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Shukra Chalisa। शुक्र चालीसा: जयति जयति शुक्र देव दयाला… Shukra Dev Chalisa Lyrics In Hindi

Shukra grah Chalisa Lyrics In Hindi: शुक्र ग्रह यानी शुक्र देव को धन, संपदा, सुख और प्यार का दाता माना जाता है, जिनकी कृपा से व्यक्ति को सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है. अगर आप भी शुक्र ग्रह को खुश करना चाहते हैं तो उसके लिए नियमित रूप से शुक्र चालीसा सुनें या पढ़ें. इससे आपके जीवन की तमाम समस्याएं कम हो सकती हैं. चलिए जानते हैं शुक्र चालीसा के सही लिरिक्स के बारे में.

Author Written By: Nidhi Jain Updated: Nov 21, 2025 09:27
Shukra grah Chalisa Lyrics In Hindi
Credit- Social Media

Shukra grah Chalisa Lyrics In Hindi: नवग्रहों में से एक शुक्र ग्रह का ज्योतिष शास्त्र में खास महत्व है, जो कि कला, प्यार, सुख, धन, संपत्ति, सुंदरता और विलासिता का प्रतिनिधित्व करते हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार, जिन लोगों की कुंडली में शुक्र ग्रह की स्थिति मजबूत होती है, उन्हें जीवन का हर सुख मिलता है. साथ ही पैसों की कमी से मुक्ति मिलती है. इसके अलावा त्वचा और व्यक्तित्व में निखार आता है. हालांकि, शुक्र ग्रह यानी शुक्र देव को प्रसन्न करना बहुत आसान है. नियमित रूप से शुक्र चालीसा का पाठ करके कुंडली में शुक्र ग्रह की स्थिति को मजबूत किया जा सकता है. यहां पर आप शुक्र चालीसा के सही लिरिक्स और लाभ के बारे में जान सकते हैं.

शुक्र चालीसा (Shukra Chalisa Lyrics In Hindi)

॥दोहा॥

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श्री गणपति गुरु गउ़रि, शंकर हनुमत कीन्ह।
बिनवउं शुभ फल देन हरि, मुद मंगल दीन॥

॥चौपाई॥

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जयति जयति शुक्र देव दयाला। करत सदा जनप्रतिपाला॥
श्वेताम्बर, श्वेत वारन, शोभित। मुख मंद, चंदन हिय लोभित॥
सुन्दर रत्नजटित आभूषण। प्रियहिं मधुर, शीतल सुवासण॥
सप्त भुज, सोभा निधि लावण्य। करत सदा जन, मंगल कान्य॥
मंगलमय, सुख सदा सवारथ। दीनदयालु, कृपा निधि पारथ॥
शुभ्र स्वच्छ, गंगा जल जैसा। दर्शन से, हरषाय मनैसा॥
त्रिभुवन, महा मंगल कारी। दीनन हित, कृपा निधि सारी॥
देव दानव, ऋषि मुनि भक्तन। कष्ट मिटावन, भंजन जगतन॥
मोहबारी, मनहर हियरा। सर्व विधि सुख, सौख्य फुलारा॥
करत क्रोध, चपल भुज धारी। कष्ट निवारण, संत दुखारी॥
शुभ्र वर्ण, तनु मंद सुहाना। कष्ट मिटावन, हर्षित नाना॥
दुष्ट हरण, सुजनन हितकारी। सर्व बाधा, निवारण न्यारी॥
सुर पतिहिं, प्रभु कृपा विलासिन। कष्ट निवारण, शुभ्र सुवासिन॥
वेद पुरान, पठत जन स्वामी। मनहरण, मोहबारी कामी॥
सप्त भुज, रत्नजटित माला। कष्ट निवारण, शुभ फलशाला॥
सुख रक्षक, सर्वसुख दाता। सर्व कामना, फल दाता॥
मानव कृत, पाप हरे प्रभु। सर्व बाधा, निवारण रघु॥
रोग निवारण, दुख हरणकर। सर्व विधि, शुभ फल देनेकर॥
नमन सकल, सुर नर मुनि करते। व्रत उपासक, दुख हरण करते॥
शरणागत, कृपा निधि सोइ। जन रक्षक, मोहे दुख होई॥
शुद्ध भाव से जो नित गावै। सर्व सुख, परम पद पावै॥
वृन्दावन में, मंदिर निर्मित। जहां शुद्ध भक्तन, सदा शरणागत॥
संत जनन के, कष्ट मिटावत। भवबंधन से, सहज छुड़ावत॥
सकल कामना, पूर्ण करावत। मोहभंग, भवसागर तरावत॥
जयति जयति, कृपानिधान। शुक्र देव, श्री विश्व विद्धान॥
प्रणवउं, नाथ सकल गुण सागर। विविध विघ्न हरन, सुखदायक॥
सुर मुनि जनन, अति प्रिय स्वामी। शुभ्र वर्ण, रूप मनहारी॥
जय जय जय, श्री शुक्र दयाला। करहुं कृपा, भव बंधन ताला॥
ध्यान धरत, जन होउं सुखारी। कृपा दृष्टि, शांति हितकारी॥
अधम कायर, सुबुद्धि सुधारो। मोह निवारण, कष्ट निवारो॥
लक्ष्मीपति, शुभ फल दाता। संतजनन, दुख भंजन राता॥
जय जय जय, कृपा निधि शुक्र। करहुं कृपा, हरहुं सब दु:ख॥
प्रणवउं नाथ, सकल गुण सागर। विविध विघ्न हरन, सुखदायक॥
रूप तेज बल, संपन्न सदा। शांति दायक, जन सुख दाता॥
त्रिभुवन में, मंगल करतू। सर्व बाधा, हरता शुकृ॥
मानव कृत, पाप हरे प्रभु। सर्व बाधा, निवारण रघु॥
रोग निवारण, दुख हरणकर। सर्व विधि, शुभ फल देनेकर॥
प्रणवउं नाथ, सकल गुण सागर। विविध विघ्न हरन, सुखदायक॥
ध्यान धरत, जन होउं सुखारी। कृपा दृष्टि, शांति हितकारी॥
जय जय जय, कृपा निधि शुक्र। करहुं कृपा, हरहुं सब दु:ख॥

॥दोहा॥

नमो नमो श्री शुक्र सुहावे। सर्व बाधा, कष्ट मिटावे॥
यह चालीसा, जो नित गावै। सुख संपत्ति, परम पद पावै॥

|| इति संपूर्णंम् ||

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शुक्र चालीसा पढ़ने व सुनने के लाभ (Shukra Chalisa Benefits)

  • कुंडली में शुक्र ग्रह की स्थिति को बल मिलता है.
  • मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है.
  • रिश्तों में प्यार और भावनात्मक जुड़ाव बढ़ता है.
  • आर्थिक स्थिति में सुधार होता है.
  • रचनात्मक क्षेत्रों में सफलता मिलती है.
  • मन शांत रहता है और आत्मविश्वास में बढ़ोतरी होती है.

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है और केवल सूचना के लिए दी जा रही है. News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है.

First published on: Nov 21, 2025 09:27 AM

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