4th December 1971 Historical Facts : इन दिनों बड़े पर्दे पर देशभक्ति का जज्बा जगा रही विक्की कौशल की फिल्म सैम बहादुर का कनेक्शन 4 दिसंबर से बेहद खास है। एक तो इस फिल्म की पृष्ठभूमि बनी कहानी में इस तारीख की अपनी अहमियत है और दूसरा पहले वीक-एंड में सॉलिड कमाई करने के बाद इस फिल्म के लिए सोमवार 4 दिसंबर से शुरू हो रहे अगले हफ्ते के कलेक्शन को अहम माना जा रहा है। यह वह तारीख थी, जिस पर फिल्म के रीयल लाइफ हीरो सेनाध्यक्ष जनरल सैम मानेकशॉ के नेतृत्व में 1971 में भारतीय सेना ने पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान के खिलाफ जंग का ऐलान किया था। एक खास पहलू यह भी है कि 4 दिसंबर को भारतीय नौसेना दिवस के रूप में मनाया जाता है।
पाकिस्तान की हेकड़ी निकालने की याद में मनाया जाता है भारतीय नौसेना दिवस
इतिहास के पन्ने पलटें तो ध्यान आएगा 3 दिसंबर 1971 का वह दिन, जब पाकिस्तान ने भारत के नौ हवाई अड्डों पर बमबारी करते हुए बड़ी जंग को न्योता दे दिया था। इसका संबंध भारत के तत्कालीन सेना प्रमुख सैम मानेकशॉ के द्वारा प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को सौंपे गए एक पेपर से है, जिस पर उन्होंने 4 दिसंबर लिखा था। उनका संकेत इस दिन पाकिस्तान के साथ जंग के ऐलान के रूप में था। जहां तक 4 दिसंबर को भारतीय नौसेना दिवस के रूप में मनाए जाने के कारण की बात है, इस दिन भारत की समुद्री सेना ने पूर्वी पाकिस्तान (अब का बांग्लादेश) और पश्चिमी पाकिस्तान के बीच संबंध तोड़ने के लिए नाकाबंदी सुनिश्चित की। असल में आर्म्ड फोर्स महीनों से तैयारी में जुटी थी और इसी बीच पाकिस्तान द्वारा हवाई हमला कर दिया गया तो पश्चिमी नौसेना कमान (WNC) को ‘ऑपरेशन ट्राइडेंट’ के लिए आदेश भेजे गए थे। वाइस एडमिरल एसएन कोहली (बाद में एडमिरल) WNC के फ्लैग ऑफिसर सी-इन-सी थे। कराची बंदरगाह पर बमबारी की योजना के साथ मुंबई और ओखा में नौसेना के बेड़े को भेजने के आदेश दिए गए थे।
हमले की प्लानिंग में था 3 दिसंबर, लेकिन…
25वीं मिसाइल बोट स्क्वाड्रन के ‘कराची स्ट्राइक ग्रुप’, जिसे ‘किलर स्क्वाड्रन’ के नाम से भी जाना जाता है, में दो पेट्या श्रेणी के जहाज कच्छल और किल्टन के अलावा तीन मिसाइल नौकाएं आईएनएस निर्घाट, निपत और वीर भी शामिल थी। ये मिसाइल नौकाएं सतह से सतह पर मार करने वाली चार रूसी स्टाइक्स मिसाइलों से लैस थीं। कवर देने के लिए एक मिसाइल नाव द्वारका बंदरगाह पर तैनात की गई थी। कराची बंदरगाह पर हमले के लिए किलर स्क्वाड्रन के CO बबरूभान यादव को भेजने का आदेश दिया गया। हमले की प्लानिंग 3 दिसंबर की थी, लेकिन उसी शाम पाकिस्तान द्वारा हवाई हमला किए जाने के चलते प्लानिंग को ऑपरेट करना मुश्किल हो गया तो डी-डे को बदलकर 4 दिसंबर कर दिया गया।
पेट्यास जहाजों की टीम को अपने उपयुक्त रडार के साथ मिसाइल नौकाओं का साथ देने, बेहतर लक्ष्य प्रदान करने और आपात स्थिति में नाव को खींचने का काम सौंपा गया था। युद्ध से पहले, पाकिस्तानी नौसेना ने कराची जाने वाले सभी व्यापारिक जहाजों के लिए 75 मील (120 किलोमीटर) की सीमा रेखा बनाई और उन्हें आदेश दिया कि वे सूर्यास्त और सुबह के बीच उस क्षेत्र में काम न करें, कोई भी नाव पाकिस्तानी नाव गश्त पर हो सकती है।
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जब ‘किलर स्क्वाड्रन’ स्ट्राइक ग्रुप कराची से 112 किलोमीटर दक्षिण में पहुंचा तो उत्तर-पश्चिम में 70 किलोमीटर वाले टारगेट पर आईएनएस निर्घाट ने और उत्तर-पूर्व के 68 किलोमीटर दूर के टारगेट पर आईएनएस निपत ने 75 किलोमीटर की रेंज वाली दो-दो स्टाइक्स मिसाइलें दागीं। इससे कथित तौर पर पाकिस्तानी सेना के लिए हथियार ले जा रहा एक व्यापारिक जहाज एमवी वीनस चैलेंजर डूब गया। इसी के साथ आईएनएस वीर ने तटीय माइन स्वीपर पीएनएस मुहाफिज को नेस्तनाबूद कर दिया। वाइस एडमिरल जीएम हीरानंदानी ने अपनी किताब ट्रांजिशन टू ट्रायम्फ में इसका जिक्र किया है। उनके मुताबिक स्ट्राइक ग्रुप जब कराची की तरफ बढ़ रहा था तो आईएनएस निर्घाट के रडार ने विमान भेदी ट्रेसर गोले को पाकिस्तानी हवाई हमला समझ लिया।
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किलर स्क्वाड्रन के CO बबरूभान यादव को मिला था महावीर चक्र
बाद में आईएनएस निपत पर कमांडर बीबी यादव ने अपनी शेष स्टाइक्स मिसाइलों के जरिये केमरी तेल रिफाइनरी में आग लगा दी। इंडियन नेवी के इतिहास का वह सबसे बेहतरीन घंटा समझा जाता है। दूसरी ओर चार दिन बाद ऑपरेशन पायथन पाकिस्तानी साजिश के ताबूत में आखिरी कील साबित हुआ, जिसमें आईएनएस विनाश, तलवार और त्रिशूल ने पीएनएस ढाका को डुबो दिया, एमवी हरमट्टन और एमवी गल्फ को नष्ट कर दिया। पश्चिमी मोर्चे पर पाकिस्तानी नौसेना राख हो चुकी थी और भारत का समुद्री इलाका एकदम महफूज था। कराची बंदरगाह और तेल रिफाइनरी पर बमबारी से पाकिस्तान को 3 बिलियन डॉलर के करीब का नुकसान हुआ। पाकिस्तान में विमानों के लिए तेल की भारी कमी हो गई, बल्कि समुद्री संचार लाइन काट दिए जाने से कराची के रास्ते हो रही अमेरिकी हथियारों की सप्लाई भी ठप हो गई। इस ऑपरेशन के लिए कमांडर बबरूभान यादव को महावीर चक्र का सम्मान मिला। यही है भारतीय नौसेवा की गौरवशाली गाथा। यह इतिहास सदा अमर रहेगा।