Jitiya Vrat 2025 Upay: सनातन धर्म के लोगों के लिए जितिया व्रत का खास महत्व है, जिसे जिउतिया व्रत और जीवित्पुत्रिका व्रत भी कहते हैं। खासतौर पर उत्तर प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, बिहार, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और ओडिशा के अधिकतर हिस्सों में इस व्रत को रखने की परंपरा है। जितिया व्रत संतानवती महिलाओं द्वारा रखा जाता है जो कुल 3 दिन तक चलता है। व्रत के मुख्य दिन महिलाएं भगवान जीमूतवाहन की पूजा करके ओठगन की रस्म करती हैं और निर्जला उपवास का संकल्प लेती हैं। वहीं, व्रत के पहने दिन शाम में नहाय खाय होता है, जिसके दो दिन बाद सूर्य देव को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाता है।
यदि कोई संतानवती महिला जितिया व्रत नहीं रख सकती तो वो बच्चों की सलामती और तरक्की के लिए कुछ विशेष उपाय भी इस दिन कर सकती हैं। चलिए जानते हैं शास्त्रों में बताए गए जितिया व्रत के प्रभावशाली उपायों के बारे में।
जितिया व्रत 2025 में कब है?
द्रिक पंचांग के अनुसार, हर साल आश्विन माह में आने वाली कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि से लेकर नवमी तिथि तक जितिया व्रत चलता है। साल 2025 में 13 सितंबर से जितिया व्रत का आरंभ होगा जिसके बाद 14 सितंबर को उपवास का संकल्प लिया जाएगा, जबकि 15 सितंबर को व्रत का पारण होगा।
जितिया व्रत की पूजा का शुभ मुहूर्त

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जितिया व्रत के उपाय
- यदि आपके बच्चे का स्वास्थ्य अच्छा नहीं रहता है या बार-बार उन्हें नजर लगती है तो जितिया व्रत के दिन भगवान जीमूतवाहन की पूजा करें। अब एक लाल कपड़े को सरसों के तेल में भिगोकर नारियल पर बांध दें। नारियल को भगवान जीमूतवाहन के चरणों में अर्पित करें और रात में किसी पवित्र नदी में प्रवाहित कर दें। इस दौरान अपने बच्चे के अच्छे स्वास्थ्य और लंबी उम्र की कामना करें।
- जितिया व्रत के दिन प्रात: काल में सूर्य देव को अर्घ्य दें और सूर्य मंत्रों का जाप करें। इसके बाद भगवान जीमूतवाहन की पूजा करें। अब एक लाल कंपड़ा लें। उसके अंदर एक नारियल, एक इलायची, एक पान, एक सुपारी और मुट्ठी भर अक्षत को बांधकर कलावे से 16 गांठ लगा लें। अब इस कपड़े को केले के पेड़ या बरगद के पेड़ पर बांध दें। इस दौरान अपने बच्चे की लंबी आयु की कामना करें।
- बच्चों की लंबी आयु और खुशहाल जीवन के लिए माताएं जितिया व्रत के दिन भगवान जीमूतवाहन की पूजा करें। साथ ही एक लाल कपड़ा लें, जिसके अंदर तिल और लौंग डाल लें। अब इसे भगवान जीमूतवाहन के चरणों में अर्पित करें। शाम में फिर से भगवान जीमूतवाहन की पूजा करें। पूजा करने के बाद बच्चे के दाएं हाथ की कलाई पर इस कपड़े को सूत्र की तरह बांध दें। इससे भगवान जीमूतवाहन उनकी रक्षा करेंगे और नकारात्मक चीजों से दूर रखेंगे।
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