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Karna Nasika Vedhan: गहने-आभूषण पहनने के लिए नाक और कान में कब करवाएं छेद, जानें धार्मिक मान्यताएं

Karna Nasika Vedhan: हिन्दू धर्म में कर्ण और नासिक वेधन केवल एक शारीरिक प्रक्रिया नहीं, बल्कि यह भारतीय परंपरा, स्वास्थ्य और आत्मिक उन्नति से जुड़ा हुआ संस्कार है। सही समय, शुभ मुहूर्त और उपयुक्त देखरेख में किया गया यह संस्कार आपके बच्चे के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा, सौंदर्य और परंपरा का अद्भुत समावेश कर सकता है। आइए जानते हैं, यह संस्कार करवाने के शास्त्रीय नियम क्या हैं?

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Shyamnandan Updated: Jun 1, 2025 15:04
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Karna Nasika Vedhan: हिंदू धर्म में गहनों का पहनना केवल श्रृंगार का हिस्सा नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक, सांस्कृतिक और स्वास्थ्य से जुड़ी परंपरा भी है। नाक और कान में छेद करवाना, जिसे कर्णवेध और नासिकावेध संस्कार कहा जाता है, एक महत्वपूर्ण संस्कार माना जाता है। यह केवल एक फैशन स्टेटमेंट नहीं है, बल्कि हमारी संस्कृति से जुड़ी एक बेहद प्राचीन रीति-रिवाज है। आइए जानते हैं, इस प्राचीन परंपरा का वैज्ञानिक, धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व क्या है?

कर्णवेध संस्कार की परंपरा

हिंदू धर्म के सोलह संस्कारों में से एक है कर्णवेध संस्कार यानी कान छेदन की परंपरा जिसमें बच्चों के कान छेदे जाते हैं। यह आमतौर पर बच्चे के 6वें से 16वें साल के बीच किया जाता है। इसे विषम वर्ष में शुभ माना गया है। आप इसे 3, 5, 7 जैसे विषम उम्र के सालों में भी करवा सकते हैं।

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नासिकावेध संस्कार की परंपरा

हिन्दू धर्म में नाक छिदवाना भी एक पवित्र कार्य माना गया है। सवाल यह है कि नासिकावेध कब करवाना चाहिए? तो आपको बता दें कि इसकी कोई खास उम्र तय नहीं है, लेकिन आमतौर पर यह बाल्यावस्था या किशोरावस्था में करवाया जाता है। माना जाता है कि नाक छिदवाने से शरीर में प्रवेश करने वाली नकारात्मक ऊर्जा कम होती है और यह ऊर्जा संतुलन बनाए रखती है। महिलाओं में इसका खास महत्व है। भारतीय संस्कृति में नथ पहनना एक पारंपरिक प्रतीक है जो विवाह, सौभाग्य और महिला की गरिमा से जुड़ा होता है।

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कर्ण और नासिक वेध संस्कार का महत्व

जहां कान और नायक छेड़ने की परंपरा के धार्मिक महत्व के बात है, तो यह संस्कार बच्चे की बौद्धिक क्षमता, सुनने की शक्ति और आत्म-सम्मान को बढ़ाने वाला माना जाता है। आयुर्वेद में इसे शरीर के कुछ जरूरी बिंदुओं को सक्रिय करने वाला क्रियाकलाप बताया गया है, जो मानसिक संतुलन बनाए रखने में मदद करता है।

जून 2025 के शुभ मुहूर्त

अगर आप जून 2025 में यह संस्कार करवाने की सोच रहे हैं, तो ये तारीखें बेहद शुभ मानी जा रही हैं: 5, 6, 7, 15, 16, 20, 21, 26 और 27 जून। इसलिए इन तिथियों को ध्यान में रखकर आप शुभ समय में संस्कार करवा सकते हैं।

इन तिथियों पर न करें छेदन संस्कार

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिस दिन और तिथि को व्यक्ति का जन्म हुआ हो, उस दिन और तिथि कर्ण या नासिका वेधन नहीं करवाना चाहिए। साथ ही अमावस्या और पूर्णिमा तिथियों को भी यह नहीं करना चाहिए। माना जाता है कि ऐसा करने से नकारात्मक प्रभाव की आशंका रहती है। आजकल बहुत से माता-पिता यह निर्णय लेते समय चिकित्सा और सुरक्षा मानकों का भी ध्यान रखते हैं। इसलिए किसी प्रशिक्षित विशेषज्ञ से छेदन करवाना चाहिए।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

First published on: Jun 01, 2025 03:04 PM

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