International Women Day 2025: बॉलीवुड़ अलग-अलग कलाकारों की दुनिया है, जिसमें एक्टर भी अलग-अलग होते हैं। कोई रोमांस का किंग है, तो कोई फाइटर होता है। मगर फिल्मों में हंसी का तड़का लगाने वाला एक और किरदार होता है, जिसे हम कॉमेडी के नाम से जानते हैं। अब इंडियन सिनेमा के पास कई मेल-फीमेल कॉमेडियन मौजूद हैं लेकिन एक समय था जब कॉमेडी करने वाले कलाकार कम थे, मगर जबरदस्त थे। फीमेल कॉमेडियन्स की लिस्ट में भारती सिंह और गुड्डी मारुति का नाम शामिल है लेकिन भारतीय सिनेमा की पहली महिला कॉमेडियन उमा देवी खत्री उर्फ टुनटुन के बारे में कितना जानते हैं आप? अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस 2025 के अवसर पर जानिए बॉलीवुड की एक ऐसी महिला के बारे में, जो सिर्फ कॉमेडी नहीं, सिंगिंग भी करती थी।
कौन थी टुनटुन?
टुनटुन का असली नाम उमा देवी खत्री था। लोगों को अपनी अदाकारी से हंसाने वाली उमा की पर्सनल लाइफ बड़ी ही इमोशनल थी। उमा उत्तर प्रदेश के अमरोहा के पास एक गांव की रहने वाली थी। जमीनी विवाद के चलते उनके परिवार की हत्या कर दी गई थी, जिस वजह से वह कम उम्र में ही अनाथ हो गई थी। माता-पिता का साथ छूटने के बाद टुनटुन को उनके रिश्तेदारों ने अपने साथ रखा, मगर एक नौकरानी की तरह। उमा ने 45 गानों को अपनी आवाज दी है और 200 से ज्यादा फिल्मों में काम किया है।
रेडियो से शुरू हुआ करियर
उमा की उतार-चढ़ाव भरी जिंदगी में नया मोड़ तब आया जब उन्होंने संगीत को अपना दोस्त बनाया। वे अपने रिश्तेदारों से मिलने वाली यातनाओं को रेडियो के सामने खुलकर अपने अंदाज में पेश करती थी और खुशियां ढूंढती थी। इस बीच उन्होंने रेडियो में गाना भी गाया, बस यहां से उन्होंने मन बना लिया था कि उन्हें प्लेबैक सिंगिंग करनी है। वे जैसे-तैसे करके अपने रिश्तेदारों से बचते हुए मुंबई, जो उस समय का बंबई हुआ करता था, वहां से भाग आई थी। उस वक्त टुनटुन की आयु 23 वर्ष की थी। बंबईवासियों को टुनटुन का चुलबुला और खुशमिजाज अंदाज काफी भाया।
ड्रामेटिक थी शुरुआत
उमा के करियर की शुरुआत भी किसी ड्रामा से कम नहीं थी। एक दिन उन्होंने अपने सपने को साकार करने के लिए संगीतकार नौशाद अली के बंगले पहुंच गई। वहां काम के लिए मौका मांगने की तलब ऐसी थी कि उन्होंने संगीतकार को धमकी देना शुरू कर दिया कि अगर उन्हें एक मौका नहीं दिया गया, तो वह समंदर में कूदकर अपनी जान दे देंगी। आनन-फानन में नौशाद ने उन्हें ऑडिशन के लिए बुला लिया लेकिन उस ऑडिशन से उनकी जिंदगी बदल गई।
फिल्म दर्द में गाया पहला गाना
नौशाद अली ने उनकी आवाज को मधुर और मनमोहक बताया। उन्होंने फिल्म दर्द के गाने ‘अफसाना लिख रही हूं दिल-ए-बेकरार का’ को अपनी आवाज दी और यहीं से उन्होंने अपने सिंगिंग करियर की शुरुआत की थी। इस गाने को इतनी सफलता मिली कि इसके बाद उमा के पास कई गानों के ऑफर्स खड़े हो गए। 1948 में चंद्रलेखा फिल्म के सात गानों को अपनी आवाज दी।
उमा से कैसे बनी टुनटुन?
उमा की शादी अख्तर अब्बास काजी से साल 1947 में ही हुई थी। काजी एक आबकारी ड्यूटी इंस्पेक्टर थे, जो भारत-पाकिस्तान विभाजन के समय पाकिस्तान चले गए थे लेकिन कुछ समय बाद वापस मुंबई लौट आए थे। उमा ने अपने परिवार को समय देने के लिए कुछ समय काम-काज से ब्रेक लिया था। साल 1950 में एकबार फिर वे दोबारा अपने करियर को किक बैक करने नौशाद अली के दरवाजे पर पहुंचीं। अबकी बार वह गाने नहीं एक्टिंग में अपना हाथ जमाने वाली थी। पहली फिल्म आने के बाद उमा को टुनटुन के नाम से जाना जाने लगा।
दीलिप कुमार के साथ पहली फिल्म
दीलिप कुमार भी उमा को देख खुश होते थे और उन्होंने ही उमा को टुनटुन का नाम दिया। फिल्म बाबुल से उन्हें नई कामयाबी मिली और अगले पांच दशकों तक उन्होंने कॉमिक रोल्स में अपनी अदाकारी दिखाई। टुनटुन ने हिंदी, उर्दू, पंजाबी से लेकर कई अलग-अलग भाषाओं में फिल्में की थी।
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