---विज्ञापन---

46 साल से नहीं हुई खजाने की गिनती, गुम हुई चाबी, 14 जुलाई को जगन्नाथ मंदिर में क्‍या होगा?

Puri Ratna Bhandar: विश्व प्रसिद्ध जगन्नाथ मंदिर के रत्न और जेवरात की गिनती 46 साल से नहीं हुई है। बताया गया है कि एक वजह इसकी चाबी का गायब हो जाना था। दूसरी वजह रत्न भंडार में भयानक कोबरा (नाग) की उपस्थिति बताई गई है। आइए जानते हैं, जब 14 जुलाई को मंदिर के रत्न भंडार खोले जाएंगे, तब क्या होगा?

Edited By : Shyam Nandan | Updated: Jul 12, 2024 21:31
Share :
jagannath-puri-ratna-bhandar
सांकेतिक चित्र | फोटो: Meta AI

Jagannta Mandir Ratna Bhandar: आस्था और भक्ति की दुनिया में पुरी का जगन्नाथ मंदिर अभी काफी चर्चित है, जिसकी वजह है यहां की वार्षिक रथयात्रा जो 16 जुलाई को समाप्त होगी। वहीं, धार्मिक कारण के अलावा आजकल यह मंदिर अपने खजाने की खबर को लेकर लोगों में उत्सुकता और चर्चा का विषय बना हुआ है।

बता दें कि पुरी के जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार में जमा जेवरातों और अन्य मूल्यवान वस्तुओं का रिकॉर्ड तैयार करने के लिए उड़ीसा हाई कोर्ट के जज न्यायमूर्ति विश्वनाथ रथ की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की गयी है। इससे 46 वर्षों के बाद मंदिर के खजाने को खोलने की प्रक्रिया में तेजी आ गई है।

---विज्ञापन---

आखिरी बार कब बनी थी सूची?

जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार की आखिरी सूची 46 साल पहले 1978 में बनाई गई थी। रिकॉर्ड एक मुताबिक, मंदिर के रत्न भंडार में सोने की कुल 454 वस्तुएं हैं, जिनका कुल वजन 12,838 भरी है। किलोग्राम के रूप में यह लगभर 128.38 किलोग्राम होता है। वहीं, चांदी की वस्तुएं 293 हैं, जिनका वजन 22,153 भरी यानी 221.53 किलोग्राम है।

बता दें कि रत्न भंडार का खोला जाना काफी विवादों में रहा है। क्योंकि भीतरी भंडार की चाबी वर्षों से गायब है। बीजेपी ने तत्कालीन नवीन पटनायक सरकार इस मामले को दबाए बैठे होने का आरोप लगाया था। बीजेपी ने रत्न भंडार में आभूषणों और अन्य कीमती सामानों की सुरक्षा पर भी संदेह जताया था।

---विज्ञापन---

रत्न भंडार में क्या-क्या है?

सांकेतिक चित्र | फोटो: Meta AI

देश के प्रसिद्ध चार धामों में से एक जगन्नाथ मंदिर का निर्माण 12वीं शताब्दी में हुआ था। इस मंदिर में एक रत्न भंडार है। इसी रत्न भंडार में जगन्नाथ मंदिर के तीनों देवताओं भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा के आभूषण रखे गए हैं। कई राजाओं और भक्तों ने भगवान को जेवरात चढ़ाए थे, उन सभी को रत्न भंडार में रखा गया है। आभूषणों के अलावा इस रत्न भंडार में मौजूद अनेक बेशकीमती उपहार हैं, जिसका मूल्यांकन नहीं किया गया है।

जगन्नाथ मंदिर का यह रत्न भंडार दो भागों में बंटा हुआ है- भीतरी भंडार और बाहरी भंडार। बाहरी रत्न भंडार में तीनों देवों को अक्सर पहनाए जाने वाले आभूषण रखे जाते हैं। वहीं जो आभूषण उपयोग में नहीं लाए जाते हैं, वे भीतरी रत्न भंडार में रखे गए हैं। रत्न भंडार का बाहरी हिस्सा अभी भी खुला है। 14 जुलाई 1985 में रत्न भंडार आखिरी बार कुछ देर के लिए खुला था। जिसे बाद से यह बंद और इसकी चाबी गायब बताई जा रही है।

14 जुलाई को जगन्नाथ मंदिर में क्‍या होगा?

जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार के कमरे को अब तक केवल चार बार 1905, 1926, 1978 और 1984 में ही खोला गया है। जिसमें भारत की आजादी के बाद 1978 का रिकॉर्ड अभी तक आधिकारिक और मान्य है। यदि 14 जुलाई को रत्न भंडार खोला जाता है, तो स्वर्ण आभूषणों और अन्य कीमती पत्थरों को सबसे पहले सुरक्षित जगह पर ले जाया जाएगा, ताकि मंदिर की दर्शन व्यवस्था और आम दिनचर्या पर कोई फर्क नहीं पड़े।

रत्न भंडार की वस्तुओं की पहचान और वजन के लिए विशेषज्ञों टीम नियुक्त की जाएगी। रत्न भंडार में जमा बेशकीमती सामानों की लिस्ट कब तक बन जाएगी यह बता पाना मुश्किल है। बता दें, 1978 में रत्न भंडार की वस्तुओं को सूचीबद्ध करने में 70 दिन लगे थे। वस्तुओं की सूची बनाने की निगरानी के लिए बनी कमेटी के अध्यक्ष जज न्यायमूर्ति विश्वनाथ रथ के अनुसार, भंडार के डुप्लीकेट चाबी होने की बात पता चली है। यदि किसी कारणवश ताला नहीं खुलता है, तो एक मानक प्रक्रिया के तहत ताले को तोड़ दिया जाएगा।

मंडरा रहा है नागों का खतरा

जगन्नाथ मंदिर एक बेहद प्राचीन मंदिर है, जिसमें कई दरारें भी आ चुकी है। इन दरारों में कई बार सांप और नाग भी देखे गए हैं। बता दें, लोग यह मानते हैं कि सदियों से जगन्नाथ मंदिर के रत्न भंडार की सुरक्षा ये नाग करते आ रहे हैं। इसको मद्देनजर रखते हुए कमेटी ने मौके पर सरकार से एक मेडिकल टीम और कुछ सपेरों की मांग की है।

ये भी पढ़ें: सावन में इस शिवलिंग की पूजा से पूरी होंगी मनोकामनाएं, जानें कितने तरह के होते हैं शिवलिंग

ये भी पढ़ें: 72 साल बाद सावन पर बना विलक्षण महासंयोग, शिव कृपा से पूरी होगी भक्त की हर मनोकामना

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्र की मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

HISTORY

Edited By

Shyam Nandan

First published on: Jul 12, 2024 08:59 PM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें