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‘हिंदू धर्म की महानता को कम मत आंको’, सुप्रीम कोर्ट ने खारिज की शहरों के नाम बदलने की मांग वाली याचिका

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने शहरों के नाम बदलने की मांग वाली जनहित याचिका को सोमवार को खारिज कर दिया है। वकील अश्विनी उपाध्याय की ओर से ये PIL दाखिल की गई थी। याचिका में कोर्ट से केंद्र सरकार को ‘रिनेमिंग कमीशन’ गठन के लिए निर्देश देने का मांग की गई थी। मांग की गई […]

Edited By : Om Pratap | Updated: Feb 28, 2023 12:39
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Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने शहरों के नाम बदलने की मांग वाली जनहित याचिका को सोमवार को खारिज कर दिया है। वकील अश्विनी उपाध्याय की ओर से ये PIL दाखिल की गई थी। याचिका में कोर्ट से केंद्र सरकार को ‘रिनेमिंग कमीशन’ गठन के लिए निर्देश देने का मांग की गई थी। मांग की गई थी कि विदेशी आक्रमणकारियों की ओर से बदले गए ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक स्थलों के मूल नामों का पता लगाने और उन्हें पुनर्स्थापित करने के लिए एक ‘रिनेमिंग कमीशन’ गठित किया जाए।

जस्टिस केएम जोसेफ और बीवी नागरत्ना की पीठ ने उपाध्याय की ओर से दायर जनहित याचिका के मकसद पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह उन मुद्दों को जीवंत करेगा, जो देश का माहौल खराब कर देंगे। जस्टिस केएम जोसेफ ने कहा कि हिंदू धर्म एक धर्म नहीं है बल्कि जीवन का एक तरीका है। हिंदू धर्म में कोई कट्टरता नहीं है। कोर्ट ने कहा कि अतीत को मत खोदो, ये सिर्फ वैमनस्य पैदा करेगा।

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इस महीने की शुरुआत में दायर की थी PIL

उपाध्याय ने इस महीने की शुरुआत में जनहित याचिका दायर की थी, जिसमें विदेशी आक्रमणकारियों की ओर से नाम बदलने वाले प्राचीन ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और धार्मिक स्थानों के मूल नामों को बहाल करने के लिए केंद्र को एक ‘नामकरण आयोग’ गठित करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।

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जनहित याचिका में कहा गया है कि हाल ही में मुगल गार्डन का नाम बदलकर अमृत उद्यान कर दिया गया था, लेकिन सरकार ने आक्रमणकारियों के नाम पर सड़कों का नाम बदलने के लिए कुछ नहीं किया और कहा कि इन नामों को जारी रखना संविधान के तहत गारंटीकृत संप्रभुता और अन्य नागरिक अधिकारों के खिलाफ है।

जनहित याचिका में कहा गया है, ‘हम आजादी की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं लेकिन क्रूर विदेशी आक्रमणकारियों, उनके नौकरों और परिवार के सदस्यों के नाम पर कई प्राचीन ऐतिहासिक सांस्कृतिक धार्मिक स्थल हैं।’

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कोर्ट ने कहा- हमें संविधान और सभी वर्गों की रक्षा करनी चाहिए

कोर्ट ने कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, यह एक धर्मनिरपेक्ष मंच है। हमें संविधान और सभी वर्गों की रक्षा करनी चाहिए। आप उन चीजों को फिर से भड़काना चाहते हैं, जिन्हें दबा दिया जाना चाहिए और असंतोष पैदा नहीं करना चाहिए।

जस्टिस बीवी नागरत्ना ने कहा कि हिंदू धर्म जीवन का एक तरीका है जिसके कारण भारत ने सभी को आत्मसात कर लिया है। उसी के कारण हम एक साथ रह पाते हैं। अंग्रेजों की फूट डालो और राज करो की नीति ने हमारे समाज में फूट डाल दी थी। हमें वह वापस नहीं चाहिए।

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HISTORY

Written By

Om Pratap

Edited By

Manish Shukla

First published on: Feb 27, 2023 03:11 PM

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