नई दिल्ली: न्यायाधीशों की नियुक्ति को लेकर केंद्र और सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के बीच रस्साकशी के बीच केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर निर्णय लेने की प्रक्रिया में सरकार के नामित व्यक्ति को शामिल करने का “सुझाव” दिया है। केंद्र सरकार ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ को चिट्ठी लिखकर कहा है कि सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के कोलेजियम में सरकार का भी प्रतिनिधित्व होना चाहिए।
सूत्रों ने का कहना है कि पत्र में बताया गया है कि न्यायाधीशों की नियुक्ति के संबंध में प्रक्रिया ज्ञापन को अंतिम रूप देना अभी भी “अंतिम रूप से लंबित” था और “सुझाव दिया कि इसे कैसे सुव्यवस्थित किया जा सकता है।”
“कोलेजियम से संतुष्ट नहीं हैं”
कानून मंत्री किरण रिजिजू ने कहा है कि वह अभी जजों की नियुक्ति वाले मौजूदा कोलेजियम सिस्टम से संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने दोबारा कोलेजियम (Collegium) की जगह नेशनल ज्यूडिशल अप्वाइंटमेंट्स कमीशन (NJAC) की बहाली का पक्ष लिया है। किरण रिजिजू का तर्क है कि जजों की नियुक्ति में सरकार की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण थी, क्योंकि जजों के पास तमाम रिपोर्ट्स और जरूरी सूचनाएं नहीं होती हैं, जो सरकार के पास हैं।
जस्टिस एसके कौल और जस्टिस अभय एस. ओका की बेंच कह चुकी है कि अगर सरकार को कोलेजियम एवं द्वारा सुझाए गए किसी नाम पर आपत्ति है तो उसे बताना चाहिए। एस के कौल की अध्यक्षता वाली पीठ ने न्यायिक पक्ष पर मामले को आगे बढ़ाने का फैसला किया था और सरकार को नोटिस जारी किया था। 11 नवंबर, 2022, “नामों को लंबित रखना स्वीकार्य नहीं है।
नेशनल ज्यूडिशल अपॉइंटमेंट कमीशन के पक्ष में है सरकार
कानून मंत्री किरण रिजिजू की चिट्ठी ने ये साफ कर दिया है कि सरकार और सुप्रीम कोर्ट के बीच रस्साकसी जारी है। न्यायपालिका का मानना है कि सरकार एक बार फिर से जजों की नियुक्ति में बैक डोर से अपना दखल चाहती है, जैसा कोलेजियम से पहले नेशनल ज्यूडिशल अपॉइंटमेंट कमीशन (NJAC) में था।