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महबूबा मुफ्ती ने क्यों कहा- ‘लिंचिस्तान बनता जा रहा है हिंदुस्तान…’, बयान पर मचा बवाल

Mehbooba Mufti: महबूबा ने देश की राजनीतिक पार्टियों और सिविल सोसायटी से अपील की कि वे मिलकर आत्ममंथन करें और यह सुनिश्चित करें कि भारत फिर से उस रास्ते पर लौटे, जहां संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों को सबसे ऊपर रखा जाता था.

Author Written By: Akarsh Shukla Updated: Dec 28, 2025 17:39

जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने एक कार्यक्रम के दौरान देश की मौजूदा हालत पर तीखी टिप्पणी करते हुए नया राजनीतिक विवाद खड़ा कर दिया है. अनंतनाग में आयोजित इस कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू के जिस हिंदुस्तान की कल्पना की गई थी, वह अब बदलकर ‘लिंचिस्तान’ बनता जा रहा है.

‘समाज में डर और असहिष्णुता का माहौल’


महबूबा मुफ्ती ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि देश के अलग-अलग हिस्सों से लगातार भीड़ हिंसा और मॉब लिंचिंग की खबरें सामने आ रही हैं, जो बेहद चिंताजनक हैं. उनके मुताबिक, ऐसी वारदातें यह दिखाती हैं कि समाज में डर और असहिष्णुता का माहौल गहराता जा रहा है और आम नागरिक खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि जिन मूल्यों आपसी सम्मान, सहिष्णुता और भाईचारे के आधार पर आजाद भारत की नींव रखी गई थी, वही आज सबसे ज्यादा चोटिल हो रहे हैं.

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पीडीपी अध्यक्ष ने लगाया आरोप


पीडीपी अध्यक्ष ने आरोप लगाया कि विभिन्न राज्यों में कानून-व्यवस्था की स्थिति पर भीड़ हिंसा गंभीर सवाल खड़े कर रही है. उनका कहना था कि जब किसी भीड़ को किसी इंसान की जान लेने का ‘हौसला’ मिलता है, तो यह सिर्फ पुलिस या प्रशासन की नाकामी नहीं, बल्कि लोकतांत्रिक ढांचे के लिए भी एक बड़ा अलार्म है. उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाएं किसी भी सभ्य समाज के लिए स्वीकार्य नहीं हो सकतीं और इन्हें रोकने के लिए राजनीतिक स्तर पर ईमानदार कोशिश जरूरी है.

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महबूबा मुफ्ती ने और क्या कहा?


महबूबा मुफ्ती ने यह भी कहा कि लोगों की गरिमा और सुरक्षा सुनिश्चित करना हर सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी है. उनके अनुसार, अगर भय और असहिष्णुता का वातावरण यूं ही बना रहा तो इसका असर केवल वर्तमान पर ही नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों की सोच और समाज की दिशा पर भी पड़ेगा. उन्होंने देश की राजनीतिक पार्टियों और सिविल सोसायटी से अपील की कि वे मिलकर आत्ममंथन करें और यह सुनिश्चित करें कि भारत फिर से उस रास्ते पर लौटे, जहां संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों को सबसे ऊपर रखा जाता था.

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First published on: Dec 28, 2025 05:35 PM

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