Ghatasthapana Puja Samagri & Vidhi: हिंदुओं के लिए शारदीय नवरात्रि का पर्व दिवाली से कम नहीं है. शारदीय नवरात्रि का त्योहार 9 दिनों तक मनाया जाता है, जिस दौरान मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है. साथ ही व्रत रखा जाता है. नौ दिन बाद दुर्गा विसर्जन करके नवरात्रि के व्रत का पारण किया जाता है. हालांकि, नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा की मूर्ति के पास कलश स्थापना की जाती है, जिसे घटस्थापना भी कहते हैं. धार्मिक मान्यता के अनुसार, जो लोग सच्चे मन से नवरात्रि में व्रत और पूजा-पाठ करते हैं, उन्हें मां दुर्गा की विशेष कृपा प्राप्त होती है. हालांकि, कलश स्थापना को पूरी विधि से ही करना चाहिए, नहीं तो पाप लगता है. चलिए जानते हैं कलश स्थापना की पूजा सामग्री और विधि के बारे में.
घटस्थापना का शुभ मुहूर्त
द्रिक पंचांग के अनुसार, इस बार 22 सितंबर 2025 से शारदीय नवरात्रि का आरंभ हो रहा है, जिस दिन ही घटस्थापना होगा. हालांकि, नवरात्रि का समापन 2 अक्टूबर 2025 को दुर्गा विसर्जन के साथ होगा, जिससे एक दिन पहले 1 अक्टूबर को महानवमी की पूजा होगी. वहीं, 22 सितंबर 2025 को प्रात: काल 06 बजकर 28 मिनट से सुबह 08 बजकर 20 मिनट तक घटस्थापना का पहला मुहूर्त है, जबकि दोपहर 12 बजकर 08 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 56 मिनट तक घटस्थापना का अभिजित मुहूर्त है.
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कलश स्थापना की पूजा सामग्री
- मिट्टी का पात्र
- मिट्टी
- सात प्रकार के अन्न के बीज
- मिट्टी का कलश (घट)
- जल
- पवित्र सूत्र
- इत्र
- सुपारी
- सिक्का
- आम के पांच पत्ते
- कलश ढकने के लिए ढक्कन
- अक्षत (बिना टूटे चावल)
- नारियल (जटा)
- लाल वस्त्र
- गेंदे के फूल
- दूर्वा घास
कलश स्थापना कैसे करें?
- सबसे पहले मिट्टी का एक पात्र लें. पात्र में मिट्टी, सात प्रकार के अन्न के बीज और जल डालें.
- कलश पर पवित्र सूत्र बांधें और उसे जल से पूरा भर लें.
- अब कलश में सुपारी, इत्र, दूर्वा घास, अक्षत तथा सिक्का डालें.
- आम के पत्तों को कलश के मुख पर रखें तथा अन्त में उसे मिट्टी के छोटे पात्र से ढंक दें.
- नारियल को लाल वस्त्र में लपेटें और उस पर सूत्र बांधें. अब नारियल को कलश के मुख पर रखें.
- देवी दुर्गा का आवाहन करते हुए उनसे पूजन स्वीकार करने की प्रार्थना करें. साथ ही देवी मां से नौ दिवसीय इस अनुष्ठान के समय कलश में निवास करने का अनुरोध करें.
- कलश के दाईं ओर एक चौकी पर मां दुर्गा की मूर्ति या तस्वीर की स्थापना करें.
- माता रानी को फल, फूल, अक्षत, वस्त्र और मिठाई अर्पित करें.
- देसी घी का एक दीपक जलाएं और आरती करें.
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