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जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग के लिए कितने सांसदों के साइन जरूरी? बंद कमरे में चल रही रणनीति

जस्टिस वर्मा को उनके पद से हटाने के लिए प्रक्रिया शुरू हो गई। लोकसभा और राज्यसभा में सासंदों ने जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलवाने के लिए तैयारी कर रहे हैं। बताया जा रहा है कि जल्द ही जस्टिस को उनके पद से हटा दिया जाएगा।

Author Written By: News24 हिंदी Author Edited By : Md Junaid Akhtar Updated: Jul 21, 2025 17:48
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जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग चलेगा।

जस्टिस वर्मा के खिलाफ महाभियोग लाने के लिए बंद कमरे में बैठक चल रही है। केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह राज्यसभा सांसदों के साथ जस्टिस के खिलाफ साइन करवा रहे हैं। जस्टिस के खिलाफ महाभियोग चलाने के लिए 50 राज्ससभा सांसदों के साइन जरूरी थे। सूत्रों से पता चला है कि कई राज्यसभा सांसद साइन भी कर चुके हैं। इस बैठक में निर्मला सीतारमण और एस जयशंकर भी शामिल है। बताया जा रहा है कि राज्यसभा सांसद एक-एक कर कमरे में पहुंचकर साइन कर रहे हैं।

145 सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष को सौंपा ज्ञापन

संसद के मानसून सत्र की शुरुआत के साथ जस्टिस वर्मा को हटाने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई। इसे लेकर 145 सांसदों ने लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला को ज्ञापन सौंपा है। इस प्रस्ताव पर कांग्रेस, टीडीपी, जेडीयू, जेडीएस, जनसेना पार्टी, एजीपी, शिवसेना (शिंदे गुट), लोक जनशक्ति पार्टी, एसकेपी, और सीपीएम जैसे दलों के सांसदों ने हस्ताक्षर किए हैं। ज्ञापन पर जिन प्रमुख नेताओं के हस्ताक्षर हैं, उनमें अनुराग सिंह ठाकुर, रवि शंकर प्रसाद, राहुल गांधी, राजीव प्रताप रूड़ी, पीपी चौधरी, सुप्रिया सुले और केसी वेणुगोपाल शामिल हैं।

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जस्टिस वर्मा पर लगे हैं गंभीर आरोप

महाभियोग प्रस्ताव में जस्टिस वर्मा पर गंभीर आरोप लगाए गए हैं। सबसे गंभीर आरोप यह है कि 15 मार्च 2025 को उनके दिल्ली स्थित सरकारी आवास से 500 के जले-अधजले नोटों की बरामदगी हुई थी, जिससे न्यायिक गरिमा और विश्वसनीयता पर सवाल उठे। इस पूरे घटनाक्रम के पीछे भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124, 217 और 218 को आधार बनाया गया है, जिनके तहत सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट के जजों के विरुद्ध महाभियोग की प्रक्रिया चलाई जा सकती है।

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सभापति की सहमति से होगी जांच कमेटी गठित

अब इस ज्ञापन की शुरुआती जांच लोकसभा अध्यक्ष द्वारा की जाएगी। यदि वह इसे विधिसम्मत मानते हैं, तो राज्यसभा के सभापति की सहमति से एक जांच समिति गठित की जाएगी, जो आरोपों की पुष्टि करेगी। यह मामला अब सिर्फ न्यायपालिका का नहीं, बल्कि संसद और संविधान की प्रतिष्ठा से भी जुड़ गया है। आने वाले दिनों में इस पर राजनीति और बहस दोनों और तेज होने की संभावना है।

First published on: Jul 21, 2025 05:48 PM

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