Premanand Maharaj Viral Video: आज के समय में बहुत से ऐसे लोग हैं जो सत्संग सुनना पसंद करते हैं चाहे बड़े हों या बूढ़े, सभी को सत्संग का ज्ञान लेने में आनंद आता है। जब कोई व्यक्ति श्रद्धा और भावना पूर्वक सत्संग सुनता है तो उसकी चेतना जाग्रत होती है और आत्मा में सकारात्मक परिवर्तन आरंभ होता है। लेकिन बहुत से ऐसे लोग भी हैं जिन्हें लगता है कि सत्संग सुनने से उनके पाप नष्ट हो जाते हैं। ऐसा ही एक सवाल एक भक्त ने प्रेमानंद महाराज से किया महाराज, क्या रोजाना सत्संग सुनने से सारे पापों का नाश हो जाता है? इस सवाल को सुनकर महाराज ने बहुत ही सहजता और शांति से उत्तर दिया। उन्होंने एक उदाहरण देकर समझाया।
महाराज बोले एक चोर चोरी करके भागकर आया था। उसके पीछे सैनिक लगे हुए थे। वह जहां सत्संग हो रहा था उसी सभा में आकर छिपकर बैठ गया। राज सैनिक उसे देख नहीं पाए और वह बच गया। उसी समय सत्संग में यह चर्चा चल रही थी कि दीक्षा लेने से नया जन्म होता है और पूर्व पाप नष्ट हो जाते हैं। चोर ने संत चतुर्भुज दास जी से पूछा क्या आप जो कह रहे हैं वह सत्य है? अगर मैं दीक्षा ले लूं तो क्या निष्पाप हो जाऊंगा? संत बोले हां आज से तुम निष्पाप हो जाओगे। चोर ने तुरंत दीक्षा ले ली।
दूसरे ही दिन वह निर्भय होकर घूम रहा था। तभी सेठ ने उसे पहचान लिया और पकड़ा गया। जब उसे राजदरबार में लाया गया तो राजा ने पूछा क्या तुमने चोरी की है? उसने उत्तर दिया मैं कसम खाकर कहता हूं कि मैंने इस जन्म में चोरी नहीं की। सेठ बोला मैं भी कसम खाकर कहता हूं कि इसने ही चोरी की है। अब जब दंड देने की बारी आई तो उस व्यक्ति ने कहा मैंने चोरी तो की थी लेकिन बाद में मैंने दीक्षा ले ली। दीक्षा लेने के बाद नया जन्म होता है और मैंने इस जन्म में कोई चोरी नहीं की। यह बात सुनकर राजा बहुत प्रभावित हुए।
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प्रेमानंद महाराज कहते हैं कि जब कोई व्यक्ति श्रद्धा और भावना पूर्वक सत्संग सुनता है, तो उसकी चेतना जाग्रत होती है और आत्मा में सकारात्मक परिवर्तन आरंभ होता है। महाराज के अनुसार, सत्संग केवल ज्ञान की बातें नहीं होती, बल्कि वह आत्मा को शुद्ध करने वाली एक दिव्य धारा है। जब कोई भक्त सच्चे मन से सत्संग सुनता है तो उसका मन अपने पापों और गलतियों को स्वीकार करता है।
यही भावना व्यक्ति को पश्चाताप की ओर ले जाती है। इस प्रकार सत्संग आत्मा को निर्मल बनाता है, जिससे पाप धीरे-धीरे समाप्त होने लगते हैं। महाराज यह भी बताते हैं कि सत्संग में भगवान के नाम, लीला और भक्तों की कथाएं सुनने से मन का विकार दूर होता है और पुण्य बढ़ता है। पापों से पूरी तरह मुक्त होने के लिए केवल सत्संग सुनना ही नहीं, बल्कि उसमें सुनी बातों को अपने जीवन में उतारना भी आवश्यक है।
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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है।News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है