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Opinion

देश की महान नृत्य परंपरा को समझे और इससे जुड़े युवा पीढ़ी: IAS अधिकारी

बिहार में अब स्कूलों में म्यूजिक और डांस के शिक्षक हैं। बच्चे बड़ी संख्या में सीख भी रहे हैं। संगीत, नृत्य या कोई भी कला जरूर सीखें। इससे आपके व्यक्तित्व का विकास होता है।

Author Edited By : Avinash Tiwari Updated: Apr 28, 2025 22:31

डॉ. एन विजयलक्ष्मी (वरिष्ठ आईएएस अधिकारी और नृत्यांगना) 

आधुनिक बैले नृत्य के जनक माने जाने वाले फ्रेंच कलाकार जीन जॉर्जेस नोवरे की याद में प्रत्येक वर्ष 29 अप्रैल को विश्व नृत्य दिवस मनाया जाता है। नृत्य की दुनिया में भारत की बेहद समृद्ध परंपरा रही है। हमारे देश में नृत्य का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है। नृत्य का एनसाइक्लोपीडिया माने जाने वाले नाट्यशास्त्र की रचना हमारे देश में हुई जो कि हमारे लिए गर्व की बात है। दुनिया से इस महान ग्रंथ का परिचय भरतमुनि ने करवाया।

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सभी भारतीयों के लिए बहुत गर्व की भी बात है कि भागवत गीता और नाट्यशास्त्र को यूनेस्को के मेमोरी आफ वर्ल्ड रजिस्टर में अंकित किया गया है।

‘एक दिन नृत्य और नाटकों के नाम’

हमारे देश में नृत्य की महान परंपरा सदियों से चली आ रही है। विभिन्न तरह के परंपारगत नृत्य हमारे देश की सांस्कृतिक धरोहर हैं। ऐसे में हमें भी भरतमुनि की स्मृति में एक दिन नृत्य और नाटकों के नाम करना चाहिए। मेरी नई पीढ़ी से अपील है कि देश की महान नृत्य परंपरा को समझे और इससे जुड़े।

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विश्व नृत्य दिवस एक अवसर हमें देता जब हम पारंपरिक नृत्यों के महत्व को जानते और समझते हैं। मेरा मानना है कि हमें अपनी नई पीढ़ी को अपनी परंपराओं और संस्कृति से अवगत कराना चाहिए। उन्हें बताना चाहिए कि हमारे देश में कथक, भरतनाट्यम, ओड़िसी जैसे शास्त्रीय नृत्यों की कितनी महान परंपरा है।

‘आंध्र प्रदेश से हूं, नृत्य आध्यात्मिक कार्य’

मैं अपनी बात करूं तो मैं आंध्रप्रदेश से हूं, मुझे बचपन से ही वहां का स्थानीय कुचिपुड़ी नृत्य पसंद था। बाद में मैंने भरतनाट्यम सीखा। मैं विभिन्न प्रतिष्ठित मंचों पर भरतनाट्यम की प्रस्तुति दे चुकी हूं। मैं तेलुगू भाषा कि वे फिल्में देखना पसंद करती थी जो नृत्य और संगीत प्रधान हो।

बिहार में अब स्कूलों में म्यूजिक और डांस के शिक्षक हैं। बच्चे बड़ी संख्या में सीख भी रहे हैं। मैं यही कहना चाहती हूं कि संगीत, नृत्य या कोई भी कला जरूर सीखें। इससे आपके व्यक्तित्व का विकास होता है। मेरे लिए नृत्य सिर्फ एक हॉबी नहीं है बल्कि यह मेरे लिए एक आध्यात्मिक कार्य है। जब आप नृत्य-संगीत सीखते हैं या संगीत साधना में लीन हो जाता है तब वह तपस्या कर रहा होता है। ऐसा इसलिए कि जब आप यह करते हैं तब आपका शरीर, दिमाग और आत्मा तीनों को एक जगह पर रखकर करते हैं। इसका बेहतर बैलेंस बनने पर ही आप इसे पूरा कर पाते हैं।

(लेखिका वरिष्ठ आईएएस अधिकारी और नृत्यांगना हैं)

First published on: Apr 28, 2025 10:20 PM

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