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Chanakya Niti: लड़कों को कभी नहीं करने चाहिए ये 5 काम, होता है भारी नुकसान

Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य ने जीवन के विभिन्न पहलुओं को अपनी नीतियों में शामिल किया है। जिनके माध्यम से लोग अपने जीवन को सफल बना सकते हैं। चाणक्य ने लड़कों के लिए भी कुछ ऐसे काम बताएं हैं, जो उनको नहीं करने चाहिए। इन कामों को करने से उनको कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Mohit Tiwari Updated: May 31, 2025 20:33
chanakya niti
चाणक्य नीति

Chanakya Niti: आचार्य चाणक्य, जिन्हें कौटिल्य या विष्णुगुप्त के नाम से भी जाना जाता है, प्राचीन भारत के महान दार्शनिक और रणनीतिकार थे। उनकी रचना ‘चाणक्य नीति’ आज भी जीवन जीने की कला सिखाती है। खास तौर पर युवाओं के लिए ये आज भी प्रासंगिक हैं। यह नीतियां एक नैतिक, अनुशासित और सफल जीवन का मार्ग दिखाती हैं।

चाणक्य ने अपनी नीतियों में कई ऐसी बातों को बताया, जिनको अपनाकर व्यक्ति अपनी लाइफ स्मूद बना सकता है। चाणक्य ने कुछ ऐसी बातों को जिक्र भी किया है, जिनसे लड़कों को बचना चाहिए, क्योंकि ये उनके चरित्र, भविष्य और समाज में उनकी छवि को नुकसान पहुंचा सकती हैं। आइए, जानते हैं उन कार्यों के बारे में जो चाणक्य नीति के अनुसार लड़कों को नहीं करने चाहिए।

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शिक्षा में लापरवाही

चाणक्य के अनुसार लड़कों को अपनी पढ़ाई को गंभीरता से लेना चाहिए। आलस करना, पढ़ाई में लापरवाही बरतना या समय बर्बाद करना उनके भविष्य को कमजोर कर सकता है। शिक्षा न केवल ज्ञान देती है, बल्कि आत्मविश्वास और सफलता का आधार भी बनती है। इस कारण नियमित पढ़ाई और मेहनत पर ध्यान देना जरूरी है।

गलत कर्म और बुरी संगति

चाणक्य के अनुसार, ‘संगति से गुण होते हैं, कुसंगति से बुराइयां।’ गलत दोस्तों का साथ आपको गलत रास्ते पर ले जा सकता है। ऐसे दोस्त जो नकारात्मक व्यवहार को बढ़ावा देते हैं, जैसे झूठ बोलना, आलस करना या गलत आदतों में पड़ना, उनके साथ से बचना चाहिए। बुरी संगति न केवल चरित्र को प्रभावित करती है, बल्कि पढ़ाई और भविष्य को भी नुकसान पहुंचाती है। अच्छे और प्रेरणादायक दोस्त चुनना जरूरी है, जो आपको पॉजिटिव डॉयरेक्शन में ले जाएं।

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अत्यधिक क्रोध करना

चाणक्य के अनुसार, ‘क्रोधो हि शत्रु:,’ यानी क्रोध सबसे बड़ा शत्रु है। इस कारण पुरुषों को अपने गुस्से पर काबू रखना चाहिए। गुस्से में लिए गए फैसले अक्सर गलत हो जाते हैं और रिश्तों को नुकसान पहुंचाते हैं। संयम और धैर्य रखने से न केवल व्यक्तित्व मजबूत होता है, बल्कि जीवन में सही निर्णय लेने की क्षमता भी बढ़ती है। गुस्से को नियंत्रित करना एक मजबूत चरित्र की निशानी है।

इंद्रियों पर संयम न रखना

चाणक्य ने कहा है कि ‘इंद्रिय निग्रह: सर्वं जयति,’ यानी इंद्रियों पर नियंत्रण से सब कुछ जीता जा सकता है। लड़कों को अत्यधिक सुख-सुविधाओं या भौतिक आनंद में डूबने से बचना चाहिए। यह उन्हें उनके लक्ष्यों से भटका सकता है और नैतिक पतन का कारण बन सकता है। संयमित जीवनशैली अपनाने से वे अनुशासित और केंद्रित रहते हैं, जो उनके भविष्य के लिए लाभकारी होती है।

बड़ों और गुरुओं का अपमान

लड़कों को बड़ों और गुरुओं का अपमान नहीं करना चाहिए। चाणक्य ने गुरुओं और बड़ों के सम्मान को बहुत महत्व दिया है। लड़कों को अपने माता-पिता, शिक्षकों और बड़ों का अपमान करने से बचना चाहिए। यह न केवल उनकी संस्कृति के खिलाफ है, बल्कि उनके चरित्र को भी कमजोर करता है। सम्मान और आज्ञाकारिता उनके व्यक्तित्व को निखारती हैं और समाज में उनकी छवि को बेहतर बनाती हैं।

डिस्क्लेमर: यहां दी गई जानकारी चाणक्य नीति पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। News24 इसकी पुष्टि नहीं करता है।

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First published on: May 31, 2025 08:33 PM

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