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विशेष राज्य का दर्जा मिलने पर क्या होगा फायदा? बिहार के बाद दो अन्य राज्यों ने भी की मांग

Special Category Status Bihar News: बिहार काफी लंबे समय से विशेष राज्य के दर्जे की मांग कर रहा है। बिहार के बाद दो अन्य राज्यों का नाम भी इस लिस्ट में शामिल हो गया है। तो आइए जानते हैं कि आखिर इसके मांग के क्या मायने हैं?

Edited By : Sakshi Pandey | Updated: Jul 22, 2024 11:49
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Bihar Special Category Status

Special Category Status Bihar News: आज से संसद का मानसून सत्र शुरू होने वाला है। बीते दिन संसद में सभी पार्टियों की सर्वदलीय बैठक हुई। इस बैठक में 44 पार्टियों ने हिस्सा लिया। सर्वदलीय बैठक में कई बड़े फैसले लिए गए। मगर इस दौरान बिहार के विशेष राज्य की दर्जे वाली मांग काफी चर्चा में रही। बिहार के अलावा ओडिशा और आंध्र प्रदेश ने भी केंद्र सरकार से विशेष राज्य का दर्जा मांगा है।

तीन राज्यों ने की मांग

सत्ताधारी बीजेपी के सहयोगी नीतीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू ने भी इस मांग का विरोध नहीं किया। जहां बिहार में विशेष राज्य के दर्जे को लेकर जेडीयू और आरजेडी एक-साथ आ गई हैं। तो आंध्र प्रदेश में वाईएसआर और टीडीपी ने भी एकजुट होकर केंद्र के सामने ये प्रस्ताव रखा है। इसके अलावा ओडिशा में नवीन पटनायक की पार्टी बीजेडी ने भी राज्य के लिए विशेष दर्जा मांगा है। तो आइए जानते हैं कि तीनों राज्य विशेष राज्य का दर्जा क्यों चाहते हैं? इससे राज्यों को क्या लाभ होने वाला है?

किन राज्यों को मिला है विशेष दर्जा?

1969 में उत्तर पूर्वी राज्यों असम और नागालैंड को सबसे पहले विशेष राज्य का दर्जा दिया गया था। इसके बाद कुछ और राज्यों को इस लिस्ट में शामिल किया गया। पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और सिक्किम को भी विशेष राज्य का दर्जा मिला। बाद में पूर्वोत्तर राज्य मणिपुर, मिजोरम, त्रिपुरा, अरूणाचल प्रदेश और मेघालय का नाम भी लिस्ट में शुमार हो गया। 2014 में आंध्र प्रदेश से निकले नए राज्य तेलंगाना को भी विशेष राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ।

कैसे मिलता है विशेष राज्य का दर्जा?

विशेष राज्य का दर्जा देने के लिए 5 पैमाने निर्धारित किए गए हैं। अगर कोई राज्य पांच में से किसी एक पैमाने पर खरा उतरता है तो उसे विशेष राज्य का दर्जा मिल सकता है। आइए जानते हैं क्या हैं वो 5 पैमाने?

1. राज्य में पहाड़ी इलाके और दर्गम क्षेत्र अधिक हों।

2. कम आबादी वाले राज्य या जनजातीय समुदाय का अधिक होना।

3. अंतर्राष्ट्रीय सीमा वाले राज्य, जिसकी सरहदें पड़ोसी देशों से लगती हैं।

4. आर्थिक और आधारभूत संरचना में पिछड़े राज्य।

5. राज्य के पास आय को बड़ा स्रोत ना होना।

राज्य को विशेष दर्जा मिलने के फायदे?

1. आमतौर पर केंद्र सरकार के द्वारा लागू की गई योजनाओं में राज्य सरकार की 60 प्रतिशत भागीदारी होती है। वहीं 40 फीसदी पैसा केंद्र सरकार देती है। वहीं विशेष राज्य का दर्जा मिलने के बाद केंद्र सरकार सभी परियोजनाओं पर 90 प्रतिशत हिस्सा खर्च करती है और बाकी का 10 फीसदी हिस्सा राज्य सरकार देती है।

2. केंद्र के द्वारा जारी किए गए पैसों को राज्य सरकार ने इस्तेमाल नहीं किया है तो उस पर कैरी फॉरवर्ड रूल लागू होगा। यानी वित्त वर्ष खत्म होने के बाद भी वो पैसे राज्य सरकार के पास रहेंगे और केंद्र राज्य सरकार को फिर से नई धनराशि आबंटित करेगी।

3. विशेष राज्य का दर्जा मिलने के बाद राज्य को सीमा शुल्क, आयकर और कॉर्पोरेट टैक्स में छूट मिलती है।

क्या कहता है संविधान?

संविधान में विशेष राज्य के दर्जे का कोई प्रावधान मौजूद नहीं है। हालांकि केंद्र या राज्य सरकार अगर चाहें तो खास परिस्थितियों के अनुसार राज्य को कुछ मामलों में छूट दे सकती है। 1969 में पांचवे वित्त आयोग की सिफारिश पर पिछड़े राज्यों को विशेष श्रेणी का दर्जा दिया जा सकता है।

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First published on: Jul 22, 2024 11:49 AM

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