---विज्ञापन---

Odisha Train Accident: 51 घंटे, 2300 से अधिक कर्मचारी… ओडिशा रेल हादसे पर रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव की टीम ने ऐसे किया काम

Odisha Train Accident: 2 जून की देर शाम जब ओडिशा के बालासोर में भयानक रेल दुर्घटना हुई। किसी को अंजादा नहीं था कि इसका परिणाम कितना विनाशकारी होगा? खबर सामने आने के बाद मृतकों और घायलों की संख्या लगातार बढ़ती गई। हादसे के बाद सबसे बड़ी चुनौती भारतीय रेलवे के संबंधित विभाग के लिए थी कि […]

Edited By : Om Pratap | Updated: Jun 7, 2023 12:52
Share :
odisha train accident, balasore, railway minister ashwini vaishnaw, Ministry of Railways

Odisha Train Accident: 2 जून की देर शाम जब ओडिशा के बालासोर में भयानक रेल दुर्घटना हुई। किसी को अंजादा नहीं था कि इसका परिणाम कितना विनाशकारी होगा? खबर सामने आने के बाद मृतकों और घायलों की संख्या लगातार बढ़ती गई। हादसे के बाद सबसे बड़ी चुनौती भारतीय रेलवे के संबंधित विभाग के लिए थी कि आखिर घायलों को जल्द से जल्द राहत कैसे पहुंचाया जाए? रेस्क्यू कैसे चलाया जाए? हादसे के कारणों तक कैसे पहुंचा जाए? साथ ही इन चुनौतियों से निपटने के बाद रेलवे यातायात फिर से कैसे शुरू किया जाए।

हादसे के कुछ घंटों के भीतर केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ग्राउंड जीरो पर थे। दुर्घटना की तकनीकी को समझते हुए और रेस्क्यू की निगरानी करते हुए वे घटनास्थल पर जुटे रहे। एक सीनियर अफसर ने न्यूज एजेंसी ANI को बताया कि मानव संसाधनों का अधिकतम उपयोग सुनिश्चित करने के लिए योजना बनाई गई थी, जिसमें अधिक से अधिक लोगों की जान बचाने पर ध्यान केंद्रित किया गया था।

---विज्ञापन---

योजना में घायलों को जल्द से जल्द चिकित्सा सहायता प्रदान करना सुनिश्चित किया गया था। रेल मंत्रालय के एक सीनियर सूत्र ने न्यूज एजेंसी ANI को बताया कि ग्राउंड जीरो पर काम करने के लिए कम से कम 70 सदस्यों वाली आठ टीमों का गठन किया गया था। फिर इन दोनों टीमों में से प्रत्येक की निगरानी सीनियर सेक्शन इंजीनियर्स (SSE) की ओर से की गई थी। इसके अलावा, इन SSE की निगरानी एक DRM और एक GM रेलवे की ओर से की गई थी।

---विज्ञापन---

रेल मंत्रालय के ये अधिकारी ग्राउंड जीरो पर जुटे थे। साथ ही ट्रैक की मरम्मत और टेक्निकल कामों में भी जुटे थे। इसके अलावा अधिकारियों का ध्यान इस पर भी था कि जिन लोगों को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था, उनके लिए किसी तरह की कोई समस्या न हो।

रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष को कटक के अस्पताल में तैनात किया गया था, जबकि डीजी स्वास्थ्य को भुवनेश्वर के अस्पताल में भेजा गया ताकि इलाज करा रहे यात्रियों को अधिकतम राहत सुनिश्चित की जा सके।

एक अन्य सीनियर अधिकारी ने कहा कि हमारे लिए निर्देश बहुत स्पष्ट थे कि न केवल जमीन पर बचाव और राहत अभियान महत्वपूर्ण है बल्कि अस्पताल में भर्ती लोगों की देखभाल भी उतना ही महत्वपूर्ण है। यही कारण है कि सीनियर अधिकारियों को स्थिति की निगरानी के लिए भेजा गया था।

दिल्ली में चौबीसों घंटे काम कर रहा था वार रूम

रिपोर्ट्स के मुताबिक, राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में रेल मंत्रालय के मुख्यालय में वार रूम चौबीसों घंटे घटनाक्रम पर लगातार नजर रख रहा था। एक सूत्र ने कहा, “घटना स्थल पर जमीनी घटनाक्रम की लाइव फीड देने वाले चार कैमरों की लगातार निगरानी की जा रही थी। इसके जरिए केंद्रीय रेल मंत्री और उनकी टीम को रियल टाइम में डवेलपमेंट्स के सभी डिटेल बताए जा रहे थे।”

एक अनुभवी ब्यूरोक्रेट्स से राजनेता बने भारत के रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव के लिए आपदा प्रबंधन कोई नई बात नहीं है। 1999 में बालासोर जिले के कलेक्टर के रूप में अश्विनी वैष्णव ने महाचक्रवात संकट को संभाला था।

इसके अलावा ये भी सुनिश्चित किया गया था कि दुर्घटना स्थल पर या अस्पताल में काम करने वाली हर टीम को समय पर ब्रेक दिया जाए और उन्हें अच्छी तरह से हाइड्रेटेड रखा जाए। बता दें कि केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव अपनी पूरी टीम के साथ 51 घंटे तक ग्राउंड जीरो पर रहे और हर काम का बारीकी से जायजा लेते रहे, निर्देश देते रहे।

HISTORY

Written By

Om Pratap

First published on: Jun 07, 2023 12:51 PM

Get Breaking News First and Latest Updates from India and around the world on News24. Follow News24 on Facebook, Twitter.

संबंधित खबरें