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Women Rights: महिलाओं की ताकत हैं ये 5 अधिकार; जानें कब और कैसे कर सकती हैं इस्तेमाल?

Women's Rights and Privileges in India: महिलाओं के हित की रक्षा के लिए भारत में कई कानून बनाए गए हैं, जिनके बारे में प्रत्येक महिला को पता होना चाहिए। आज हम आपको महिलाओं के 5 ऐसे कानूनी अधिकारों के बारे में बताने जा रहे हैं, जो उनकी ताकत हैं।

Edited By : Nidhi Jain | Updated: Sep 21, 2024 15:35
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Women Rights in India

Women Rights in India: आज के समय में महिलाएं पुरुषों को हर काम में टक्कर दे रही हैं। घर हो या ऑफिस महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। शायद ही कोई ऐसा क्षेत्र है, जहां महिलाओं ने अपना योगदान नहीं दिया हो। हर क्षेत्र में महिलाएं अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभा रही हैं। लेकिन देश में कई ऐसी जगह भी हैं, जहां पर महिलाओं के साथ उत्पीड़न होता है। उन्हें घरेलू हिंसा से लेकर लिंग भेद और महिला उत्पीड़न आदि जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

ऐसे में जरूरी है कि हर एक भारतीय महिला को अपने हित के कानूनी अधिकारों के बारे में पता हो, ताकी उन्हें किसी भी तरह की प्रताड़ना को सहना न पड़े और वो उसके खिलाफ अपनी आवाज बुलंद कर सकें। आइए जानते हैं भारतीय महिलाओं के 5 ऐसे कानूनी अधिकारों के बारे में, जिनकी जानकारी हर भारतीय महिला को होनी चाहिए।

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समान वेतन का अधिकार

समान पारिश्रमिक अधिनियम 1976 (ERA) के तहत भारत में पुरुषों और महिलाओं को समान वेतन का अधिकार है। यदि एक जगह पर पुरुष और महिला समान पद पर काम कर रहे हैं, तो ऐसे में इस कानून के तहत दोनों को समान वेतन लेने का अधिकार है। ये कानून महिलाओं को सशक्त बनाने और उन्हें आर्थिक रूप से स्वतंत्रता सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया है।

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कार्यस्थल पर उत्पीड़न के विरुद्ध अधिकार

कार्यस्थल यानी ऑफिस में महिलाओं के साथ हो रहे यौन उत्पीड़न के खिलाफ भारत सरकार ने साल 2013 में यौन उत्पीड़न से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम (PoSH Act) पारित किया था। ये कानून महिलाओं को कार्यस्थल में अनुकूल वातावरण प्रदान करना और उन्हें उत्पीड़न से बचाने के लिए बनाया गया है। यदि किसी महिला को कार्यस्थल पर यौन उत्पीड़न का शिकार होना पर रहा है, तो ऐसे में ये कानून उनके काफी काम आ सकता है।

मातृत्व अवकाश का अधिकार

भारत में कामकाजी प्रत्येक महिला को मातृत्व अवकाश का अधिकार है। मातृत्व लाभ अधिनियम 1961 के तहत सभी गर्भवती मह‍िलाएं मातृत्व अवकाश की पात्र हैं। इस कानून के तहत कामकाजी महिलाओं को 12 सप्ताह का मातृत्व अवकाश और वेतन मिलता है। इस कानून का उद्देश्य मां और होने वाले बच्चे दोनों के स्वास्थ्य को बढ़ावा देना है।

घरेलू हिंसा से मुक्त होना

घरेलू हिंसा से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम, 2005 के तहत प्रत्येक महिला को घरेलू हिंसा से सुरक्षा का अधिकार मिलता है। ये कानून महिलाओं को उनके घर-परिवार में शारीरिक, भावनात्मक, मौखिक, यौन और आर्थिक शोषण से बचाता है। इस कानून के तहत अपराधियों को गैर-जमानती कारावास की सजा का भी प्रावधान है।

निःशुल्क कानूनी सहायता का अधिकार

निःशुल्क कानूनी सहायता के अधिकार के तहत गरीब और कमजोर वर्गों को मुफ्त में कानूनी सहायता मिलती है। ये कानून सुनिश्चित करता है कि लोगों को उनकी वित्तीय स्थिति की परवाह किए बिना हर परिस्थिति में पर्याप्त कानूनी प्रतिनिधित्व प्राप्त हो। ये अधिकार महिलाओं को गारंटी देता है कि उन्हें केवल उनकी आर्थिक स्थिति के कारण न्याय से वंचित नहीं रखा जाएगा।

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Nidhi Jain

First published on: Sep 21, 2024 03:35 PM

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