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बेनामी संपत्ति और भूखंड पर होगा गोवा सरकार का नियंत्रण, विधानसभा में पास हुआ ये खास बिल

Goa Government New Bill: गोवा सरकार ने नया बिल पारित किया है। जिसके बाद विपक्ष ने गंभीर आरोप मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत और उनकी सरकार पर लगाए हैं। नए बिल को विधानसभा ने मंजूरी दी है। नया बिल क्या है? आखिर इस पर क्यों विवाद हो रहा है? आइए विस्तार से जान लेते हैं।

Edited By : Rahul Pandey | Updated: Aug 6, 2024 21:12
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Goa News

Goa New Bill: गोवा में चल रहे विधानसभा के मानसून सत्र में सरकार ने बेनामी संपत्ति और भूखंड को लेकर नया बिल पास किया है। बिल के पास होने से सरकार को गोवा में बेनामी जमीन पर कब्जा करना आसान हो गया है। हालांकि विपक्ष का मानना है कि सरकार इस विधेयक के जरिए चुनिंदा लोगों को फायदा पहुंचाना चाहती है। जानकारी के मुताबिक इस बिल के पास होने से गोवा सरकार के लिए उन जमीनों को अपने कब्जे में लेना आसान हो जाएगा, जिनके मालिकों या उनके उत्तराधिकारियों का पता नहीं है। सरकार ऐसी जमीनों को अपने कब्जे में लेकर जनहित के लिए परियोजनाएं शुरू कर सकेगा। हालांकि विपक्ष ने इस बिल को लेकर सरकार की कड़ी आलोचना की है। विपक्ष को डर है कि कानून का दुरुपयोग किया जाएगा।

विपक्ष ने गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत और मंत्री बाबुश मोनसेराट पर कुछ लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए यह कानून लाने का आरोप लगाया है। फतोर्दा विधायक विजय सरदेसाई ने कहा कि सरकार को कम से कम 12 साल तक इन जमीनों को नहीं बेचना चाहिए। विपक्ष का यह भी आरोप है कि इन जमीनों को हड़पने की कोशिश की जा सकती है। सरदेसाई ने गंभीर आरोप लगाया कि मानव अधिकारों का उल्लंघन करते हुए नागरिकों को 3 महीने के भीतर जमीन का मालिकाना हक साबित करने के लिए मजबूर किया जा रहा है। विपक्ष को डर है कि इस कानून के कारण अमीर लोग जमीन हड़प लेंगे। यह भी आरोप लगाया कि भूमि अधिग्रहण की पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता की कमी से भ्रष्टाचार को खुली छूट मिलेगी।

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विपक्ष का आरोप-इससे अमीरों को पहुंचेगा फायदा

सरकार ने इस कानून का समर्थन किया है। गोवा सरकार का कहना है कि यह कानून गोवा में खाली पड़ी बेनामी जमीनों की समस्या को सुलझाने और लोगों के लिए प्रोजेक्ट बनाने के लिए लाया गया है। सरकार का कहना है कि खाली जमीनों को सार्वजनिक उपयोग में लाने के लिए यह कानून बेहद जरूरी है। गोवा में बेनामी भूमि के मुद्दे का अध्ययन करने और सरकार को उपाय सुझाने के लिए एक सदस्यीय आयोग नियुक्त किया गया था। आयोग की नियुक्ति सेवानिवृत्त न्यायाधीश वीके जाधव की अध्यक्षता में की गई थी। आयोग ने 1 नवंबर 2023 को अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। लेकिन उसके बाद इस रिपोर्ट पर आगे कार्रवाई नहीं हुई।

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Edited By

Rahul Pandey

First published on: Aug 06, 2024 09:12 PM

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