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‘ये सुनवाई कब पूरी होगी?’ देशभर में महिलाओं के 36 लाख केस पेंडिंग, उत्तर प्रदेश सबसे आगे

Crimes against women: नेशनल ज्यूडिशियल डाटा ग्रिड ने चौंकाने वाले आंकड़े पेश किए हैं। जिसमें बताया गया है कि देशभर की कोर्टों में फिलहाल 4.44 करोड़ मामले लंबित हैं। जिसमें 36.57 लाख केस ऐसे हैं, जो महिलाओं के हैं। लगभग 8 फीसदी मामलों को महिलाओं की ओर से दायर किया गया है।

Edited By : Parmod chaudhary | Updated: Oct 20, 2023 10:00
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Crime against women, National Judicial Data Grid

Crimes against women: नेशनल ज्यूडिशियल डाटा ग्रिड के आंकड़े जारी किए हैं। जिनके अनुसार अभी कोर्टों में लगभग 4.44 करोड़ से अधिक केस लंबित हैं। इनमें से 8 फीसदी मामले आधी आबादी यानी महिलाओं की ओर से दायर किए गए हैं। लगभग 36.57 लाख केस अकेले महिलाओं की ओर से दायर किए गए हैं, जिन पर इंसाफ होना बाकी है।

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निर्भया मामले के बाद सुप्रीम कोर्ट ने देशभर की अदालतों को महिलाओं के प्रति संवेदनशील होने को कहा था। पुलिस को भी निर्देश दिए गए थे कि छह माह में मामला निपटाकर महिला को इंसाफ मिल जाए। लेकिन इसका असर देखने को नहीं मिला। उल्टा महिलाओं के खिलाफ क्राइम में इजाफा होने लगा।

7 फीसदी मामलों में कोर्ट का स्टे

आंकड़ों में टॉप-20 राज्यों को लिया गया है। जो 6 अक्टूबर 2023 तक का हाल बताते हैं। इनमें से लगभग 45 फीसदी केस में तो वकील ही पेश नहीं हो रहे। या फिर आरोपी जमानत के बाद कोर्ट नहीं आए, वे फरार हो चुके हैं। 7 फीसदी मामलों में बड़ी कोर्ट का स्टे है। आंकड़ों में क्रिमिनल और सिविल दोनों केस हैं।

राज्य         अधिक पेंडिंग केस

उत्तर प्रदेश  790938

महाराष्ट्र        396010

बिहार          381604

बंगाल         260214

कर्नाटक    222587

राज्य             कम पेंडिंग केस

असम              54351

झारखंड          52479

हिमाचल प्रदेश 34519

छत्तीसगढ़       33860

उत्तराखंड      20576

मार्च 2013 में दिल्ली हाई कोर्ट ने आदेश जारी किए थे। जिसमें कहा था कि पुलिस महिला अपराधों को लेकर संवेदनशील बने। कार्रवाई जल्द की जाए। अगस्त 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिए थे। कहा था कि ट्रायल कोर्ट केसों की 2-3 महीने में जांच करके अपना फैसला दें।

वहीं, अक्टूबर 2018 में बॉम्बे हाई कोर्ट की ओर से आदेश दिए गए थे। जिसमें कहा गया था कि कोर्ट महिलाओं के मामलों को तेजी से निपटाएं। ये उनका कर्तव्य भी है। सितंबर 2019 में भी सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिए थे। जिसमें कहा था कि रेप मामलों में लंबी तारीख न दी जाएं।

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केस क्यों अटकते हैं, इसकी 6 वजह

1 अधिकतर मामलों में पुलिस चार्जशीट में देरी करती है। कोर्ट में बार-बार जांच का समय बढ़ाने की मांग की जाती है।

2 कई बार चार्जशीट दायर करती है, लेकिन दस्तावेज कोर्ट में जमा नहीं होते।

3 चार्जशीट दायर कर दी जाती है, लेकिन निचली अदालत बार-बार लंबी डेट देती हैं। जिससे आरोप तय होने में समय लग जाता है।

4 महत्वपूर्ण गवाहों को पुलिस कोर्ट में पेश ही नहीं कर पाती।

5 निचले कोर्ट की कार्रवाई पर स्टे दे दिया जाता है। आरोपी बेल पर फरार हो जाते हैं।

6 कभी सरकारी वकील पेश नहीं होता, तो कभी प्राइवेट। जिसके कारण सुनवाई टलती रहती है।

First published on: Oct 20, 2023 10:00 AM
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