Ganesh Chaturthi Muhurat: आज शनिवार 7 सितंबर से विघ्नहर्ता भगवान गणेश का जन्मोत्सव ‘गणेश चतुर्थी’ पूरी श्रद्धा, उमंग और उल्लास से पूरे देश में मनाया जाएगा। यह 10-दिवसीय महोत्सव 17 सितंबर को अनंत चतुर्दशी के दिन श्री गणेश महाविसर्जन से समाप्त होगा। पंडितों और ज्योतिषियों के अनुसार, आज गणपति बप्पा के जन्मोत्सव की पूजा भद्रा काल के साये होगी। आइए जानते हैं, भगवान गणेश का जन्म किस समय हुआ था, आज भद्रा काल की अवधि क्या है, राहु काल कब से कब तक है और पूजा का सही शुभ मुहूर्त क्या है?
इस समय हुआ था गणेश का जन्म
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक दिन मां पार्वती स्नान करने जा रही थीं तो उन्होंने अपने शरीर के मैल से एक बालक की रचना करके उसमें प्राण डाल दिए। उसे पहरेदारी के लिए दरवाजे पर बैठा दिया और स्नान के लिए चली गईं। मान्यता है कि यह दिव्य घटना दिन में लगभग दोपहर के आस-पास घटी थी। जिस दिन यह चमत्कार हुआ था, उस दिन भादो महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि थी। आगे चलकर यही बालक गणेश यानी गणों का अधिपति बना और प्रथम पूजित देवता भी बना।
आज भद्रा काल की अवधि
पंडितों और ज्योतिषियों के अनुसार, आज गणपति बप्पा के जन्मोत्सव की पूजा भद्रा काल के साये में होगी। पंचांग के अनुसार, आज भद्रा काल सुबह 4 बजकर 20 मिनट से शाम के 5 बजकर 37 मिनट तक है। यूं तो भद्रा काल में कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता है, लेकिन भगवान गणेश स्वयं विघ्न और बाधाओं को समाप्त करने के स्वामी हैं। सो उन्हें इन चीजों से क्या भय? स्वयं भद्रा भी उनसे भयभीत रहती है। भगवान गनेश अग्रगण्य और प्रथम पूजित देवता हैं। उनकी पूजा आज पंचांग में नियत समय पर ही की जाएगी। बता दें कि भद्रा काल में गणेश पूजन करना मान्य है।
आज भद्रा काल की अवधि
सनातन पंचांग के अनुसार, आज राहु काल सुबह 9 बजकर 10 मिनट से 10 बजकर 45 AM तक है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, राहु काल में कोई भी शुभ काम करना वर्जित होता है।
गणेश चतुर्थी पूजन का शुभ मुहूर्त
चतुर्थी तिथि 6 सितंबर की दोपहर 3:01 PM बजे शुरू होगी। इसका समापन 7 सितंबर की शाम 05:37 PM बजे पर होगा, जहां तक गणेश चतुर्थी पूजन के शुभ मुहूर्त की बात है तो 7 सितंबर को बप्पा की आराधना करने का शुभ मुहूर्त सुबह 11:03 मिनट से लेकर दोपहर 01 बजकर 33 मिनट तक है। मान्यता है कि जो व्यक्ति पूरे भक्तिभाव और श्रद्धा से भगवान गणेश की पूजा करता है। उसके जीवन से सभी विघ्न और बाधाएं समाप्त हो जाती हैं और अभीष्ट फल के प्राप्ति होती है।
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