Jammu-Kashmir (पंकज शर्मा): जम्मू में मंगलवार को आयोजित आल पार्टी मीट में शिवसेना (यूबीटी) गुट ने जम्मू-कश्मीर में एक समानांतर सरकार के गठन का सुझाव दिया। साहनी ने कहा कि लोकतंत्र जनता का, जनता के द्वारा और जनता के लिए शासन है। लेकिन भाजपा शासन में इस परिभाषा को ही झुठला दिया गया है। आज किसी भी राज्य में लोकतांत्रिक प्रक्रिया बहाली, उस राज्य में भाजपा की राजनीतिक स्थिति पर निर्भर है। जम्मू-कश्मीर और महाराष्ट्र इसका सबसे सटीक उदाहरण है। अगर हमारा मकसद जनता की सेवा, जन आकांक्षाओं की पूर्ति है तो चुनावों का इंतजार नहीं, आओ मिलकर जनता के दिलों की सरकार का गठन करे।
लोकतांत्रिक प्रक्रिया बहाली पर लगातार टालमटोल हो रहा
साहनी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में लोकतांत्रिक प्रक्रिया बहाली पर लगातार टालमटोल हो रहा है। विधानसभा चुनावों के बाद अब पंचायत और नगर निगम के चुनाव नहीं करवाने के संकेत मिले हैं। जिसका मुख्य कारण प्रदेश भाजपा नेताओं का खिसकता जनाधार हैं। साहनी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में तानाशाही और मनमानियों का बोलबाला है। जनता अपने को असहाय महसूस करने लगी हैं, उसका पुकार सुनने वाला कोई नहीं है।
ऐसे में हम तमाम विपक्षी दलों का कर्तव्य बनता है कि जनता के हितों और परेशानियों के हल लिए एक समानांतर सरकार का गठन करें। जिसमें विभिन्न विभागों से संबंधित कार्यों के लिए प्रत्येक जिले में प्रत्येक विभाग का एक समानांतर मंत्री घोषित करने के साथ जम्मू तथा कश्मीर से दो-दो संयोजक नियुक्त किए जाएं। साहनी ने कहा कि एक कोर कमेटी का गठन कर समानांतर सरकार की रूपरेखा तैयार की जाए और जल्द से जल्द इसकी घोषणा कर जनता को सुखद अहसास करवाया जाए।
भारत छोड़ो आंदोलन में सबसे बड़ी ताकत थी समानांतर सरकार
साहनी ने कहा कि समानांतर सरकार की भारत छोड़ो आंदोलन में भी सबसे बड़ी ताकत तथा उल्लेखनीय विशेषता थी। 1942 में ही उत्तर प्रदेश, बंगाल समेत देश के कई भागों में समानांतर सरकार का गठन हुआ था। जिसका उद्देश्य ब्रिटिश तानाशाही से मुक्ति, देश की जनता को योग्य शासन देना और उनके अधिकारों की रक्षा करना था।
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