Vastu Tips: वास्तु शास्त्र में केवल किचन यानी रसोई घर ही नहीं बल्कि स्टोव (चूल्हा), बर्तन स्टैंड, खाने-पीने के आयटम सहित किचन सिंक (Kitchen Sink) को भी बहुत महत्व दिया गया है। मान्यता है कि वास्तु के अनुसार किचन सिंक के सही स्थान पर होने से घर में सुख, शांति और समृद्धि में वृद्धि होती है। वहीं, घर में किचन सिंक की सही जगह और दिशा नहीं होने पर स्वास्थ्य समस्याओं सहित आर्थिक संकट भी बढ़ सकते हैं। आइए जानते हैं, वास्तु शास्त्र के नियमों के मुताबिक किचन कहां और किस डायरेक्शन में होना चाहिए?
किचन सिंक की सही दिशा
किचन में जल यानी पानी के लिए उत्तर दिशा को सर्वोत्तम माना गया है। किचन सिंक में भी पानी से संबंधित काम होते हैं, इसलिए सिंक को भी हमेशा उत्तर दिशा में ही लगाना चाहिए। उत्तर-पूर्व दिशा भी किचेन सिंक अच्छा माना गया है। मान्यता है कि इस दिशा में किचन सिंक होने से घर में बरकत होती है।
यहां भूल से भी न लगाएं किचन सिंक
घर में कभी भी किचन का सिंक रसोई घर की दक्षिण-पश्चिम दिशा में नहीं लगाना चाहिए। इस दिशा में लगाया गया सिंक न केवल घर में स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ाता है, बल्कि घर के मेम्बर्स में कलह का वातावरण बना रहता है और घर में बार-बार आर्थिक संकट आते रहते हैं।
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इन वास्तु टिप्स का भी रखें ध्यान
- किचन सिंक का नल खराब हो, तो उसे तुरंत ठीक करवाना चाहिए। नल से लगातार पानी टपकने से देवी लक्ष्मी रुष्ट हो जाती हैं। दीवार और सिंक के बीच दरार या छेद आदि भी नहीं होना चाहिए।
- किचन सिंक को रात में जूठे बर्तन और गंदगी नहीं छोड़नी चाहिए। इससे स्वास्थ्य और धन दोनों की हानि होती है।
- यह ध्यान रखें कि किचन का सिंक चार फीट से कम की ऊंचाई पर न हो, वरना स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ जाती हैं।
- किचन के सिंक के नीचे कूड़ेदान रखने से बचना चाहिए।
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।