होली के दिन भगवान नरसिंह का पूजन बेहद ही फलदाई माना जाता है। ऐसा इस कारण है क्योंकि प्रह्लाद की बुआ होलिका जब अग्नि में जल गई थीं तो इसके बाद वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी पर हिरण्यकश्यप स्वयं प्रह्लाद को मारने चल दिया था। जिसके चलते भगवान नरसिंह को उसका वध करना पड़ा था। भगवान नरसिंह हिरण्यकश्यप के महल के खंभे को फाड़कर प्रकट हुए थे। इस कारण होली पर इनका पूजा विशेष फलदाई होता है।
भगवान विष्णु का हैं अवतार
पौराणिक ग्रंथों के अनुसार भगवान विष्णु के चौथे अवतार नरसिंह का पूजन बेहद फलदाई होता है। भगवान विष्णु का यह स्वरूप आधा मानव और आधा शेर का है। इसी कारण प्रभु के इस स्वरूप को नरसिंह का नाम दिया गया। नर मतलब मनुष्य और सिंह का अर्थ शेर है। भगवान ने अपने भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए नरसिंह भगवान का रूप रखा था।
भक्त प्रह्लाद के पिता राक्षसराज हिरण्यकश्यप को वरदान था कि न तो उनको कोई पशु, मनुष्य, देवता, राक्षस कोई भी नहीं मार पाएगा। उनकी मृत्यु दिन और रात में नहीं होगी। इसके साथ ही न तो घर के अंदर हो न ही बाहर हो। इसके साथ ही उनको कोई अस्त्र भी न मार पाए। ऐसे में भगवान विष्णु ने नरसिंह रूप रखा था। जो न तो पशु था और न ही मनुष्य। इसके साथ ही शाम के समय और घर की देहरी पर उन्होंने अपनी जांघ पर रखकर हिरण्यकश्यप का सीना अपने नाखूनों से चीर दिया था। इस प्रकार भगवान नरसिंह ने राक्षस हिरण्यकश्यप के प्रकोप से पृथ्वी को मुक्ति दिलाई थी।
ऐसे करें पूजन
होली की शाम को नहाकर भगवान नरसिंह की प्रतिमा के सामने दीपक जलाएं और उनको लाल फूल, चंदन, गुड़ और काले तिल अर्पित करें। इसके साथ ही ‘ॐ उग्रं वीरं महाविष्णुं ज्वलन्तं सर्वतोमुखम्। नृसिंहं भीषणं भद्रं मृत्युमृत्युं नमोऽस्तुते।।’ मंत्र का 108 बार जाप करें। इसके बाद प्रभु से गलती की माफी मांगते हुए सुख और समृद्धि की कामना करें।
मिलते हैं ये लाभ
भगवान नरसिंह के पूजन से जीवन में आने वाले संकट दूर होते हैं। नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। जादू-टोने का असर दूर हो जाता है। सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं।
डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्रों की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।
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