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Kaalchakra: पूर्वजों की मृत्यु तिथि पता न हो तो कब करें श्राद्ध? पंडित सुरेश पांडेय से जानें नियम

Kaalchakra News24 Today: जिन लोगों को अपने परिजनों व पूर्वजों की मृत्यु की तिथि नहीं पता है, उनके लिए श्राद्ध पक्ष में कुछ विशेष तिथियां निर्धारित की गई हैं। उन तिथियों पर वो श्राद्ध कार्य कर सकते हैं। चलिए पंडित सुरेश पांडेय से जानते हैं किन-किन तिथियों में श्राद्ध करके पितरों को श्रद्धांजलि दी जा सकती है।

Edited By : Nidhi Jain | Updated: Sep 17, 2024 11:26
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जानें श्राद्ध करने की तिथियां...

Kaalchakra News24 Today, Pandit Suresh Pandey: पितृ पक्ष में पितरों और पूर्वजों की आत्मशांति के लिए तर्पण और पिंडदान किया जाता है। विधिपूर्वक और सभी नियमों को ध्यान में रखते हुए श्राद्ध करने से पूर्वज प्रसन्न होते हैं और अपनी कृपा अपने कुल पर बनाए रखते हैं। पितृ पक्ष की पूजा 16 दिनों के दौरान की जाती है। इस अवधि में आने वाली हर एक तिथि का विशेष महत्व है। मान्यता है कि कभी भी किसी का श्राद्ध नहीं किया जाता है, बल्कि परिस्थितियों और रिश्तों के अनुसार तिथि का आकलन करने के बाद श्राद्ध किया जाता है।

यदि किसी व्यक्ति को अपने पूर्वजों की मृत्यु तिथि पता नहीं है, तो वो कुछ विशेष तिथियों पर श्राद्ध कर सकते हैं। आज के कालचक्र में पंडित सुरेश पांडेय आपको बताएंगे कि पूर्वजों की मृत्यु तिथि पता न होने पर कब-कब श्राद्ध किया जा सकता है।

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श्राद्ध कब से शुरू हो रहे हैं?

हिंदू पंचांग के अनुसार, पितृ पक्ष का आरंभ भाद्रपद माह में आने वाली पूर्णिमा तिथि से होता है। इस बार भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि 17 सितंबर 2024 को है। वहीं श्राद्ध का समापन आश्विन महीने में आने वाली अमावस्या तिथि के दिन होता है, जो इस बार 2 अक्टूबर 2024 को है।

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नाना-नानी का श्राद्ध कब करें?

प्रतिपदा श्राद्ध 18 सितंबर 2024 को है, जिसे पड़वा श्राद्ध भी कहा जाता है। जिन लोगों की मृत्यु प्रतिपदा तिथि के दिन होती है, उनका श्राद्ध प्रतिपदा तिथि पर किया जाता है। इसके अलावा दिवंगत आत्माओं की शांति के लिए तर्पण और नाना-नानी का श्राद्ध भी इस तिथि पर सकते हैं। नाना-नानी के परिवार में उनका कोई श्राद्ध करने वाला न हो या उनकी मृत्यु तिथि का ज्ञान न हो, तो प्रतिपदा तिथि के दिन श्राद्ध कर सकते हैं। इस दिन श्राद्ध करने से जीवन में सुख-शांति बनी रहती है।

तृतीया तिथि पर किनका श्राद्ध करते हैं?

तृतीया श्राद्ध 20 सितंबर को है, जिसे तीज श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता है। इस तिथि पर उन मृत सदस्यों का श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मृत्यु तृतीया तिथि पर हुई हो। तृतीया श्राद्ध पर तीन बहाम्णों को भोजन कराने का विधान है। इस तिथि पर श्राद्ध करने से सेहत, सुख, समृद्धि और सद्बुद्धि की प्राप्ति होती है।

अविवाहित लोगों का श्राद्ध कब करना चाहिए?

चतुर्थी श्राद्ध 21 सितंबर को है, जिसे चौथ श्राद्ध के नाम से भी जाना जाता है। जिन लोगों की मृत्यु चतुर्थी तिथि पर हुई हो, उनके परिजन इस तिथि के दिन श्राद्ध कर सकते हैं। वहीं पंचमी श्राद्ध 22 सितंबर को है, जिसे कुंवारा पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। इस तिथि पर उनका श्राद्ध किया जाता है, जिनकी मृत्यु शादी करने से पहले हो जाती है।

पितृ पक्ष की अन्य तिथियों के बारे में यदि आप जानना चाहते हैं, तो इसके लिए ये वीडियो जरूर देखें।

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डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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Edited By

Nidhi Jain

First published on: Sep 17, 2024 11:24 AM

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