---विज्ञापन---

तंत्र-मंत्र और काले जादू का गढ़ है ये शक्तिपीठ मंदिर, दर्शन मात्र से प्राप्त होती हैं विशेष सिद्धियां!

kamakhya Mandir: दुनियाभर में देवी-देवताओं को समर्पित कई प्राचीन और प्रसिद्ध मंदिर स्थित है, जिनका रहस्य आज भी इतिहास के पन्नों में गुम है। आज हम आपको एक ऐसे ही मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसका राज आज भी धुंधला है।

Edited By : Nidhi Jain | Updated: Jun 22, 2024 11:08
Share :
kamakhya Mandir

kamakhya Mandir: देशभर में कुल 52 शक्तिपीठ हैं, जिसमें से एक है कामाख्या देवी मंदिर। कामाख्या देवी मंदिर असम के गुवाहाटी में दिसपुर से कम से कम 10 किमी दूर नीलांचल पर्वत पर स्थित है। इस मंदिर में प्रवेश करते ही एक अलग शक्तिशाली शक्ति का अहसास होता है, जिसे हर एक व्यक्ति महसूस कर सकता है। इस मंदिर से जुड़ी कई ऐसी बातें, जिन्हें जानने के बाद आपको हैरानी जरूर होगी।

योनी की जाती है पूजा

कामाख्या देवी मंदिर में माता सती की योनी की उपासना की जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, जो व्यक्ति अपनी जिंदगी में इस मंदिर के तीन बार सच्चे मन से दर्शन करता है, उसे पापों से मुक्ति मिल जाती है।

---विज्ञापन---

ये मंदिर तंत्र विद्या के लिए भी प्रसिद्ध है। जहां दूर-दूर से साधु व संत साधना करने के लिए आते हैं। पुजारी, तांत्रिक और अघोरियों के लिए ये मंदिर उनकी साधना का गढ़ है। इसके अलावा मनोकामना पूर्ति के लिए यहां पर जानवरों की बलि भी दी जाती है।

नकारात्मक शक्तियों को किया जाता है प्राप्त!

कामाख्या देवी को तांत्रिकों की प्रमुख व मुख्य देवी माना जाता हैं। इसके अलावा मंदिर में मां सती को भगवान शिव के नववधू के रूप में भी पूजा जाता है। माना जाता है कि यहां पर तांत्रिक बुरी व नकारात्मक शक्तियों को आसानी से प्राप्त कर लेते हैं। इसी वजह से यहां पर मौजूद साधुओं के पास चमत्कारी शक्तियों के होने की भी बात कही जाती है।

यहां पर जंगल तंत्र साधना भी की जाती है, जिसके लिए मंदिर के पास एक जंगल भी है। हर साल बड़ी संख्या में लोग नकारात्मक शक्तियों, काला-जादू और टोना-टोटका से छुटकारा पाने के लिए यहां आते हैं।

ये भी पढ़ें- Video: राहु की महादशा से इस राशि के जीवन में आएगा भूचाल, सेहत होगी खराब!

तीन दिन के लिए बंद किए जाते हैं मंदिर के कपाट

हालांकि मंदिर के कपाट हर साल 22 जून से 25 जून तक बंद कर दिए जाते हैं। मान्यता है कि इस दौरान मां सती मासिक धर्म से होती हैं। दरबार बंद करने से पहले मंदिर के अंदर एक सफेद कपड़ा रखा जाता है, जब मंदिर के कपाट खुलते हैं, तो वो कपड़ा लाल रंग का हो जाता है, जिसे अम्बुवाची वस्त्र कहा जाता है। इस कपड़े को भक्तों को प्रसाद के रूप में दिया जाता है। इसके अलावा मंदिर के आसपास की नदियों और तालाब का पानी भी इस दौरान लाल हो जाता है। हालांकि वैज्ञानिक अब तक इसके पीछे का कारण ढूंढ नहीं पाए हैं।

अंबुवाची मेला का भी किया जाता है आयोजन

साल में एक बार यहां पर विशाल मेले का आयोजन किया जाता है, जिसे देशभर में अंबुवाची मेला के नाम से जाना जाता है। हर साल ये मेला जून के महीने में लगता है, जिस दौरान मां सती मासिक धर्म से होती हैं। हालांकि इस दौरान किसी भी भक्त को मंदिर में जाने की अनुमति नहीं होती है।

शक्‍त‍िपीठ का इत‍िहास

पौराणिक ग्रंथों के अनुसार, राजा दक्ष ने जब शिव जी का अपमान किया था, तो देवी सती क्रोध में आकर हवन कुंड में कूद गई थी। भगवान शिव को ये बात जब पता चली, तो वो क्रोध में देवी सती के शव को उठाकर धरती का चक्कर लगा रहे थे। ऐसे में भगवान विष्णु ने अपने चक्र से देवी सती के देह के 52 भाग किए थे। जहां-जहां मां सती के शरीर के भाग गिरे थे, वहां पर एक-एक शक्तिपीठ बनाया गया।

ये भी पढ़ें- आषाढ़ अमावस्या पर दुर्लभ योग में करें ये उपाय, 12 राशियों को पितृ और कालसर्प दोष से मिलेगी मुक्ति!

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।

HISTORY

Written By

Nidhi Jain

First published on: Jun 22, 2024 11:08 AM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें