Union Budget 2023: आम आदमी बेसब्री से बजट-2023 का इंतजार कर रहा है। इंतजार इस बात की कि क्या उनकी उम्मीदें पूरी होंगी? बजट 2023 आगामी वर्ष के लिए सरकार की वित्तीय योजना है। इस वित्तीय योजना के जरिए आम लोगों को रोजमर्रा के जीवन पर पूरी तरह से प्रभाव पड़ता है, इसलिए बजट के प्रभाव को बारीकी से देखा जाता है। बजट पेश होने से पहले आम आदमी उन उपायों की उम्मीद कर रहा है कि सरकार उनकी वित्तीय चिंताओं को दूर करेगी, जिससे उनके जीवन स्तर में सुधार आए।
आवास, स्वास्थ्य देखभाल और शिक्षा
बजट में अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने पर ध्यान केंद्रित करने की उम्मीद है, जो कि कोरोना महामारी से बुरी तरह प्रभावित हुई है। सरकार पर स्वास्थ्य और शिक्षा पर खर्च बढ़ाने के साथ-साथ छोटे व्यवसायों और किसानों को राहत देने का दबाव है। आम आदमी भी उन उपायों की उम्मीद कर रहा है जो आवास, स्वास्थ्य सेवा और शिक्षा को और अधिक किफायती बनाएंगे।
बेरोजगारी हटाने के उपायों पर भी नजर
इसके अलावा, सरकार से बेरोजगारी के मुद्दे को हल करने की उम्मीद है, जो महामारी के कारण तेजी से बढ़ी है। आम आदमी ऐसी नीतियों की उम्मीद कर रहा है जो अधिक रोजगार के अवसर पैदा करेगी। साथ ही प्रशिक्षण और कौशल विकास कार्यक्रम प्रदान करेगी। सरकार को महामारी से गंभीर रूप से प्रभावित छोटे व्यवसायों, कारीगरों और किसानों जैसे असंगठित क्षेत्र को वित्तीय सहायता प्रदान करने पर भी ध्यान देने की आवश्यकता है।
मुद्रा स्फ़ीति पर भी नजर
सरकार से आवश्यक वस्तुओं की बढ़ती कीमतों के मुद्दे को भी हल करने की उम्मीद है, जिसने आम आदमी को मुश्किल में डाल दिया है। आम आदमी ऐसे उपायों की उम्मीद कर रहा है जो महंगाई को नियंत्रित करेंगे और आवश्यक वस्तुओं और सेवाओं को अधिक किफायती बनाएंगे।
ग्रामीण विकास पर भी आम आदमी की नजर
आम आदमी भी सरकार से ग्रामीण विकास पर ध्यान केंद्रित करने की उम्मीद कर रहा है, क्योंकि अधिकांश आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है। ग्रामीण इलाकों में रहने वाले लोग महामारी और बुनियादी सुविधाओं तक पहुंच की कमी से बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। सरकार को ऐसी योजनाओं के साथ आने की जरूरत है जो ग्रामीण क्षेत्रों में जीवन स्तर में सुधार लाएं और आजीविका के अधिक अवसर प्रदान करें।
फिलहाल, ये तो 2023 बजट के आने के बाद ही पता चलेगा कि केंद्रीय बजट 2023 आम आदमी की उम्मीदों पर कितना खरा उतर पाता है। हालांकि विशेषज्ञों की मानें तो सरकार को रोज़मर्रा के नागरिकों की चिंताओं को दूर करने की आवश्यकता के साथ आर्थिक विकास की आवश्यकता को संतुलित करना होगा।