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Vidur Niti: ये 5 गलतियां इंसान को सुख-शांति से रखती हैं वंचित, अंधकारमय हो जाता है जीवन

महाभारत के एक प्रमुख पात्र और नीति शास्त्र के परम ज्ञानी विदुर जी ने अपनी नीति में हमें सिखाया कि यदि इंसान 5 प्रकार की गलतियों से बचकर रहता है, तो वह अपने जीवन को शांति, सुख और समृद्धि से भर सकता है। आइए जानते हैं, क्या हैं ये 5 गलतियां, जिससे बचकर हम एक संतुलित और सुखमय जीवन जी सकते हैं?

Author Edited By : Shyamnandan Updated: May 9, 2025 16:30
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महान विद्वान और नीति शास्त्र के ज्ञाता विदुर जी ने अपनी नीति में कुछ ऐसी महत्वपूर्ण बातें बताई हैं, जिनसे हम अपने जीवन को बेहतर बना सकते हैं और सुख, शांति तथा समृद्धि प्राप्त कर सकते हैं। उनके अनुसार, कुछ गलतियां हैं, जो इंसान को असली सुख से वंचित रखती हैं। आइए जानते हैं उन 5 प्रमुख गलतियों के बारे में, जिससे हमें हर हाल में बचकर रहना चाहिए, ताकि हम एक संतुलित और सुखमय जीवन जी सकें।

लोलुपता और छल-कपट

विदुर जी के अनुसार, जब इंसान में अत्यधिक लोलुपता (लालच) आ जाती है और वह छल-कपट या गलत तरीके से संपत्ति जुटाने की कोशिश करता है, तो उसका सुख और शांति हमेशा के लिए दूर हो जाता है। इस तरह की अस्थायी सफलता जीवन को अंधकारमय और असंतुष्ट बना देती है। विदुर जी कहते हैं कि इस प्रकार की तात्कालिक तरक्की कभी भी स्थायी नहीं हो सकती और व्यक्ति को अंततः दुःख का सामना करना पड़ता है।

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अपमान और क्रोध

यदि कोई व्यक्ति किसी छोटे से अपमान से क्रोधित होकर बदला लेने की भावना पालता है, तो उसकी पतन की शुरुआत वहीं से हो जाती है। विदुर जी कहते हैं कि असली उपासक वही है, जो अपमान को सहन करता है। जब हम क्रोध में आकर किसी का अपकार करते हैं, तो हम खुद को और दूसरों को मानसिक और भावनात्मक रूप से नुकसान पहुंचाते हैं। इस प्रकार की भावना हमारी शांति को नष्ट कर देती है।

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क्रोध और द्वेष का चिंतन

द्वेष और क्रोध में रहकर जीवन जीने से न केवल हमारा मानसिक संतुलन खराब होता है, बल्कि यह हमें शारीरिक रूप से भी नुकसान पहुंचाता है। विदुर जी के अनुसार, जब हम मन में द्वेष और क्रोध पालते हैं, तो ये नकारात्मक भावनाएँ हमारे जीवन को नष्ट कर देती हैं। यही कारण है कि हमें अपने मन को शांति से भरकर ही जीवन जीना चाहिए।

कमजोरों का शिकार

यदि कोई व्यक्ति किसी पशु-पक्षी या किसी कमजोर इंसान को अपने पास आश्रय लेने के बाद उसकी मदद करने की बजाय उसे नुकसान पहुँचाता है या मार डालता है, तो उसकी दुर्गति निश्चित है। विदुर जी ने यह सिखाया कि हमें हमेशा कमजोरों की रक्षा करनी चाहिए, न कि उनके साथ अत्याचार। ऐसा करना न केवल हमें शांति से दूर करता है, बल्कि पाप के भागीदार भी बनाता है।

पाप-कर्मों को उत्साहित होकर करना

जब कोई व्यक्ति पाप कर्मों को खुशी-खुशी करता है और उसे करने में कोई शर्म या संकोच नहीं महसूस करता, तो वह अपने पुण्य को नष्ट कर देता है। विदुर जी कहते हैं कि पाप में लिप्त होना हमारी आत्मा को अशुद्ध करता है और अंततः हमें दुःख और दुखों की ओर ले जाता है। पापों से दूर रहकर और अच्छे कर्मों को अपनाकर ही हम सच्चे सुख की ओर बढ़ सकते हैं।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

First published on: May 09, 2025 04:29 PM

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