राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले ने अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा 2025 की बैठक के दौरान देश में ऐतिहासिक व्यक्तित्वों को लेकर एक बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि औरंगजेब को भारत का आइकॉन नहीं माना जाना चाहिए, बल्कि उन व्यक्तित्वों को महत्व दिया जाना चाहिए, जिन्होंने भारतीय संस्कृति, परंपरा और स्वतंत्रता के लिए योगदान दिया।
‘औरंगजेब रोड के नाम बदलने के पीछे ऐतिहासिक और सांस्कृतिक कारण’
दत्तात्रेय होसबले ने कहा कि दिल्ली में एक समय ‘औरंगजेब रोड’ थी, जिसका नाम बदलकर ‘डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम रोड’ कर दिया गया। यह सिर्फ एक नाम परिवर्तन नहीं था, बल्कि इसके पीछे गहरा ऐतिहासिक और सांस्कृतिक कारण था। उन्होंने कहा कि औरंगजेब का शासन भारतीय संस्कृति और परंपराओं के विरुद्ध था, फिर भी उसे ऐतिहासिक रूप से महत्व दिया गया, जबकि उनके भाई दारा शिकोह को कभी उचित सम्मान नहीं मिला।
उन्होंने कहा कि गंगा-जमुनी तहजीब की वकालत करने वालों ने कभी दारा शिकोह को आगे लाने के बारे में नहीं सोचा। क्या हम किसी ऐसे व्यक्ति को अपना आइकॉन मान सकते हैं जो भारत की संस्कृति के खिलाफ था, या हमें उन लोगों को आदर्श बनाना चाहिए जिन्होंने इस भूमि की परंपराओं के अनुसार कार्य किया?
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#WATCH | Bengaluru, Karnata | General Secretary of RSS, Dattatreya Hosabale, says, “… There have been a lot of incidents in the past. There was an ‘Aurangzeb Road’ in Delhi, which was renamed Abdul Kalam Road. There was some reason behind it. Aurangzeb’s brother, Dara Shikoh,… pic.twitter.com/hHAXzyCZGS
— ANI (@ANI) March 23, 2025
स्वतंत्रता संग्राम केवल अंग्रेजों के खिलाफ नहीं था : दत्तात्रेय होसबले
सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबले ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम सिर्फ अंग्रेजों के खिलाफ नहीं लड़ा गया था। उन्होंने जोर देकर कहा कि छत्रपति शिवाजी महाराज और महाराणा प्रताप ने भी मुगलों से स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ी थी और यह भी भारत की आजादी का एक अहम अध्याय था। उन्होंने कहा कि भारत के लोगों को अब यह तय करना होगा कि वे औरंगजेब को अपना आदर्श मानेंगे या दारा शिकोह को?
#WATCH | Bengaluru, Karnataka | On Waqf (Amendment) Bill 2024, RSS General Secretary Dattatreya Hosabale says, “The government has formed a commission for Waqf. We will see what they come up with. Whatever has happened till now has happened in the right direction… We will see… pic.twitter.com/GeV9JCMSnT
— ANI (@ANI) March 23, 2025
‘भारत को अपने आइकॉन सोच-समझकर चुनने होंगे’
संघ का मानना है कि भारत को अपने नायकों का चयन बहुत सोच-समझकर करना होगा। उन्होंने कहा कि हम एक स्वतंत्र देश हैं और हमें यह गंभीरता से सोचना होगा कि हमें यह स्वतंत्रता कैसे मिली? केवल 1947 में ही नहीं, बल्कि उससे पहले भी हमारे वीर सपूतों ने विदेशी आक्रांताओं से संघर्ष किया है। इतिहास के नायकों को पहचानने और सही व्यक्तित्व को सम्मान देने की आवश्यकता है। उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि देश की संस्कृति, परंपरा और मिट्टी के प्रति समर्पित व्यक्तित्वों को ही आदर्श माना जाए।
सभा में अपने संबोधन में उन्होंने दो ऐतिहासिक शख्सियतों– औरंगजेब और दारा शिकोह की तुलना की। उन्होंने कहा कि दारा शिकोह भारतीय संस्कृति और वेदांत दर्शन में रुचि रखने वाले उदार विचारों के समर्थक थे, जबकि औरंगजेब का शासनकाल धार्मिक असहिष्णुता और सांस्कृतिक दमन का प्रतीक था। उन्होंने कहा कि असल मुद्दा यह है कि हम किसे अपने आदर्श के रूप में स्वीकार करते हैं? औरंगजेब भारत की संस्कृति और परंपराओं के अनुरूप नहीं थे, जबकि दारा शिकोह इस दृष्टि से एक आदर्श व्यक्तित्व हो सकते हैं।
संघ का आह्वान- स्वतंत्रता संग्राम के अनसुने योद्धाओं को पहचानें
होसबले ने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम के कई नायक अभी भी इतिहास में वह सम्मान नहीं पा सके, जिसके वे हकदार थे। उन्होंने कहा कि भारत को अब यह तय करना होगा कि हमें किन व्यक्तित्वों को महत्व देना है– वे जिन्होंने विदेशी आक्रांताओं का साथ दिया या वे जिन्होंने इस मिट्टी के लिए अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया?
उन्होंने आगे कहा कि इतिहास को सही परिप्रेक्ष्य में देखने की जरूरत है और स्वतंत्र भारत को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि आने वाली पीढ़ियों को सही नायकों के बारे में बताया जाए।
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वक्फ पर संघ की राय
सरकार्यवाह ने कहा कि वक्फ कानून के कारण भूमि पर अतिक्रमण हो रहा है, जिससे कई किसान भी प्रभावित हुए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि सरकार इस समस्या का समाधान निकालने के लिए काम कर रही है और जो गलत है, उसे दूर किया जाना चाहिए।
‘धर्म के आधार पर आरक्षण’
धर्म के आधार पर आरक्षण से जुड़े एक सवाल के जवाब में सरकार्यवाह ने कहा कि न्यायालय कई बार सरकार के ऐसे प्रयासों को असंवैधानिक बता चुका है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक लाभ के लिए ऐसे मुद्दों को उठाना संविधान निर्माताओं के उद्देश्यों के खिलाफ है।