्वेश्वर स्वरूप के उद्भव और भक्तों पर उनकी कृपा की कहानी बताती है.

उपवास और दान: इस दिन अधिकांश भक्त उपवास रखने से हर प्रकार के मनोरथ पूरे होते हैं. आप चाहें तो कुछ फलाहार कर सकते हैं. शाम को दीप जलाकर आरती करें और अगले दिन पारण करें. जरूरतमंदों को अन्न, वस्त्र या दक्षिणा का दान करना विशेष फल देता है.

विश्वेश्वर व्रत से मिलने वाले फल

इस व्रत को करने से भगवान शिव की कृपा प्राप्त होती है और व्यक्ति के जीवन में स्थिरता, शांति और आत्मबल बढ़ता है. पूरी श्रद्धा, भक्ति और समर्पण से करने वालों भक्तों की हर मनोकामना पूरी होती है. प्रेम, विवाह और करियर से जुड़ी अड़चनें दूर होती हैं. इसके साथ ही, घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है और स्वास्थ्य में सुधार होता है.

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है और केवल सूचना के लिए दी जा रही है. News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है.

First published on: Nov 03, 2025 11:15 AM

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