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चौसा आम का नाम चौसा ही क्‍यों? जंग में जीत का था इनाम, पढ़ें रोचक क‍िस्‍सा

Reason Behind The Chausa Mango Name: अगर आप आम खाने के शौकीन हैं तो आपने चौसा आम का नाम सुना होगा और उसे खाया भी होगा। क्या कभी सोचा है कि इस आम का नाम चौसा ही क्यों पड़ा? दरअसल, हर आम के नाम के पीछे एक इतिहास छिपा है। जानें, चौसा आम का नाम चौसा ही क्यों पड़ा:

Edited By : Rajesh Bharti | Updated: Jul 9, 2024 14:05
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Chausa Mango
काफी साल पुराना है चौसा आम के नाम का इतिहास।

Know The Reason Behind The Chausa Mango Name: अंग्रेजी के महान कवि विलियम शेक्सपियर ने कहा था- नाम में क्या रखा है। लेकिन शायद उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं था कि आज नाम ही सब कुछ है। काफी चीजों को उनके नाम से पहचाना जाता है। इन्हीं में है आम। चूंकि अभी आम का सीजन है। ऐसे में आम की बात कर ली जाए।

दुनिया में कई वैराइटी के आम मिलते हैं। अगर अपने देश की बात करें तो यहां भी दशहरी, लंगड़ा, चौसा, तोतापरी, अल्फांसो (हाफूस), सफेदा आदि प्रमुख हैं। हर तरह के आम की अपनी खास पहचान है। यह पहचान मिली है उसे उसकी खुशबू, बनावट और स्वाद से। क्या आपने कभी सोचा है कि इन आमों के नाम कैसे पड़े? दरअसल, इनके पीछे भी एक कहानी है। आज जानेंगे कि चौसा आम का नाम चौसा क्यों पड़ा।

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यह महीना है खास

इस समय मार्केट में चौसा आम की बहार आने वाली है। इस आम की खासियत है कि यह काफी मीठा और रसीला होता है। यह गहरे पीले रंग का होता है। इसके नाम का इतिहास काफी पुराना है और बिहार से जुड़ा है। माना जाता है कि इस आम की उत्पत्ति उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले में हुई थी। हालांकि अब इसकी पैदावार देश के कई इलाकों में होती है। लेकिन मुख्य रूप से बिहार और उत्तर भारत में यह काफी पाया जाता है। साथ ही अब इसकी पैदावार पाकिस्तान में भी होने लगी है।

Chausa Mango

जुलाई में मार्केट में आ जाता है चौसा आम।

ऐसे पड़ा इस आम का नाम

इस आम के नाम के पीछे भी एक कहानी है। माना जाता है कि इस आम का नाम 1539 में शेरशाह सूरी ने दिया था। दरअसल, उस समय समय बिहार के चौसा इलाके में शेरशाह और हुमायूं के बीच युद्ध हुआ था। इस युद्ध में शेरशाह ने हुमायूं को हरा दिया था। इस जीत की खुशी में शेरशाह ने सभी को अपनी पसंद का आम खिलाया और इसका नाम चौसा रखा। तभी से इस आम का नाम चौसा पड़ गया।

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मिल सकता है GI टैग

चौसा आम को जल्दी ही GI (Geographical Indications) टैग मिल सकता है। इस टैग के मिलने के बाद इस आम की दुनियाभर में खास पहचान मिल जाएगी। ऐसे में माना जा रहा है कि इसकी मांग दुनियाभर में बढ़ेगी और इससे किसानों को और फायदा होगा। केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने 2020 में ही इस आम को जीआई टैग दिलाने के प्रयास शुरू कर दिए हैं। यूपी सरकार की ओर से इससे संबंधित फाइल भेजी जा चुकी है। माना जा रहा है कि इस पर जल्दी अमल लाया जा सकता है।

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Written By

Rajesh Bharti

First published on: Jul 09, 2024 02:05 PM

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